
घर खरीदें या किराए पर रहें—यह सवाल आज की पीढ़ी के हर नौकरीपेशा, फ्रीलांसर और छोटे कारोबारी की सोच में शामिल है। खासतौर पर मेट्रो सिटीज़ और तेजी से विकसित होते टियर-2 शहरों में जहां प्रॉपर्टी के रेट आसमान छू रहे हैं और किराया भी हर साल बढ़ता जा रहा है, वहां यह फैसला लेना आसान नहीं होता। एक्सपर्ट्स की राय में यह एक ऐसा निर्णय है, जो पूरी तरह आपकी इनकम स्टेबिलिटी, भविष्य की योजनाओं और लाइफस्टाइल प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
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घर खरीदने के फायदे और जिम्मेदारियाँ
घर खरीदने का मतलब है एक स्थायी पता, भावनात्मक जुड़ाव और खुद की संपत्ति का सुकून। यह खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो एक ही शहर में लंबे समय तक रहना चाहते हैं और EMI चुकाने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, इसमें डाउन पेमेंट, रजिस्ट्रेशन चार्ज, मेंटेनेंस और प्रॉपर्टी टैक्स जैसी कई जिम्मेदारियां भी आती हैं, जो आपकी मासिक आय को काफी हद तक बांध देती हैं।
किराए पर रहना
किराए पर रहने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको बड़े फाइनेंशियल कमिटमेंट से राहत मिलती है। आप किराया देकर प्राइम लोकेशन में रह सकते हैं, जिससे ऑफिस, स्कूल और जरूरी सुविधाओं तक पहुंच आसान हो जाती है। इसके अलावा, किराए पर रहकर आप निवेश के दूसरे विकल्प जैसे म्यूचुअल फंड्स, SIP या IPO जैसे विकल्पों में पैसा लगाकर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं।
ईएमआई बनाम किराया
फाइनेंशियल रूप से देखें तो यदि किसी व्यक्ति की इनकम ₹1 लाख प्रति माह है और वह ₹25,000 की EMI चुका सकता है, तो उसे लॉन्ग टर्म में घर खरीदने का फायदा हो सकता है। लेकिन वही व्यक्ति अगर ₹15,000 किराए में रहकर बाकी ₹10,000 किसी अच्छे SIP में निवेश करता है, तो वह भी 15–20 साल में अच्छी संपत्ति बना सकता है। यही वह तुलना है जहां अधिकतर लोग उलझ जाते हैं, और यहीं पर एक्सपर्ट्स की सलाह आती है कि आप अपनी वित्तीय प्लानिंग का विश्लेषण करें।
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लोकेशन और रिन्यूएबल एनर्जी वाले प्रोजेक्ट्स का असर
रियल एस्टेट मार्केट में अभी कई लोकेशनों पर रिन्यूएबल एनर्जी-Infrastructure आधारित प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिससे भविष्य में प्रॉपर्टी की वैल्यू appreciable हो सकती है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति रणनीतिक लोकेशन में घर खरीदता है तो वह उसे आगे चलकर रेंटल इनकम या रीसेल वैल्यू के रूप में फायदेमंद हो सकता है।
नई पीढ़ी का नजरिया
आज की युवा पीढ़ी में यह ट्रेंड बढ़ रहा है कि वे घर खरीदने की जगह किराए पर रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसका कारण है तेजी से बदलती जीवनशैली, करियर में गतिशीलता और फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस। वे अपनी इनकम को स्थायी संपत्ति में फिक्स करने की बजाय उसे अनुभव, शिक्षा, यात्रा और निवेश में लगाना बेहतर मानते हैं।
स्थायित्व बनाम लचीलापन
अगर आपके पास स्थायी नौकरी है, आप शादीशुदा हैं और आपके बच्चे स्कूल जा रहे हैं, तो एक स्थायी घर आपके लिए मानसिक शांति और सामाजिक प्रतिष्ठा का जरिया बन सकता है। वहीं अगर आप स्टार्टअप चला रहे हैं, फ्रीलांस काम कर रहे हैं या करियर में बदलाव की संभावना है, तो किराए पर रहना फिलहाल एक स्मार्ट ऑप्शन हो सकता है।
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