वाराणसी के मदनपुरा इलाके में स्थित एक बंद मंदिर को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना बताया जा रहा है, जिसे ‘सिद्धिश्वर महादेव’ का मंदिर कहा जा रहा है। इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन स्कंध पुराण में भी मिलता है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले 40 वर्षों से यह मंदिर बंद पड़ा हुआ था और अब इसकी खोज ‘ढूंढे काशी’ नामक संस्था ने की है।
मंदिर की खोज के बाद हिंदू पक्ष ने यहां पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी है, लेकिन इस पर अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं, मुस्लिम समुदाय ने इसे अपने पूर्वजों की संपत्ति बताते हुए विवाद को भड़काने वाला करार दिया है।
1916 में खरीदी गई थी यह संपत्ति
मदनपुरा स्थित गोल चबूतरे के पास मकान संख्या D-31 के समीप यह मंदिर पाया गया है। मकान के वर्तमान निवासी शहाबुद्दीन ने बताया कि यह संपत्ति उनके पूर्वज ताज बाबा ने 1916 में करखी रियासत के एक रईस से खरीदी थी। उनका दावा है कि जब यह संपत्ति खरीदी गई थी, तब मंदिर के भीतर पूजा का कोई प्रमाण या सामग्री मौजूद नहीं थी। मकान बेचने वाले बंगाली परिवार ने शिवलिंग और अन्य पूजा सामग्री अपने साथ ले ली थी।
शहाबुद्दीन ने कहा, “हम मंदिर के स्वरूप को यथावत रखेंगे, लेकिन पूजा करने की अनुमति नहीं देंगे। 108 साल बाद इस मुद्दे को उठाना विवाद खड़ा करने के समान है।”
मंदिर के सामने जुटे लोग, हुआ तनाव
संस्था ‘ढूंढे काशी’ और सनातन रक्षक दल के सदस्य इस बंद मंदिर के सामने इकट्ठा होकर शंखनाद और ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष के साथ पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने लगे। मौके पर स्थिति बिगड़ने से पहले पुलिस बल ने पहुंचकर लोगों को वहां से हटा दिया।
प्रशासन ने एएसआई से मांगी मदद
एडीएम सिटी आलोक वर्मा और डीसीपी काशी जोन गौरव वंशवाल ने स्थिति का जायजा लिया और आवश्यक कार्रवाई शुरू की। एडीएम सिटी ने बताया कि प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज राजस्व विभाग से मंगाए गए हैं और पुरातत्व विभाग (ASI) से भी मदद ली जा रही है।
उन्होंने कहा, “दो-तीन दिनों के भीतर यह स्पष्ट हो जाएगा कि 1916 में संपत्ति की स्थिति क्या थी और समय के साथ इसमें क्या बदलाव हुए। पेपर वैध हैं या नहीं, इस पर भी जांच हो रही है।”
PAC की तैनाती और शांति बनाए रखने की अपील
स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए मंदिर के आसपास पीएसी (PAC) तैनात कर दी गई है। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
विद्वत परिषद ने विवाद को नया मोड़ दिया
श्री काशी विद्वत परिषद ने मंदिर को सिद्धिश्वर महादेव का पौराणिक स्थल मानते हुए अपने दावे को मजबूत किया है। परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने प्रशासन से मांग की है कि इस मंदिर में नियमित राग भोग और दर्शन-पूजन की व्यवस्था कराई जाए।
मुस्लिम समाज से अपील, हिंदुओं को सौंपा जाए मंदिर
विद्वत परिषद ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि इस ऐतिहासिक मंदिर पर अपना दावा छोड़कर इसे हिंदुओं को लौटा दिया जाए। परिषद का कहना है कि यह मंदिर सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से हिंदू समाज का है और इसे पूजा-अर्चना के लिए खोला जाना चाहिए।
विवाद का क्या होगा परिणाम?
अब प्रशासन और पुरातत्व विभाग की जांच के नतीजों पर यह निर्भर करेगा कि मंदिर की स्थिति और दावों का समाधान कैसे निकाला जाएगा। हालांकि, यह मामला सांप्रदायिक तनाव का कारण बन सकता है।