
पति की प्रॉपर्टी में पत्नी का हक कितना है, यह सवाल लंबे समय से भारतीय समाज में चर्चा का विषय रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि पत्नी के स्त्रीधन-Stridhan पर पति का कोई अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्त्रीधन, जो महिला को विवाह से पहले, विवाह के समय या विवाह के बाद उसके माता-पिता या ससुराल वालों से उपहार स्वरूप प्राप्त होता है, वह उसकी व्यक्तिगत संपत्ति होती है। अगर पति इस संपत्ति का इस्तेमाल करता है या उस पर कब्जा रखता है, तो वह अवैध होगा और पत्नी उसे वापस पाने की अधिकारी होगी।
यह फैसला उस केस से संबंधित है जिसमें एक महिला ने अपने गहनों की वापसी की मांग की थी। कोर्ट ने पाया कि महिला के गहने उसके पति और ससुराल वालों द्वारा रख लिए गए थे और वापस नहीं किए गए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पति को पत्नी को ₹25 लाख का हर्जाना देना होगा, क्योंकि उसने स्त्रीधन को सुरक्षित नहीं रखा और उसे वापस नहीं किया।
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पति की मृत्यु पर पत्नी का उत्तराधिकार
जब पति की मृत्यु हो जाती है और उसने कोई वसीयत नहीं बनाई होती, तब पत्नी को उसकी संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलता है। यह उत्तराधिकार कानून के अनुसार होता है, जिसमें पत्नी के अलावा पति के बच्चे, माता-पिता भी सह-वारिस होते हैं। हालांकि, यदि पति ने वसीयत बनाई है और उसमें पत्नी को केवल उपयोग का अधिकार दिया है, तो वह संपत्ति की मालकिन नहीं मानी जाएगी और वह संपत्ति न तो बेच सकती है और न ही किसी और को हस्तांतरित कर सकती है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी एक मामले में स्पष्ट किया था कि यदि वसीयत में पत्नी को केवल उपयोगकर्ता के रूप में नामित किया गया है, तो उसे मालिकाना हक नहीं मिलेगा। यह फैसला उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पति की संपत्ति पर स्थायी अधिकार की आशा करती हैं।
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पति की जीवित अवस्था में संपत्ति पर पत्नी का अधिकार
पति के जीवित रहते उसकी स्वयं की अर्जित संपत्ति पर पत्नी का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। हां, पत्नी को भरण-पोषण-maintenance और निवास-residence का अधिकार जरूर प्राप्त होता है। अगर पति पत्नी को छोड़ देता है या दोनों अलग रहते हैं, तो पत्नी अदालत के माध्यम से गुजारा भत्ता और रहने के लिए स्थान की मांग कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में यह भी कहा कि पत्नी को न केवल पति की व्यक्तिगत संपत्ति में बल्कि संयुक्त परिवार की संपत्ति में भी रहने का अधिकार है। यह निर्णय महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम और महिला अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14(1) के तहत, किसी भी महिला को प्राप्त संपत्ति उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली मानी जाती है। लेकिन धारा 14(2) में कुछ अपवाद हैं, जैसे कि यदि संपत्ति किसी विशेष शर्त के साथ दी गई हो, तो महिला केवल उपयोगकर्ता रह सकती है, मालिक नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस धारा को लेकर भी टिप्पणी की और कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं को समान अधिकार देने के लिए इस अधिनियम की व्याख्या व्यापक दृष्टिकोण से की जाए। एक बड़े पीठ के सामने इस पर अंतिम निर्णय आने की संभावना है, जो भविष्य में महिला अधिकारों के लिए मील का पत्थर बन सकता है।