दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए बच्चों के स्कूल बंद कर दिए गए थे और उनकी पढ़ाई ऑनलाइन मोड में संचालित हो रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि Commission for Air Quality Management (CAQM) यह तय करेगा कि स्कूल ऑफलाइन खोले जाएंगे या फिर हाइब्रिड मोड में कक्षाएं चलाई जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला बच्चों के मध्याह्न भोजन और ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए लिया है।
बढ़ते प्रदूषण ने रोकी स्कूलों की रफ्तार
दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंचने के बाद दिल्ली सरकार ने प्राथमिक स्कूलों को बंद करने और कक्षा 10 व 12 को छोड़कर सभी कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में संचालित करने का आदेश दिया था। इसके पीछे का कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का “गंभीर से अधिक” स्तर पर पहुंचना था।
गौरतलब है कि स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई और पोषण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। हर परिवार के पास ऑनलाइन शिक्षा के लिए आवश्यक तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, कई बच्चे मध्याह्न भोजन के लाभ से वंचित हो गए थे। यह मुद्दा कई अभिभावकों के लिए चिंता का कारण बन गया, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस समस्या को उठाया।
CAQM करेगा अंतिम निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि CAQM इस बात का फैसला करेगा कि स्कूल ऑफलाइन खोले जाएंगे या हाइब्रिड मोड में कक्षाएं जारी रहेंगी। हाइब्रिड मोड का अर्थ है कि कक्षाएं ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से संचालित की जा सकती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चौथे चरण के तहत लागू किए गए उपायों में से कुछ में छूट दी जा सकती है। इन उपायों में स्कूलों को बंद करने का निर्णय भी शामिल है।
GRAP के तहत उपाय और स्कूलों पर प्रभाव
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) एक ऐसी रणनीति है, जिसे दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया है। GRAP के चौथे चरण के तहत गंभीर वायु गुणवत्ता के दौरान कुछ कड़े उपाय लागू किए जाते हैं, जैसे:
- निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध
- ट्रकों की आवाजाही रोकना
- उद्योगों को बंद करना
- स्कूलों को बंद करना
हालांकि, इन उपायों का बच्चों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। स्कूल बंद होने से शिक्षा का अधिकार बाधित हो रहा था और बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास पर असर पड़ रहा था।
अभिभावकों की चिंता और कोर्ट की सहानुभूति
सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश की गई याचिका में कई अभिभावकों ने बताया कि हर घर में स्वच्छ हवा और ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बच्चों को घर पर ही रहने से कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कोर्ट ने इन तर्कों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि बच्चों की शिक्षा और पोषण से संबंधित अधिकारों की रक्षा करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी जोर दिया कि CAQM को इस मामले में संतुलन बनाना होगा, ताकि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
प्रदूषण के बावजूद स्कूल खोलने की उम्मीद
हालांकि, दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्कूल खोलने की उम्मीद जगी है। सरकार और प्रशासन को यह तय करना होगा कि स्कूल खोलने के दौरान बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए।
इसके लिए हाइब्रिड मोड एक व्यवहारिक विकल्प हो सकता है, जहां बच्चों को उनके अभिभावकों की सहमति से स्कूल जाने या घर से पढ़ाई करने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, स्कूलों में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए एयर प्यूरीफायर और अन्य तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
क्या कहती है दिल्ली सरकार?
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को देखते हुए स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अंतिम निर्णय CAQM द्वारा लिया जाएगा। सरकार और संबंधित एजेंसियां इस मामले में बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों के बीच संतुलन बनाने के प्रयास करेंगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश शिक्षा और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने के साथ-साथ बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना आवश्यक है। अब यह देखना होगा कि CAQM किस तरह का निर्णय लेता है और स्कूलों को खोलने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाते हैं।