लोन नहीं भरने वालों के लिए जरूरी सूचना, इन 5 अधिकारों से बैंक नहीं करेगा परेशान लोन न चुकाने पर बैंक या वित्तीय संस्थाएं ग्राहक पर दबाव नहीं डाल सकती और केवल कानूनी तरीकों से ही वसूली कर सकते है, और लोन रिकवरी एजेंट केवल सीमित समय में ही सम्पर्क कर सकते है।
आज के समय में किसी को भी लोन की जरूरत पड़ सकती है, और काफी लोग पैसे की जरुरत की पूर्ति के लिए लोन लेना पसंद करते है, लेकिन काफी लोग लोन को चुका नहीं पाते और इसी कारण डिफॉल्ट भी हो जाते है, इस कंडिशन लोन देने वाली संस्था या बैंक ग्राहक को तंग न करें तो उनके इस बर्ताव को लेकर काफी नियम बदल गए है।
अपने अधिकारों को समझें
बैंक और वित्त संस्थाओं को लोन वापस लेने के लिए सही तरीके को इस्तेमाल करना चाहिए, भले ही उन के पास रखी कानूनी तौर पर गिरवी प्रॉपर्टी पर उनका अधिकार होगा पर बिना किसी नोटिस के इस तरह नहीं कर सकते है, सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एन्ड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट अधिनियम से कर्जदारों को गिरवी रखी संपत्ति को जब्त करने का हक मिलता है, डिफॉल्ट करने से आपको अपराधी नहीं बनाया जा सकता पर आपके अधिकार भी छीने जा सकते है, बैंकों को आपकी संपत्ति पर कब्जा करने से पहले आपको लोन चुकाने का समय देना होगा यह एक रुप से प्रक्रिया मानी जाती है।
परफोर्मिंग एसेट को NPA में डाला जाता है, और जब वह बैंक का भुगतान 90 दिनों तक नहीं करता है, तो इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को 60 दिन का नोटिस देना पड़ता है, बैंक एसेट की बिक्री अगर सही समय पर नहीं हुई तो एसेट की बिक्री के लिए बैंक द्वारा 30 दिन और बढ़ाकर सार्वजनिक नोटिस जारी करना पड़ता है, इसमें बिक्री विवरण होना चाहिए।
एसेट की बिक्री से पहले बैंक को एसेट का मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता है, और साथ ही उनको नीलामी की डेट और रिजर्व प्राइज साथ ही समय भी बताना पड़ता है, और अगर संपत्ति को ले लिया जाता है, और उसकी नीलामी की जाती है तो लोन प्राप्त करने के बाद लेनदार को जी जितना धन अधिक है वो उसे मिलने का अधिकार है।