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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 12 साल से जिसका अवैध कब्जा, जमीन उसकी

अगर आपकी प्रॉपर्टी पर किसी ने अवैध कब्जा कर रखा है, तो 12 साल के भीतर कार्रवाई न करने पर आप हमेशा के लिए उसका हक खो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले में जानें क्यों जरूरी है समय पर कदम उठाना और कैसे कब्जाधारी को मिल सकता है कानूनी अधिकार।

By PMS News
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिससे प्रॉपर्टी विवाद के मामलों में गहरी जानकारी सामने आई है। कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी अचल संपत्ति पर कोई अवैध कब्जा जमा लेता है और संपत्ति के वास्तविक मालिक ने 12 वर्षों तक इसे चुनौती नहीं दी, तो वह संपत्ति अवैध कब्जाधारी के पक्ष में चली जाएगी। इस फैसले ने प्रॉपर्टी कानून के तहत सीमाओं को और स्पष्ट किया है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 12 साल से जिसका अवैध कब्जा, जमीन उसकी
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 12 साल से जिसका अवैध कब्जा, जमीन उसकी

12 वर्षों में उठाना होगा कदम, वरना कानूनी अधिकार खो सकते हैं

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यदि असली मालिक 12 वर्षों के भीतर अपनी संपत्ति को वापस पाने के लिए कार्रवाई नहीं करता, तो उसकी कानूनी अधिकारिता समाप्त हो जाएगी। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि यह नियम केवल निजी अचल संपत्ति पर लागू होता है, जबकि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को किसी भी परिस्थिति में मान्यता नहीं दी जा सकती।

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कानून का दायरा, निजी और सरकारी संपत्ति में अंतर

इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल निजी संपत्तियों पर इस प्रावधान का असर पड़ेगा। सरकारी संपत्तियों पर कब्जा किसी भी परिस्थिति में वैध नहीं माना जाएगा, और उस पर अवैध कब्जे को कभी कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती। यह सरकारी संपत्ति की सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है, ताकि सरकारी भूमि का अवैध उपयोग न हो।

क्यों जरूरी है समय पर कदम उठाना?

यह फैसला निजी संपत्ति के मामलों में समयसीमा के महत्व को स्पष्ट करता है। यदि कोई संपत्ति पर 12 वर्षों तक अपना हक जताने में विफल रहता है, तो वह कानूनी अधिकार खो सकता है। लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत यह समय सीमा निर्धारित की गई है, जो एक तरह से संपत्ति के वास्तविक मालिक के लिए चेतावनी है कि समय पर कार्रवाई करना अनिवार्य है।

  1. निजी संपत्ति का दावा: अगर किसी ने आपकी संपत्ति पर अवैध कब्जा कर रखा है, तो 12 वर्षों के भीतर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। यदि इस समयसीमा के भीतर कोई कदम नहीं उठाया गया, तो कब्जाधारी को कानूनी मान्यता मिल सकती है।
  2. सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जे का कानून: हालांकि, यह प्रावधान सरकारी संपत्तियों पर लागू नहीं होता। किसी भी परिस्थिति में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा मान्य नहीं होगा, और उस पर कब्जाधारी को कानूनी हक नहीं मिल सकता।

फैसले के कानूनी पहलू: कैसे मिल सकता है अवैध कब्जाधारी को अधिकार?

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस ए. अब्दुल नजीर और जस्टिस एम.आर. शाह शामिल थे, ने लिमिटेशन एक्ट 1963 के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति 12 साल तक किसी संपत्ति पर अवैध कब्जा बनाए रखता है, तो वह कानूनी रूप से उस संपत्ति का मालिक बन सकता है।

  1. अधिकार (राइट), मालिकाना हक (टाइटल), और हिस्सा (इंट्रेस्ट)
    यदि कोई व्यक्ति 12 साल तक एक संपत्ति पर कब्जा जमाए रखता है, तो वह कानूनी रूप से उसका मालिक बन सकता है। इसका मतलब है कि अगर वास्तविक मालिक उस पर पुनः कब्जा करने का प्रयास करता है, तो अवैध कब्जाधारी को कानूनी संरक्षण मिलेगा।
  2. प्रतिवादी का सुरक्षा कवच
    इस मामले में, अवैध कब्जाधारी के लिए यह कानून एक सुरक्षा कवच का कार्य करेगा। यदि उस पर जबरदस्ती कब्जा हटाने का प्रयास किया जाता है, तो वह कानूनी प्रक्रिया के तहत अपनी सुरक्षा के लिए अदालत में जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का महत्व

