News

UPPCS_No_Normalisation: क्यों कर रहा ट्रेंड, और क्या है अभ्यर्थियों की मांगें?

UPPCS परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन लागू करने से अभ्यर्थियों का विरोध बढ़ता जा रहा है। क्या है इस विवाद की वजह, और कैसे प्रभावित होंगे आपके परिणाम? जानें अभ्यर्थियों की मांगें, नॉर्मलाइजेशन का असली मतलब, और UPPSC का रुख – पढ़ें पूरी खबर और जानें आपके भविष्य पर इसका क्या असर पड़ेगा!

By PMS News
Published on
UPPCS_No_Normalisation: क्यों कर रहा ट्रेंड, और क्या है अभ्यर्थियों की मांगें?

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का विरोध करने के लिए #UPPCS_No_Normalisation हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। इस विरोध की जड़ में अभ्यर्थियों की मांग है कि UPPSC परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन की बजाय सभी शिफ्टों में समान अवसर मिले।

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया क्या है?

नॉर्मलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अलग-अलग शिफ्ट में आयोजित परीक्षाओं के कठिनाई स्तर को समान करने का प्रयास किया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी अभ्यर्थियों के अंक निष्पक्षता से आंके जाएं, चाहे उन्होंने परीक्षा किस शिफ्ट में दी हो। यह प्रक्रिया उन परीक्षाओं में उपयोगी होती है जहां अलग-अलग शिफ्टों के प्रश्नपत्रों की कठिनाई स्तर में भिन्नता हो सकती है। कई सरकारी परीक्षाओं में यह तरीका अपनाया जाता है ताकि हर अभ्यर्थी के परिणाम की निष्पक्षता बनी रहे।

UPPCS में नॉर्मलाइजेशन से मचेगा हड़कंप? जानिए क्यों गुस्से में हैं लाखों अभ्यर्थी!

अभ्यर्थियों ने इस प्रक्रिया के विरोध में कुछ महत्वपूर्ण चिंताएं सामने रखी हैं:

1. पारदर्शिता की कमी

अभ्यर्थियों का मानना है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है। नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला और इसकी गणना का तरीका उन्हें समझ में नहीं आता, जिससे वे इसके निष्पक्ष होने पर संदेह करते हैं।

2. असमानता की संभावना

अलग-अलग शिफ्ट में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र के कठिनाई स्तर में अंतर का सामना करना पड़ता है। अभ्यर्थियों का कहना है कि इस प्रकार की प्रणाली उनके प्रतिस्पर्धी परिणामों को प्रभावित कर सकती है, और वे एक समान अवसर चाहते हैं।

3. पिछले अनुभवों से उत्पन्न असंतोष

UPPSC के पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षाएं आयोजित की गई हैं, जहां कई अभ्यर्थियों को नॉर्मलाइजेशन के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। इसका कारण यह बताया गया कि कठिन प्रश्नपत्र और आसान प्रश्नपत्र के बीच अंक संतुलन नहीं किया गया। इस कारण, अभ्यर्थी इस प्रक्रिया को फिर से लागू करने के खिलाफ हैं।

UPPSC का रुख और जवाब

UPPSC ने इस पर अपनी सफाई में कहा है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए ही अपनाई गई है। आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया का उपयोग उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है। इसके अलावा, कई प्रतिष्ठित परीक्षाओं में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है, जैसे कि रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) और कर्मचारी चयन आयोग (SSC) परीक्षाएं। आयोग का मानना है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से सभी अभ्यर्थियों के लिए निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित होती है।

क्या चाहते हैं अभ्यर्थी?

