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नए साल में हाईवे से जुड़े नए नियम बदले, सड़क पर फर्राटा भरने से पहले रखें ध्यान

"केंद्र सरकार ने हाईवे और एक्सप्रेसवे पर मार्ग संकेतकों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो 24 जनवरी से लागू होंगे। इनका उद्देश्य सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाना है। इन साइन बोर्डों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है और इनके लिए मानक आकार और डिज़ाइन तय किए गए हैं।"

By PMS News
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नए साल में हाईवे से जुड़े नए नियम बदले, सड़क पर फर्राटा भरने से पहले रखें ध्यान
हाईवे से जुड़े नए नियम बदले

हाईवे और एक्सप्रेसवे पर सड़क सुरक्षा और यातायात की सुविधा में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने मार्ग संकेतकों (साइन बोर्डों) के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य सड़क उपयोगकर्ताओं को सटीक और समय पर जानकारी प्रदान करना है, जिससे दुर्घटनाओं को कम किया जा सके। यह दिशा-निर्देश 24 जनवरी से लागू होंगे और इनके तहत साइन बोर्डों को अधिक उपयोगी और मानक बनाने की कवायद की जाएगी।

स्पीड लिमिट की स्पष्ट जानकारी

सड़क परिवहन मंत्रालय के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी हाईवे और एक्सप्रेसवे पर वाहनों की स्पीड लिमिट (Speed Limit) की जानकारी स्पष्ट रूप से दी जाएगी। हर पांच किलोमीटर पर सड़क किनारे और डिवाइडर के बीच में यह बोर्ड लगाया जाएगा। इसके अलावा, अलग-अलग प्रकार के वाहनों की गति सीमा को एक पैटर्न में एक ही बोर्ड पर प्रदर्शित करने का प्रावधान किया गया है।

नो पार्किंग और क्रासिंग के संकेतक

नो पार्किंग (No Parking) के बोर्ड हर पांच किलोमीटर पर लगाना अनिवार्य होगा। यह कदम दुर्घटनाओं और ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसी तरह पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्रासिंग की सूचना पहले से ही देने का निर्देश दिया गया है। इससे सड़क पार करने में होने वाले जोखिमों को कम किया जा सकेगा।

रंबल स्ट्रिप्स और मर्जिंग ट्रैफिक की सूचना

रंबल स्ट्रिप्स (Rumble Strips) के पास चेतावनी देने के लिए कम से कम 250 मीटर पहले बोर्ड लगाने की आवश्यकता होगी। यह बोर्ड सौ और पचास मीटर की दूरी पर दोहराए जाएंगे। इसी तरह, मर्जिंग ट्रैफिक के लिए भी सूचना पहले से देने का प्रावधान किया गया है, जिससे ड्राइवर अपनी गति को समायोजित कर सकें।

साइन बोर्डों का मानकीकरण

नए दिशा-निर्देशों में साइन बोर्डों पर प्रयोग किए जाने वाले अक्षरों और संख्याओं का मानक आकार तय किया गया है। इसका उद्देश्य एकरूपता लाना और लोगों को साइनेज प्रणाली के प्रति अधिक जागरूक बनाना है। इससे सड़क पर संकेतों को पहचानने और समझने में आसानी होगी।

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दूसरे देशों के अनुभव से प्रेरणा

इन दिशा-निर्देशों को तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया, जिसने अंतरराष्ट्रीय अनुभव और सड़क सुरक्षा से जुड़े आंकड़ों का गहन अध्ययन किया। समिति की सिफारिशों के आधार पर यह सुनिश्चित किया गया कि भारतीय सड़कें अधिक सुरक्षित और यातायात प्रबंधन के लिए प्रभावी बनें।

संकेतकों की श्रेणियां

मार्ग संकेतकों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

  1. अनिवार्य संकेतक: इनमें गति सीमा (Speed Limit), नो एंट्री (No Entry), और नो पार्किंग (No Parking) जैसे संकेतक शामिल हैं।
  2. सचेत करने वाले संकेतक: इन संकेतकों का उद्देश्य सड़क उपयोगकर्ताओं को संभावित खतरों जैसे रंबल स्ट्रिप्स, ट्रैफिक मर्जिंग, और ओवरहेड केबल्स के बारे में चेतावनी देना है।
  3. सूचना संबंधी संकेतक: पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया, और अन्य सुविधाओं की जानकारी देने वाले संकेतक इसमें शामिल हैं।

जिम्मेदारी का सवाल

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि दिशा-निर्देश स्पष्ट हैं, लेकिन इन्हें लागू करने की जिम्मेदारी किसकी होगी, यह सुनिश्चित करना जरूरी है। यह जिम्मेदारी हाईवे पुलिस, सड़क निर्माता, टोल एजेंसियां, या एनएचएआई (NHAI) की हो सकती है। केवल गाइडलाइन बनाना पर्याप्त नहीं है; ईमानदारी से इनका पालन सुनिश्चित करना भी उतना ही जरूरी है।

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