इस फैसले ने यह साफ कर दिया है कि निजी संपत्तियों के मामलों में विलंबित दावे का कोई स्थान नहीं है। लिमिटेशन एक्ट के तहत 12 वर्षों के भीतर मालिक को अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए कानूनी कदम उठाना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है, तो कब्जाधारी कानूनी रूप से संपत्ति का मालिक बन सकता है।

फैसले के आधार पर यह सावधानियाँ बरतें

  1. समयसीमा के भीतर कार्रवाई करें: यदि किसी ने आपकी संपत्ति पर कब्जा कर रखा है, तो समय पर कदम उठाएं ताकि भविष्य में किसी विवाद से बचा जा सके।
  2. लिमिटेशन एक्ट की जानकारी रखें: यह एक्ट बताता है कि निजी संपत्ति के मामलों में 12 साल की समयसीमा है, जबकि सरकारी संपत्ति के मामलों में यह समय सीमा 30 साल है। यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है।
  3. कानूनी सहायता प्राप्त करें: अगर आपके सामने ऐसा मामला है, तो तुरंत कानूनी सहायता प्राप्त करें।

इस सिद्धांत के बारे में क्या कहता है कानून?

भारत में Adverse Possession का सिद्धांत भारतीय कानूनी प्रणाली के तहत होता है, और यह भारतीय संविधान और भारत के नागरिक संहिता (Civil Code) से जुड़ा हुआ है। इसके बारे में भारतीय कानून, विशेष रूप से भारतीय सीमांत अधिनियम 1963 (Limitation Act, 1963) में प्रावधान देता है।

प्रमुख प्रावधान:

  • Limitation Act, 1963 के तहत, अगर कोई व्यक्ति 12 वर्षों तक निरंतर और बिना विरोध के किसी संपत्ति पर कब्जा करता है, तो उसे उस संपत्ति का मालिक माना जा सकता है।
  • इस कब्जे में शर्तें होती हैं, जैसे कि कब्जा शांतिपूर्वक और सार्वजनिक रूप से होना चाहिए। साथ ही, व्यक्ति को उस संपत्ति पर कोई अवैध कब्जा या धोखाधड़ी नहीं करनी चाहिए।

Adverse Possession की कुछ महत्वपूर्ण शर्तें:

  1. निरंतर कब्जा (Continuous Possession): कब्जा निरंतर होना चाहिए, यानी वह व्यक्ति संपत्ति पर बिना किसी रुकावट के 12 साल तक काबिज़ रहता है।
  2. शांतिपूर्वक कब्जा (Peaceful Possession): कब्जा बिना किसी हिंसा या विवाद के होना चाहिए।
  3. कानूनी मालिक का ज्ञान (Knowledge of the Owner): यह भी आवश्यक है कि कानूनी मालिक को यह जानकारी हो कि उसके खिलाफ कब्जा किया जा रहा है, या वह संपत्ति पर कब्जे के बारे में जानता हो।

केस:

भारत में इस विषय से संबंधित कई उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले हैं, जिनमें सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर निर्णय दिए हैं। उदाहरण के लिए:

  1. K.K. Verma vs. Union of India (1954) – इस केस में अदालत ने यह तय किया था कि अगर किसी संपत्ति पर 12 साल तक लगातार कब्जा किया जाता है, तो वह कब्जेदार उस संपत्ति का मालिक बन सकता है।
  2. P. T. Munichikkanna Reddy v. Revamma (2007) – सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि Adverse Possession का अधिकार तभी लागू होगा जब कब्जा कानून के अनुसार शांतिपूर्वक, निरंतर और अवैध तरीके से न हो।

Adverse Possession (दुष्परिणाम काबिज़ी) से संबंधित मामलों में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के केस नंबर और विवरण निम्नलिखित हैं:

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1. P. T. Munichikkanna Reddy v. Revamma (2007)

  • केस नंबर: (2007) 6 SCC 59
  • न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय
  • संक्षिप्त विवरण: इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि Adverse Possession का अधिकार केवल तभी लागू होता है जब व्यक्ति ने संपत्ति पर शांति और निरंतर कब्जा किया हो, और इसके साथ ही यह भी कहा कि यदि मालिक का कब्जा नहीं हो रहा है, तो ही दुष्परिणाम काबिज़ी का सिद्धांत लागू हो सकता है।

