बरेली जिले में मुफ्त राशन योजना के तहत लाभ उठा रहे सैकड़ों लोगों के लिए बुरी खबर आई है। आपूर्ति विभाग ने जिले के कई परिवारों के राशन कार्ड को निरस्त कर दिया है, जिससे अब उन्हें मुफ्त गेहूं और चावल का लाभ नहीं मिल सकेगा। यह कार्रवाई मुख्य रूप से उन परिवारों पर की गई है, जिन्होंने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों से लोन लिया था और उनकी आय सरकारी मानकों से अधिक पाई गई।
बरेली में सैकड़ों राशन कार्ड क्यों हुए निरस्त?
राशन कार्डों के निरस्तीकरण का यह मामला उत्तर प्रदेश के बरेली जिले का है। सरकारी गाइडलाइन के अनुसार, राशन कार्ड के लिए पात्रता का निर्धारण परिवार की वार्षिक आय के आधार पर किया जाता है। शहरी क्षेत्रों में तीन लाख रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख रुपये तक की आय वाले परिवारों को ही राशन कार्ड दिए जाते हैं।
लेकिन जब कुछ परिवारों ने बैंकों से लोन लिया, तो उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर दिखाने के लिए अपनी आय बढ़ाकर प्रस्तुत की। बैंकों द्वारा लोन देने के लिए पैन कार्ड और आय से संबंधित दस्तावेजों का उपयोग किया गया, जिससे इन परिवारों की वार्षिक आय राशन कार्ड पात्रता की सीमा से अधिक हो गई। इसके परिणामस्वरूप, आपूर्ति विभाग ने इन परिवारों के राशन कार्डों को निरस्त कर दिया है।
शासन से मिली लिस्ट के आधार पर हुई कार्रवाई
आपूर्ति विभाग को मुख्यालय से एक सूची प्राप्त हुई, जिसमें उन लोगों के नाम शामिल थे जिन्होंने अपनी आय पांच लाख रुपये से अधिक दिखाते हुए बैंक से लोन लिया था या टैक्स जमा किया था। ऐसे लोगों को टैक्स पेयर और टीडीएस कटधारी मानते हुए उनके राशन कार्ड निरस्त कर दिए गए। विभाग का मानना है कि जो व्यक्ति बैंक के कर्ज की किस्त चुका सकता है, उसकी आय इतनी है कि वह सरकारी मुफ्त राशन योजना का लाभ नहीं ले सकता।
जिला पूर्ति अधिकारी नीरज सिंह ने बताया, “जिन लोगों का नाम शासन से प्राप्त सूची में है, उनके राशन कार्डों को निरस्त कर दिया गया है। यदि किसी जरूरतमंद व्यक्ति का राशन कार्ड गलती से निरस्त हो गया है, तो वह पुनः आवेदन कर सकता है। विभागीय जांच के बाद, यदि उसकी आय गाइडलाइन के अनुरूप पाई जाती है, तो उसे फिर से राशन कार्ड जारी किया जाएगा।”
कर्ज लेने से बदली आर्थिक स्थिति
यह देखा गया है कि कई लोगों ने बैंकों से लोन लेने के लिए अपनी आय को बढ़ाकर दिखाया था, जिससे उनकी वार्षिक आय सरकारी मानकों से अधिक हो गई। इसके चलते वे अब मुफ्त राशन योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे। शासन द्वारा भेजी गई सूची में ऐसे परिवारों के नाम शामिल थे, जिन्होंने खुद को समृद्ध दिखाने के लिए टैक्स जमा किया और पैन कार्ड का उपयोग किया।
राशन का लाभ लेने के लिए आवेदक की पात्रता
राशन कार्ड के लिए पात्रता का निर्धारण आय के आधार पर किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में एक परिवार की सालाना आय दो लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह सीमा तीन लाख रुपये तक है। इसके अलावा, जिन लोगों का नाम टैक्स पेयर या टीडीएस धारक के रूप में सामने आया है, वे भी इस योजना से बाहर कर दिए जाते हैं।
Bahut aacha huaa or bhi kahi log ese hi free ka rasan le rahe hai