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Ancestral Property: पैतृक संपत्ति पर दावे के लिए मिलेगा इतना समय, क्या है नया नियम

क्या आप जानते हैं कि पुश्तैनी संपत्ति पर दावा करने के लिए सिर्फ 12 साल का समय है? समयसीमा खत्म होते ही आप अपना अधिकार खो सकते हैं। जानें कौन कर सकता है दावा, क्या हैं नियम और कैसे बचें संपत्ति विवाद से

By PMS News
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Ancestral Property: पैतृक संपत्ति पर दावे के लिए मिलेगा इतना समय, क्या है नया नियम
Ancestral Property: पैतृक संपत्ति पर दावे के लिए मिलेगा इतना समय, क्या है नया नियम

संपत्ति विवाद (property dispute) से जुड़े मामलों में सबसे आम कारण पुश्तैनी संपत्ति (ancestral property) पर दावा होता है। हालांकि, संपत्ति के नियमों और कानूनों की जानकारी की कमी के कारण लोग अक्सर विवादों में फंस जाते हैं। खासतौर पर जब यह बात पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार की आती है, तो कई बार लोग यह समझ नहीं पाते कि उनके पास कितने समय तक इसका दावा करने का अधिकार है।

कानून के मुताबिक, चार पीढ़ियों तक कोई भी व्यक्ति पुश्तैनी संपत्ति पर दावा कर सकता है, लेकिन इसके लिए एक निश्चित समय सीमा तय की गई है। अगर इस अवधि के भीतर दावा नहीं किया गया, तो व्यक्ति का संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो सकता है।

पुश्तैनी संपत्ति पर दावा करने की समय सीमा

कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के पास अपनी पुश्तैनी संपत्ति पर दावा करने के लिए 12 वर्ष की समय सीमा होती है। यह अवधि उस समय से शुरू होती है जब व्यक्ति को यह अहसास हो कि उसे उसकी संपत्ति से गलत तरीके से बेदखल किया गया है या वसीयत में उसका नाम शामिल नहीं किया गया।

अगर इस 12 वर्षों की अवधि के भीतर व्यक्ति दावा नहीं करता है, तो उसका पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार खत्म हो जाएगा। केवल उन्हीं मामलों में कोर्ट दावा स्वीकार कर सकता है, जब व्यक्ति के पास अपनी चूक का वैध कारण हो।

क्या छिन सकता है पैतृक संपत्ति में अधिकार?

पैतृक संपत्ति (ancestral property) पर अधिकार छिनना आसान नहीं है। भारतीय कानून के तहत माता-पिता केवल अपनी स्व-कमाई हुई संपत्ति (self-earned property) से ही बच्चों को बेदखल कर सकते हैं। हालांकि, कुछ असाधारण मामलों में कोर्ट ने बच्चों को पुश्तैनी संपत्ति से बेदखल करने की अनुमति दी है, लेकिन यह अपवाद के अंतर्गत आता है।

यदि कोर्ट इस तरह का फैसला देता भी है, तो यह कई कानूनी प्रक्रियाओं और सुनवाई के बाद ही संभव हो पाता है। इसके बावजूद यह शत-प्रतिशत तय नहीं होता कि फैसला माता-पिता के पक्ष में ही आएगा।

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क्या होती है पुश्तैनी संपत्ति?

पैतृक संपत्ति वह होती है, जो किसी व्यक्ति को उसके पिता, दादा या परदादा से प्राप्त होती है। लेकिन इसके लिए एक जरूरी शर्त यह है कि संपत्ति पर चार पीढ़ियों तक किसी भी प्रकार का बंटवारा न हुआ हो।

अगर किसी पीढ़ी में संपत्ति का विभाजन हो जाता है, तो वह संपत्ति पैतृक संपत्ति नहीं मानी जाती। उदाहरण के तौर पर, यदि माता-पिता को उनकी संपत्ति उनके दादा से विरासत में मिली है और इसका कोई बंटवारा नहीं हुआ है, तो यह पुश्तैनी संपत्ति होगी।

हालांकि, हर वह संपत्ति जो विरासत में मिलती है, उसे पैतृक संपत्ति नहीं कहा जा सकता।

विवादों से बचने के लिए सही जानकारी है जरूरी

पुश्तैनी संपत्ति को लेकर अक्सर परिवारों में विवाद हो जाते हैं। इसका एक मुख्य कारण कानून और अधिकारों की जानकारी का अभाव है। संपत्ति के मामलों में समय पर सही कदम उठाना और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना बेहद जरूरी है।

किसी भी संपत्ति विवाद से बचने के लिए लोगों को संपत्ति कानूनों की जानकारी रखनी चाहिए और समयसीमा का ध्यान रखना चाहिए। अगर किसी को लगता है कि उसे उसकी संपत्ति से वंचित किया गया है, तो उसे तुरंत कानूनी मदद लेनी चाहिए।

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