2. K.K. Verma v. Union of India (1954)

  • केस नंबर: AIR 1954 SC 520
  • न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय
  • संक्षिप्त विवरण: इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह तय किया कि एक व्यक्ति यदि किसी संपत्ति पर 12 वर्षों तक बिना किसी विवाद के कब्जा करता है, तो वह उस संपत्ति का मालिक बन सकता है, बशर्ते वह कब्जा शांति से हो और मालिक का विरोध न हो।

3. R. N. Sahoo v. G. N. Sahoo (2003)

  • केस नंबर: AIR 2003 SC 3390
  • न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय
  • संक्षिप्त विवरण: इस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने इस सिद्धांत को लागू किया कि Adverse Possession का अधिकार प्राप्त करने के लिए कब्जेदार को 12 साल तक निरंतर कब्जा करना जरूरी है और यह कब्जा अवैध, हिंसक या धोखाधड़ी से मुक्त होना चाहिए।

4. State of Haryana v. Mukesh Kumar (2011)

  • केस नंबर: (2011) 10 SCC 93
  • न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय
  • संक्षिप्त विवरण: इस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अगर किसी सरकारी संपत्ति पर किसी व्यक्ति ने 12 साल तक काबिज़ी कर रखी है और सरकार ने कोई कानूनी कदम नहीं उठाया, तो उस व्यक्ति को Adverse Possession के तहत अधिकार मिल सकता है।

5. K.K. Verma v. Union of India (1954)

  • केस नंबर: AIR 1954 SC 520
  • न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय
  • संक्षिप्त विवरण: इस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने Adverse Possession के सिद्धांत को मान्यता दी और यह निर्णय लिया कि यदि किसी संपत्ति पर कोई व्यक्ति शांति से 12 साल तक कब्जा करता है, तो वह उस संपत्ति का मालिक बन सकता है, भले ही उसका कब्जा कानूनी रूप से गलत क्यों न हो।

इन फैसलों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति 12 साल तक किसी संपत्ति पर बिना विवाद और शांतिपूर्वक कब्जा करता है, तो उसे Adverse Possession के आधार पर उस संपत्ति का मालिक माना जा सकता है।

पूछे जानें वाले प्रश्न

1. क्या 12 वर्षों के बाद अवैध कब्जाधारी संपत्ति का मालिक बन सकता है?
हां, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, 12 वर्षों के बाद यदि वास्तविक मालिक ने कोई कदम नहीं उठाया, तो कब्जाधारी कानूनी तौर पर संपत्ति का मालिक बन सकता है।

2. क्या सरकारी जमीन पर भी यह नियम लागू होता है?
नहीं, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को किसी भी समय वैध नहीं माना जाएगा।

3. 12 वर्ष की सीमा कैसे लागू होती है?
लिमिटेशन एक्ट 1963 के अनुसार, 12 वर्षों की अवधि कब्जा होने के दिन से शुरू होती है।

4. इस फैसले का मालिक पर क्या प्रभाव पड़ता है?
यदि वास्तविक मालिक ने समय पर कदम नहीं उठाया, तो वह अपनी संपत्ति का कानूनी अधिकार खो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति का असली मालिक समय पर कानूनी कार्रवाई करें। लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत तय की गई समयसीमा में कदम उठाना न केवल संपत्ति की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि कानूनी अधिकार को बचाने के लिए भी अनिवार्य है।

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84 thoughts on “सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 12 साल से जिसका अवैध कब्जा, जमीन उसकी”

  1. किसी का जमीन चाचा दाऊ ने हरप लिया है वह जब बालीक होता फिर कानून मे जाता तब उसका समय होगा 40 साल तो किया

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  2. ये क्या बकवास है।किसी की जमीन पर कब्जा करने की छूट दे रही है कोर्ट। हिंदुस्तान में बेकार लोगों की कमी नहीं है जो अभी भी कई सालों से जमीन और वो भी गवर्नमेंट की जमीन पर पॉलिटिक्स की वजह से बसाए गए हैं।

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  3. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला गलत है क्योंकि अगर कोई गरीब व्यक्ति मुकदमा लड़ने मे सक्षम नहीं है तो वह व्यक्ति तो आत्महत्या कर लेगा इस तरह तो हर बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाएगी बल्कि सुप्रीम कोर्ट को ये फैसला देना चाहिए कि जिसने भी कब्ज़ा कर रखा है उसको 20साल की गैर जमानती जेल और उस कब्जे की जमीन की कीमत का 10 गुना जुर्माना दिया जाना चाहिए

