प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन और उनकी शिक्षाएं भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में उनकी साख को दर्शाती हैं। उनके दर्शन और सत्संग में लोग दूर-दूर से आते हैं, जिनमें आम से लेकर खास लोग शामिल होते हैं। उनकी बातें जीवन को एक नई दिशा देती हैं। जो भी उनके उपदेशों को अपनाता है, वह न केवल सफल होता है, बल्कि आध्यात्मिक संतोष भी प्राप्त करता है।
प्रेमानंद जी महाराज का मुख्य संदेश है कि इंसान को जीवन में शांति और सद्मार्ग अपनाने पर जोर देना चाहिए। उनकी शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए है, बल्कि सामाजिक जीवन को भी सकारात्मक दिशा देती है।
माला जपते समय मौन का महत्व
माला जपते समय मौन रहना प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार बेहद जरूरी है। वह कहते हैं कि जब तक माला का जाप पूरा न हो जाए, तब तक किसी से बात नहीं करनी चाहिए। बात करने से जाप का प्रभाव कम हो जाता है और ध्यान भंग होता है। मौन रहकर जपने से मन एकाग्र रहता है और ईश्वर से जुड़ाव गहरा होता है।
भोजन के समय बातचीत से बचाव
महाराज जी के अनुसार, भोजन करते समय बात करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। जब इंसान खाने के दौरान बात करता है, तो सांस की नली खुल जाती है और भोजन गलत नली में फंस सकता है। इससे खांसी और दम घुटने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए भोजन को ध्यान और शांति से ग्रहण करना चाहिए।
शौच करते समय मौन क्यों जरूरी है?
आज के समय में लोग शौच करते समय मोबाइल पर बात करना आम बात समझते हैं। महाराज जी का कहना है कि ऐसा करने से शरीर के लिए हानिकारक कीटाणु शरीर के अंदर जा सकते हैं। यह आदत स्वास्थ्य के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है। शौच करते समय मौन रहना और मोबाइल का प्रयोग न करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
हवन के दौरान मौन का पालन
हवन करते समय मौन रहना आध्यात्मिक लाभ के लिए महत्वपूर्ण है। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि इस दौरान फिजूल की बातों से बचना चाहिए और मन को भगवान की प्रार्थना में लगाना चाहिए। मौन रहकर किया गया हवन व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
चलते समय बातचीत से बचें
रास्ते में चलते समय बात करने की आदत से न केवल ध्यान भटकता है, बल्कि यह असुरक्षित भी हो सकता है। प्रेमानंद जी महाराज की सलाह है कि चलते समय यदि किसी का फोन आए तो रुक कर बात करें। यह आदत न केवल सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि आपकी एकाग्रता भी बनाए रखती है।