इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में यह स्पष्ट किया है कि किसी कर्मचारी के सेवानिवृत्त या मृत होने के बाद उसकी विधवा पुत्री भी अनुकंपा नियुक्ति पाने का अधिकार रखती है। कोर्ट ने यह निर्णय BSNL के मृतक कर्मचारी की विधवा पुत्री की याचिका पर सुनाया, जिसमें उसे अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की गई थी।
कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
कोर्ट ने BSNL के महाप्रबंधक टेलीकॉम कार्यालय में तैनात रहे मृतक कर्मचारी की विधवा पुत्री पुनीता भट्ट उर्फ पुनीता धवन की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विधवा या विवाहित होने के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पुनीता धवन की अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि वह मृतक कर्मचारी की विधवा पुत्री है।
विधवा पुत्री को भी मिल सकता है अधिकार
कोर्ट ने कहा कि कानूनी दृष्टि से विधवा पुत्री भी मृतक कर्मचारी के परिवार के सदस्य के रूप में मानी जाती है और उसे अनुकंपा नियुक्ति का पूरा हक है। याचिका में यह भी दावा किया गया था कि बीएसएनएल ने उस दिशा-निर्देश को गलत तरीके से लागू किया था, जिसके तहत मृतक कर्मचारी की विधवा पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं करने दिया गया था।
फैसले का महत्व
यह फैसला उन मामलों के लिए महत्वपूर्ण है जहां विवाहित या विधवा होने के कारण अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज किया जाता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस निर्णय के जरिए स्पष्ट किया है कि विधवा या विवाहित होने के कारण किसी का हक नहीं छीना जा सकता। कोर्ट ने BSNL को आदेश दिया कि वह याची की अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर अगले दो महीने में गौर करे।
यह निर्णय इस बात को भी स्पष्ट करता है कि अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया में पारिवारिक स्थिति को आधार नहीं बनाया जा सकता, और योग्य व्यक्तियों को उनका हक मिलना चाहिए।