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  4. m apne ghr me by birth reh Raha hu or mere chacha ne mere dada se wo jameen apne naam krwa li ha or kabja mera ha to kya muje ghr Khali Krna padega kya ma pichle 40 saal se wahi reh reha hu muje kya Krna chahiye koi bta sakta ha kya

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  5. यह फैसला गलत हैं,यही नियम सरकारी जमीन मे भी लागू हो.भू माफिया इसिका फायदा गलत तरी केसे उठाते है.jiski jamin ओ उसिकी रहणी चाही हैं.यह सरसर काणून का अन्याय है.तथा यह कानुन बनणे वाले मंध बुध्दी है……..etc

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  6. यह कैसा न्याय है, सरकारी जमीन के कब्जे का मालिकाना हक प्राप्त नहीं हो सकता है लेकिन किसी की निजी जमीन पर कोई कब्जा कर ले तो कब्जा करने वाले को मालिकाना हक प्राप्त हो जाएगा।
    ऐसे में गुंडे मवाली किसी भी राजनीतिक दल के सह पर किसी भी निरह कमजोर साधारण व्यक्ति की जमीन हथिया लेंगे जो कानूनन जायज़ भी होगी। आज जबकि सरकारी जमीनों पर ही ज्यादातर अवैध कब्जा है और उसे सरकार जब चाहे कभी भी खाली करवा सकती है। वाह रे भारतीय न्याय प्रक्रिया!

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  7. फैसला देने वाले जजों का नाम बता दिया। किसकी याचिका पर उक्त फैसला दिया गया और किस वर्ष में यह भी बताना चाहिए।

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  8. १२ साल से ज्यादा रह रहे किराएदार भी उसके कब्जे के घर की जमीन का मालिक बन सकता हैं?

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  9. Ye supreme court ke judge kaun hote hain kisi ki niji sampatti ko faltu btane ki. Inme bhi vidharmi baithe hain tabhi toh jameen jihad kr payege ye log

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  10. Yadi koi 3 logo ki petrik sampaat hai or uski dekh bhaal kewal ek pakch 50 Salo se karta a raha hai to us par yadi sampatti ka ek pakch Adhikar claim kar sakta hai..yadi ha tb building maintenence ka expenditure kese settle hoga

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  11. याचिका किसने लगाया है और कौन से वर्ष का फैसला है। बताना चाहिए

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  12. हम 18 साल से एके जगह पर हैं, सब कुछ अपने ही पैसे से बाथरूम में पानी पीते हैं और अपने मालिक को हफ्ता देते हैं और 50 रुपये देते हैं।

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  13. गांव बुढेडा सरसावा सहारनपुर में सार्वजनिक सम्पत्ति तालाब रास्ते नाली बजड आदि पर कब्जे पक्के होते जा रहे हैं, कानूनगो लेखपाल भू-माफिया हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को बेकुप मानकर पैसा कमा रहे हैं

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  14. मैं जिस हॉस्पिटल में जॉब करता हूं उस बिल्डिंग के पीछे हमारे जैसे लोग झोपड़ी बनाकर रहते हैं तो क्या ये जमीन हमारी हो जायेगी?
    मानता हूं कि इससे हम लोंगों का फायदा होगा लेकिन इस प्रकार तो सब लोग सरकारी जमीन पर कब्जा कर लेंगे। हम कोर्ट के इस फैसले से सहमत नहीं है।

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  15. सरकारी प्रॉपर्टी को छोड़ कर है तो यह नियम सही है, लेकिन किसी की लीगल प्रॉपर्टी पर भी कोर्ट को सोचना चाहिए।

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  16. इस तरह के फैसले से अवैध कब्जा धारियों के हौसले बुलंद है लोगो को डरा धमका कर जमीन पर कब्जा कर मालिक बन गए हैं।

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  17. यह फैसला सही नहीं हैं। क्योंकि बहुत जमीन गरीबों से ठगा गया। कुछ कब्जा कर लिया जो जमींदारों को 5000बीघा या उससे ज्यादा जमीन किस प्रकार से आया। पूर्व की जमीन सबूतों के आधार पर वंशज भी खोज लेता है।

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  18. यह गलत हो रहा है, जिसके पास धन और बल होगा वह गरीब परिवार की जमीन हड़प लेगा।
    बहुत ऐसे धन बल वाले होंगे जो गरीब परिवार के खेत को अपने नाम से कब्जा दिखवा देंगे लेखपाल और कानूनगो से मिलकर और उस गरीब परिवार की सेवा घर जैसे करेंगे 12 साल बात लात मारकर बाहर कर देंगे, और जमीन उसकी हो जाएगी।

