गोवा सरकार ने एक नया नियम लागू किया है, जिसमें मकान मालिकों को अपने किरायेदारों की जानकारी सरकार को देनी होगी। यह नियम 1 दिसंबर 2024 से लागू होगा और मकान मालिकों के लिए यह अनिवार्य हो जाएगा। अगर वे यह जानकारी समय पर नहीं देते हैं, तो उन पर ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य राज्य में सुरक्षा को मजबूत करना है।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया
गोवा, एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहां घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की भीड़ रहती है। इस वजह से राज्य में सुरक्षा के खतरे बढ़ सकते हैं। इसलिए गोवा पुलिस ने किरायेदार सत्यापन को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है, ताकि राज्य में रहने वाले सभी व्यक्तियों की जानकारी अधिकारियों के पास हो। इससे संभावित खतरे की पहचान की जा सकेगी और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार होगा।
पुलिस को मिलेगा रिकॉर्ड की जांच करने का अधिकार
इस नए कानून के तहत, पुलिस को अधिकार मिलेगा कि वे किसी भी समय मकान मालिकों के रिकॉर्ड की जांच कर सकें। विशेष रूप से हेड कांस्टेबल और उच्च पदस्थ अधिकारी यह जांच करेंगे कि क्या मकान मालिकों ने अपने किरायेदारों का विवरण सही तरीके से अधिकारियों को सौंपा है या नहीं।
मकान मालिकों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान
अगर कोई मकान मालिक समय पर या सही तरीके से किरायेदारों का विवरण सरकार को नहीं देता, तो उसे ₹10,000 तक का जुर्माना भरना पड़ेगा। यह जुर्माना उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के पास जमा करना होगा। मकान मालिकों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने किरायेदारों के दस्तावेज़, जैसे वोटर आईडी, आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि की पूरी जांच करें।
आंकड़े और सत्यापन प्रक्रिया
अब तक गोवा में लगभग 2 लाख किरायेदारों के दस्तावेज़ों का सत्यापन किया जा चुका है। इस प्रक्रिया से अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने और राज्य में पारदर्शिता को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। इससे न केवल सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।