भारत के जाने-माने उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली, और देश को शोक की लहर में छोड़ दिया। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और गरीबों के मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले रतन टाटा ने न केवल भारतीय उद्योग जगत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि समाज के लिए उनके योगदान को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके निधन से भारतीय उद्योग जगत को बड़ा झटका लगा है, और अब सवाल उठ रहा है कि 3800 करोड़ के इस विशाल साम्राज्य का अगला उत्तराधिकारी कौन होगा?
उत्तराधिकारी की रेस में कौन है आगे?
रतन टाटा की मृत्यु के बाद, अब सबसे बड़ी चर्चा उनके उत्तराधिकारी को लेकर हो रही है। टाटा समूह के नए नेतृत्व के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक चर्चा नोएल टाटा की हो रही है, जो रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। नोएल टाटा, नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन टाटा के बेटे हैं और उन्हें टाटा साम्राज्य का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा है। नोएल टाटा के तीन बच्चे हैं – माया टाटा, नेविल टाटा, और लिया टाटा, जिनका भी टाटा ग्रुप में महत्वपूर्ण योगदान है।
माया, नेविल और लिया, नए नेतृत्व के संभावित नाम
नोएल टाटा के तीनों बच्चे टाटा ग्रुप की जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं, और उनके भविष्य में समूह के नेतृत्व में अहम भूमिका निभाने की संभावना है।
- माया टाटा: 34 वर्षीय माया टाटा ने टाटा अपॉर्चुनिटीज फंड और टाटा डिजिटल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने टाटा न्यू ऐप को लॉन्च करने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उनके तकनीकी कौशल और बिजनेस विजन का परिचय मिलता है।
- नेविल टाटा: 32 साल के नेविल टाटा ट्रेंट लिमिटेड के तहत प्रमुख हाइपरमार्केट चेन स्टार मार्केट के चीफ हैं। इसके साथ ही वे टोयोटा किर्लोस्कर ग्रुप के परिवार से जुड़े हैं, क्योंकि उन्होंने मानसी किर्लोस्कर से शादी की है। नेविल टाटा ग्रुप के रिटेल बिजनेस में एक मजबूत दावेदार माने जाते हैं।
- लिया टाटा: 39 वर्षीय लिया टाटा ने टाटा समूह के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को नए आयाम दिए हैं। उन्होंने ताज होटल्स, रिसॉर्ट्स और पैलेसेस को बुलंदियों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्पेन के IE Business School से पढ़ाई करने वाली लिया के नेतृत्व में टाटा ग्रुप का हॉस्पिटैलिटी सेक्टर और भी मजबूत हुआ है।
रतन टाटा: एक विरासत का अंत
रतन टाटा का निधन केवल एक उद्योगपति का नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। वे न केवल व्यवसाय में बल्कि समाज सेवा में भी सबसे आगे थे। गरीबों और जानवरों के प्रति उनकी करुणा ने उन्हें “गरीबों का मसीहा” बना दिया। रतन टाटा की सादगी और उनके परोपकारी कार्यों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उनके जाने के बाद टाटा समूह की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए कई योग्य नाम हैं, लेकिन कौन उनका सही उत्तराधिकारी होगा, यह समय के साथ ही स्पष्ट होगा।
देश के लिए रतन टाटा की मृत्यु एक अपूरणीय क्षति है, और उन्हें उनके कामों के लिए हमेशा सम्मानित और याद किया जाएगा।