अगर आप किसी भी प्रकार की संपत्ति खरीदते हैं और रजिस्ट्री (Registry) करवाकर यह सोचते हैं कि आप उसके मालिक बन गए हैं, तो यह आपकी बड़ी गलतफहमी है। रजिस्ट्री भले ही संपत्ति के लिए एक अहम दस्तावेज हो, लेकिन यह आपको मालिकाना हक नहीं दिलाता। असली मालिकाना हक तभी माना जाता है जब संपत्ति का नामांतरण यानी म्यूटेशन (Mutation) किया जाता है।
रजिस्ट्री के बाद भी जरूरी है म्यूटेशन
जानकारी के अनुसार, रजिस्ट्री संपत्ति के लिए एक कानूनी दस्तावेज है, लेकिन यह अपने आप संपत्ति का मालिकाना हक सुनिश्चित नहीं करता। लोग अक्सर यह सोचकर निश्चिंत हो जाते हैं कि रजिस्ट्री के बाद उनकी संपत्ति पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन, भविष्य में किसी भी विवाद से बचने के लिए यह जरूरी है कि रजिस्ट्री के साथ-साथ म्यूटेशन की प्रक्रिया को भी पूरा किया जाए।
सेल डीड और म्यूटेशन में अंतर
सेल डीड (Sale Deed) और नामांतरण (Mutation) को एक ही मानना एक आम गलतफहमी है। सेल डीड संपत्ति की खरीद का दस्तावेज होता है, जबकि म्यूटेशन संपत्ति के रिकॉर्ड में नाम बदलने की प्रक्रिया है। जब तक म्यूटेशन नहीं होता, संपत्ति कानूनी रूप से आपके नाम नहीं मानी जाती।
नामांतरण न होने के नुकसान
यदि आपने संपत्ति खरीदी है और उसका नामांतरण नहीं करवाया है, तो कानूनी तौर पर उस संपत्ति पर आपका पूरा अधिकार नहीं माना जाएगा। इसका मतलब है कि कोई भी तीसरा व्यक्ति इस संपत्ति पर दावा कर सकता है।
तीन प्रकार की संपत्तियों का नामांतरण
भारत में संपत्ति को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
- खेती की जमीन: ऐसी जमीन का नामांतरण पटवारी द्वारा किया जाता है।
- आवासीय जमीन और मकान: इनका रिकॉर्ड नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद, या ग्राम पंचायत के पास होता है।
- औद्योगिक जमीन: औद्योगिक जमीन से संबंधित रिकॉर्ड औद्योगिक विकास केंद्र में मौजूद होता है।
संपत्ति के नामांतरण के लिए संबंधित कार्यालय में दस्तावेज जमा करने और म्यूटेशन फीस का भुगतान करने की प्रक्रिया होती है।
कैसे करवाएं नामांतरण?
संपत्ति का नामांतरण करवाने के लिए आपको इन स्टेप्स का पालन करना होगा:
- संपत्ति के दस्तावेज जमा करें: रजिस्ट्री और अन्य दस्तावेज संबंधित कार्यालय में जमा करें।
- म्यूटेशन फीस का भुगतान करें: नामांतरण प्रक्रिया के लिए तय शुल्क अदा करें।
- रिकॉर्ड की जांच करें: सुनिश्चित करें कि आपका नाम संबंधित रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है।
खेती की जमीन का नामांतरण
खेती की जमीन के लिए नामांतरण प्रक्रिया पटवारी हल्के के पटवारी द्वारा पूरी की जाती है। आपको अपने क्षेत्र के पटवारी से संपर्क करके नामांतरण के लिए आवेदन करना होगा।
आवासीय जमीन का नामांतरण
आवासीय संपत्तियों के नामांतरण का रिकॉर्ड नगर निगम, नगर पालिका या ग्राम पंचायत में उपलब्ध होता है। वहां संबंधित कार्यालय में दस्तावेज जमा करके प्रक्रिया पूरी की जाती है।
औद्योगिक जमीन का नामांतरण
औद्योगिक जमीन से संबंधित जानकारी औद्योगिक विकास केंद्र में मिलती है। वहां जाकर आप रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा सकते हैं।
नामांतरण की जानकारी कहां से मिलती है?
संपत्ति के नामांतरण की जानकारी संबंधित सरकारी कार्यालयों से प्राप्त की जा सकती है। खेती की जमीन के लिए पटवारी, आवासीय जमीन के लिए नगर निकाय और औद्योगिक जमीन के लिए औद्योगिक विकास केंद्र से संपर्क किया जा सकता है।