प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देशहित में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नेशनल मिशन ऑन इडिबल ऑयल्स – ऑयलसीड्स (NMEO-Oilseeds) लॉन्च किया है। इस मिशन का उद्देश्य भारत को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाना है और यह किसानों के लिए लाभकारी साबित होगा।
क्या है NMEO-Oilseeds मिशन?
NMEO-Oilseeds मिशन के तहत खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे। इस मिशन के जरिए देश में तिलहन की खेती को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत को खाद्य तेलों के लिए आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। केंद्रीय कैबिनेट द्वारा इस मिशन को मंजूरी दी गई है, जिससे देश को खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा फायदा होगा।
मिशन के प्रमुख उद्देश्य:
- खाद्य तेल उत्पादन बढ़ाना: इस मिशन का मुख्य लक्ष्य देश में खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ाना है। इससे किसानों को भी नई फसल उगाने के मौके मिलेंगे।
- तिलहन उत्पादन में वृद्धि: मिशन का लक्ष्य 2022-23 में 39 मिलियन टन तिलहन उत्पादन को 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन तक बढ़ाना है।
- टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा: इस मिशन के अंतर्गत किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों के जरिए तिलहन की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- फंड आवंटन: 2024-25 से 2030-31 तक सात साल की अवधि में इस मिशन पर 10,103 करोड़ रुपये का फंड खर्च किया जाएगा।
मिशन से देश को होने वाले लाभ
- किसानों की आय में वृद्धि: यह मिशन किसानों को नई फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे उनकी आय में भी इजाफा होगा।
- खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम होगी: मिशन के माध्यम से देश को खाद्य तेलों के आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
- कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव: खाद्य तेलों के उत्पादन के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियों का समर्थन किया जाएगा, जिससे कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी।
मिशन का दीर्घकालिक लक्ष्य
इस मिशन का उद्देश्य 2030-31 तक भारत को खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने सात साल का प्लान तैयार किया है, जिसके तहत तिलहन की खेती और उत्पादन में भारी वृद्धि की योजना बनाई गई है।
पीएम मोदी का कदम आत्मनिर्भरता की ओर
यह मिशन प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक हिस्सा है, जो देश को विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे न केवल खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता मिलेगी, बल्कि किसानों को भी नए अवसर मिलेंगे।