रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंकों द्वारा ग्राहकों के खाते फ्रीज करने की प्रक्रिया को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। हाल के दिनों में यह देखा गया है कि कई बैंक उन खातों को फ्रीज कर रहे हैं, जिनमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के तहत सरकारी सब्सिडी, पेंशन और अन्य योजनाओं का पैसा आता है। यह न केवल ग्राहकों के लिए परेशानी का सबक बन रहा है, बल्कि यह RBI द्वारा निर्धारित नियमों का भी उल्लंघन है।
RBI के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने निजी क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों को चेतावनी देते हुए कहा कि केवाईसी (KYC) प्रक्रिया का पालन सहानुभूति और सटीकता के साथ किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी योजनाओं से जुड़े खातों को फ्रीज करने से पहले बैंकों को संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए और ग्राहकों को पूरी तरह से सूचित करना चाहिए।
केवाईसी और बैंकिंग सिस्टम में आई गड़बड़ियां
केवाईसी (KYC) बैंकिंग प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो ग्राहक के सत्यापन के लिए जरूरी है। हालांकि, बैंकों द्वारा इसे सही ढंग से लागू न करने के कारण बड़ी संख्या में ग्राहक प्रभावित हो रहे हैं। आरबीआई ने इस मामले में जो समस्याएं चिन्हित की हैं, वे निम्नलिखित हैं:
1. केवाईसी अपडेट में देरी
बैंक समय-समय पर ग्राहकों की केवाईसी को अपडेट करने में असफल हो रहे हैं। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब ग्राहक ने सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए होते हैं, लेकिन बैंक सिस्टम में जानकारी अपडेट नहीं कर पाता।
2. ग्राहकों के प्रति असहयोगात्मक रवैया
कई मामलों में बैंक स्टाफ ग्राहकों की सहायता करने में रूचि नहीं दिखाता। डॉक्यूमेंट्स लेने और प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में अनावश्यक देरी की जाती है। इससे ग्राहकों का कीमती समय बर्बाद होता है और उनकी परेशानी बढ़ती है।
3. होम ब्रांच पर निर्भरता
ग्राहकों को किसी अन्य शाखा से सेवा प्राप्त करने की सुविधा नहीं मिल रही है। उन्हें बार-बार उनकी होम ब्रांच भेजा जा रहा है, जो खासतौर पर ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए बड़ी चुनौती है।
4. कमजोर वर्गों पर प्रभाव
सीनियर सिटिजंस, पेंशनधारक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। उनके लिए बैंकिंग प्रक्रिया में देरी का मतलब उनकी जरूरतों में बाधा है।
5. सरकारी योजनाओं से जुड़े खातों का फ्रीज होना
आरबीआई के नियम स्पष्ट हैं कि सरकारी योजनाओं के तहत DBT वाले खातों को बिना पूरी प्रक्रिया के फ्रीज नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद बैंकों द्वारा यह गलती की जा रही है।
ग्राहकों को क्या समस्याएं हो रही हैं?
डिप्टी गवर्नर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकारी योजनाओं से जुड़े खातों का फ्रीज होना न केवल ग्राहकों को वित्तीय कठिनाई में डालता है, बल्कि बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता को भी कमजोर करता है।
ग्राहकों की प्रमुख समस्याएं
- पैसा खाते में होने के बावजूद फ्रीज की वजह से निकाल नहीं पाना।
- सब्सिडी, पेंशन, और अन्य सरकारी लाभों का रुक जाना।
- बार-बार बैंक शाखाओं के चक्कर लगाना।
- सीनियर सिटिजंस और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को ज्यादा मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं।
आरबीआई के निर्देश
आरबीआई ने बैंकों को निम्नलिखित निर्देश दिए हैं ताकि ग्राहकों को बेहतर सेवा मिल सके:
1. सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं
बैंकिंग प्रक्रियाओं में सहानुभूति और संवेदनशीलता का परिचय दिया जाए, खासकर कमजोर वर्ग के ग्राहकों के लिए।
2. KYC अपडेट में तेजी
ग्राहकों द्वारा दिए गए डॉक्यूमेंट्स को जल्द से जल्द और सही तरीके से अपडेट किया जाए ताकि उनके खातों का संचालन बाधित न हो।
3. DBT खातों को फ्रीज न करें
बिना वैध कारण के सरकारी योजनाओं के खातों को फ्रीज करने से बचा जाए। इससे जुड़े किसी भी निर्णय से पहले ग्राहकों को पूरी जानकारी दी जाए।
4. सीनियर सिटिजंस को प्राथमिकता
सीनियर सिटिजंस और पेंशनधारकों के मामलों में विशेष प्राथमिकता दी जाए और उनके लिए केवाईसी प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।
5. बेहतर प्रशिक्षण और स्टाफ की उपलब्धता
बैंकों को अपने स्टाफ को ग्राहकों की सहायता के लिए प्रशिक्षित करना होगा और शाखाओं में पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी।