
भारत की आर्थिक संरचना में टैक्स का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है और इसमें कुछ राज्य ऐसे हैं जो केंद्र सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स देकर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बने हुए हैं। टैक्स संग्रहण के आंकड़ों को देखें तो स्पष्ट होता है कि भारत की टैक्स इनकम का बड़ा हिस्सा सिर्फ पांच राज्यों से आता है। 2024-25 के लिए जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश के कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का 72% और सेंट्रल जीएसटी का 53% केवल महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात जैसे औद्योगिक रूप से अग्रणी राज्यों से आता है।
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महाराष्ट्र: देश का सबसे बड़ा टैक्सदाता राज्य
इनमें सबसे आगे है महाराष्ट्र, जो न केवल टैक्स के मामले में बल्कि औद्योगिक और वित्तीय गतिविधियों में भी देश का सिरमौर बना हुआ है। मुंबई, जिसे भारत की वित्तीय राजधानी भी कहा जाता है, महाराष्ट्र की टैक्स रैंकिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 2024-25 के बजटीय अनुमानों के अनुसार, राज्य का अपना टैक्स राजस्व ₹3.43 लाख करोड़ है, जिसमें ₹1.55 लाख करोड़ केवल राज्य GST यानी SGST से आता है। यह आंकड़ा देश के किसी भी अन्य राज्य से कहीं अधिक है, जो इसे टैक्स देने के मामले में नंबर वन बनाता है।
कर्नाटक: टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप की ताकत
महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा टैक्सदाता राज्य है कर्नाटक। बेंगलुरु की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुख्यालय के कारण कर्नाटक केंद्र सरकार को बड़ा डायरेक्ट टैक्स देता है। इस राज्य की आर्थिक संरचना सेवा क्षेत्र और IT सेक्टर पर आधारित है, जो देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी गति देती है।
दिल्ली: सेवा क्षेत्र से बनता है टैक्स हब
तीसरे स्थान पर आता है राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, जहां सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र की सेवाएं मजबूत हैं। दिल्ली में व्यावसायिक गतिविधियों, उच्च आय और खुदरा व्यापार की तीव्रता ने इसे टैक्स देने वाले राज्यों की टॉप लिस्ट में शामिल किया है। दिल्ली की टैक्स संरचना मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र पर आधारित है, जो देश की कुल सेवा कर इनकम में बड़ा योगदान देता है।
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तमिलनाडु: विनिर्माण और निर्यात में अग्रणी
टैक्स देने वाले चौथे राज्य के रूप में तमिलनाडु का नाम आता है। दक्षिण भारत का यह राज्य उद्योग, निर्यात और विनिर्माण गतिविधियों में अग्रणी है। चेन्नई, कोयंबटूर और मदुरै जैसे शहरों में स्थित मैन्युफैक्चरिंग हब और ऑटोमोबाइल सेक्टर के कारण तमिलनाडु केंद्र सरकार को नियमित रूप से उच्च मात्रा में टैक्स देता है। इसके अलावा, राज्य की नीति भी व्यवसायिक अनुकूलता के लिए जानी जाती है।
गुजरात: व्यापार और निर्यात का मजबूत आधार
गुजरात इस लिस्ट में पांचवें स्थान पर है। यहां अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट जैसे शहरों में स्थापित उद्योग और व्यापारिक नेटवर्क इसकी टैक्स शक्ति का मुख्य आधार हैं। गुजरात की व्यापारिक संस्कृति, निर्यात केंद्रों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों ने इसे देश के अग्रणी टैक्सदाता राज्यों की सूची में शामिल किया है। यह राज्य न केवल डायरेक्ट टैक्स में बल्कि जीएसटी-GST और कस्टम ड्यूटी जैसे अप्रत्यक्ष करों में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
टैक्स योगदान में राज्यों की प्रतिस्पर्धा और संभावना
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि भारत की टैक्स प्रणाली में कुछ चुनिंदा राज्य ही प्रमुख भूमिका निभाते हैं। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि अन्य राज्य पीछे हैं। कई राज्य तेजी से उभरते हुए औद्योगिक और सेवा केंद्र बन रहे हैं, जिनसे आने वाले वर्षों में टैक्स संग्रहण में विविधता देखने को मिलेगी। केंद्र सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह इन उच्च टैक्सदाता राज्यों को विशेष प्रोत्साहन और सुविधाएं दे, ताकि उनकी आर्थिक गति बनी रहे और राष्ट्रीय स्तर पर संतुलित विकास सुनिश्चित किया जा सके।
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