अभ्यर्थी इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए कुछ ठोस मांगें कर रहे हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

1. एक ही दिन और शिफ्ट में परीक्षा का आयोजन

अभ्यर्थियों का कहना है कि यदि UPPCS परीक्षाएं एक ही दिन और शिफ्ट में आयोजित की जाएं, तो नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। इस प्रकार का आयोजन होने से सभी अभ्यर्थियों को समान स्तर पर प्रतियोगिता का अवसर मिलेगा।

Also ReadBHU UG admission: बीएचयू यूजी प्रवेश के लिए जारी हुई नई सूची

BHU UG admission: बीएचयू यूजी प्रवेश के लिए जारी हुई नई सूची

2. नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता

अभ्यर्थी यह मांग कर रहे हैं कि यदि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू होती है, तो इसकी गणना और फॉर्मूला को अधिक पारदर्शी बनाया जाए। वे चाहते हैं कि UPPSC अभ्यर्थियों को स्पष्ट रूप से बताए कि नॉर्मलाइजेशन कैसे होता है और इसका फॉर्मूला क्या है।

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के लाभ और हानियाँ

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का उपयोग भारत में कई सरकारी परीक्षाओं में किया जाता है। इसके कुछ लाभ और हानियाँ इस प्रकार हैं:

लाभ:

  • यह प्रक्रिया अलग-अलग शिफ्टों में आयोजित परीक्षाओं में निष्पक्षता को बनाए रखती है।
  • अभ्यर्थियों के अंकों का तुलनात्मक विश्लेषण करना आसान होता है।
  • अलग-अलग प्रश्नपत्रों में कठिनाई स्तर का अंतर संतुलित हो जाता है।

हानियाँ:

  • प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी होती है, जिससे अभ्यर्थियों का विश्वास घटता है।
  • यह मानना कठिन है कि कठिनाई स्तर में अंतर पूरी तरह संतुलित हो पाएगा।
  • अभ्यर्थी इसे जटिल मानते हैं और सीधे परिणाम की बजाय संदेहपूर्ण मानते हैं।

अभ्यर्थियों के लिए सुझाव

यदि आप भी उन अभ्यर्थियों में से एक हैं जो UPPCS परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपके लिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:

  1. आधिकारिक वेबसाइट पर नियमित नजर रखें: UPPSC की सभी सूचनाएं और अधिसूचनाएं वेबसाइट पर ही जारी की जाती हैं। इन सूचनाओं को समझकर आप परीक्षा प्रक्रिया के प्रति अधिक जागरूक हो सकते हैं।
  2. तैयारी पर ध्यान केंद्रित करें: यह समय अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का है। नकारात्मकता और तनाव से बचें और अपनी तैयारी को और मजबूत करें।
  3. सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें: नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया का उद्देश्य निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें और परीक्षा की तैयारी पर फोकस करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया क्या है?
नॉर्मलाइजेशन एक सांख्यिकीय विधि है, जिसका उद्देश्य विभिन्न शिफ्टों में आयोजित परीक्षाओं के कठिनाई स्तर में अंतर को संतुलित करना है।

2. UPPSC ने नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया क्यों अपनाई है?
UPPSC ने परीक्षाओं की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई है, ताकि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर मिल सके।

3. अभ्यर्थियों की मुख्य चिंताएँ क्या हैं?
अभ्यर्थियों की मुख्य चिंताएँ हैं पारदर्शिता की कमी, असमानता की संभावना, और पिछले अनुभवों के आधार पर नकारात्मक प्रभाव।

4. क्या UPPCS इस विषय पर कोई बदलाव करेगा?
फिलहाल UPPSC ने नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को बनाए रखने का निर्णय लिया है। हालांकि, अभ्यर्थियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए आयोग में इसके सुधार पर विचार किया जा सकता है।

5. क्या अन्य परीक्षाओं में भी नॉर्मलाइजेशन होता है?
हाँ, नॉर्मलाइजेशन का उपयोग रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), कर्मचारी चयन आयोग (SSC) और अन्य परीक्षाओं में भी होता है।

Also ReadBig News: अब सरकार करेगी आपके पैसे बचाने का काम, आज से टेंशन लेना छोड़िए बन जाएगी लाइफ

Big News: अब सरकार करेगी आपके पैसे बचाने का काम, आज से टेंशन लेना छोड़िए बन जाएगी लाइफ

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें