अगर आप भी पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं, तो आपके लिए बड़ी खुशखबरी है। अब गन्ने के जूस से बनी इथेनॉल से चलने वाली कारें भारत में लॉन्च हो चुकी हैं। यह एक सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन प्रणाली है, जो न केवल आपकी जेब पर हल्का पड़ेगा, बल्कि देश के किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।
इथेनॉल फ्यूल वाली कार की लॉन्चिंग
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 29 अगस्त 2023 को भारत की पहली इलेक्ट्रीफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार को लॉन्च किया। इस कार को टोयोटा किर्लोस्कर मोटर द्वारा विकसित किया गया है, जो 40% बायो इथेनॉल और 60% इलेक्ट्रिक एनर्जी पर चलती है। यह दुनिया की पहली ऐसी कार है जो इस तकनीक पर आधारित है।
इथेनॉल क्या है और इसका फायदा?
इथेनॉल एक प्रकार का बायोफ्यूल है, जिसे गन्ने और मक्के जैसे फसलों से तैयार किया जाता है। भारत में गन्ने और मक्के का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है, जिससे यह ईंधन न केवल सस्ता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। इसकी कीमत लगभग 60 से 70 रुपये प्रति लीटर होती है, जो पेट्रोल से काफी कम है। इसका मतलब है कि इस ईंधन से चलने वाली कार का खर्च केवल 1 रुपये प्रति किलोमीटर होगा, जिससे यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी।
कार की विशेषताएं
- यह कार -15 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी सुचारू रूप से काम करेगी।
- इसका इंजन पूरी तरह से वाटर रेजिस्टेंट है, जिससे इसमें जंग लगने की संभावना नहीं है।
- इस कार का माइलेज अधिक है, जिससे इसे चलाना काफी किफायती साबित होगा।
प्रोटोटाइप लॉन्च, जल्द आम जनता के लिए उपलब्ध होगी
फिलहाल इस कार का प्रोटोटाइप तैयार किया गया है, और जल्द ही इसका प्रोडक्शन मॉडल आम जनता के लिए उपलब्ध होगा। नितिन गडकरी ने कहा है कि इस कार का निर्माण पूरी तरह भारत में किया गया है और यह देश के किसानों और उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित होगी।
किसानों के लिए लाभकारी
इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने और मक्के से किया जाता है, जो भारत में बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी, क्योंकि गन्ने से सीधे इथेनॉल का उत्पादन बढ़ने से किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा। यह कदम देश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगा।
इथेनॉल से चलने वाली इस कार का लॉन्च भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए एक बड़ा कदम है। यह न केवल पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों से राहत देगा, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा। इस तकनीक के आने से भारतीय किसानों और आम जनता दोनों को सीधा लाभ मिलेगा।