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  19. यह फैसला lease होल्ड और फ्री होल्ड पर लागू है क्या दोनों पर

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  20. माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का मंदिरों की कास्त की जमीन जिस पर जबरन लोगों ने कब्जा कर रखा है क्या उसे पर भी यह नियम लागू होगा अगर ऐसा होता है तो कब्जा करने वालों का हौसला बुलंद होगा और हर किसी के मकान दुकान और कास्त की जमीन पर कब्जा करके 12 साल का हक जताएगा और कब्ज धारी मालिक बनकर बैठ जाएगा
    माननीय उच्च न्यायालय को इस नियम के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए यह मेरा निवेदन है

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  21. निजी संपत्ति को किसी अवैध कब्जाधारी के हाथों कानून का संरक्षण देना , पता नहीं किस प्रकार का निर्णय लिया गया है ये तो सरासर अवैध कार्य को बढ़ावा देने का काम है।

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  22. इसका केवल दुरुपयोग ही होगा । रही बात कानून की तो यदि जेब में पैसा नहीं है तो न्याय मिलेगा भूल जाइए।

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  23. यह तो ग़लत बात है जब निजी संपत्ति को कोई भी व्यक्ति बारह वर्ष बाद हथिया सकता है तो सरकारी संपत्ति को क्यों नहीं ???????
    यह नियम सरकारी संपत्ति पर भी लागू होना चाहिए क्योंकि कब्जा भूमि हीन व्यक्ति ही कर सकता है या जिसके मन में ही खोट हो वही कर सकता है

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  24. ये न्याय पालिका का बिलकुल गलत फैसला है, सरकारी ज़मीन पर भी लागू करो, क्या न्याय पालिका सिर्फ झगडे करवाने के लिए बनी है

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  25. क्या ऐसा फैसला देना न्याय संगत है ? लगता है कि भ्रष्टाचार से न्यायालय भी मुक्त नहीं हैं । पहले मैं सोचता था कि सुप्रीम कोर्ट में न्याय होता है , लेकिन मैं ग़लत था ।

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  26. सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल ग़लत और अन्यायपूर्ण है ।

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  27. जो फैसला सरकारी संपत्ति को लेकर है की उस पर कोई अवैध कब्जा नहीं कर सकता, वही फैसला निजी संपत्ति के लिए होना चाहिए। आखिर अवैध कब्जा करने वालों को सम्पत्ति का मालिकाना हक कैसे दिया जा सकता है। यह गलत कानून है।

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  28. जो फैसला सरकारी संपत्ति को लेकर है की उस पर कोई अवैध कब्जा नहीं कर सकता, वही फैसला निजी संपत्ति के लिए होना चाहिए। आखिर अवैध कब्जा करने वालों को सम्पत्ति का मालिकाना हक कैसे दिया जा सकता है। यह गलत कानून है।

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    • इसके लिए न्यूज में ही केस नंबर भी दिए गए हैं, आप केस नंबर से जजमेंट चेक कर सकते हैं.

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  29. सुप्रीम कोर्ट कौन होता है कानून बनाने वाला, ये काम संसद का है,
    ऐसे बेहूदा कानून बनेंगे तो अवैध कब्ज़ेदार को विथ फैमली निपटाने के लिए, वास्तविक संपत्ति मालिक को मज़बूर होना पड़ेगा

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  30. कब्जे धारकों क्या करना पड़ेगा अपना हक के लिए क्या कब्जा धारक कोई मुक़दमा दर्ज करा ने के उपरांत उनको कब्जे का मालिक बनाकर क्या उस जमीन पर हक मिल जाएगा

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  31. क्या अवैध कब्जाधारी कब्जा करने की तारीख कहीं पर दर्ज कराएगा कि आज इस तारीख से हम अवैध कब्जा कर रहे हैं।
    अब हमारे 12 साल पूरे हो गए हैं।इसका प्रमाण किन अभिलेखों में दर्ज होगा।
    यहाँ पर झूठ बोला जा सकता है।

    Reply
  32. क्या अवैध कब्जाधारी कब्जा करने की तारीख कहीं पर दर्ज कराएगा कि आज इस तारीख से हम अवैध कब्जा कर रहे हैं।
    अब हमारे 12 साल पूरे हो गए हैं।इसका प्रमाण किन अभिलेखों में दर्ज होगा।
    यहाँ पर झूठ बोला जा सकता है।

    Reply
  33. अगर कोई व्यक्ति 12 वर्ष से पहले अपनी जमीन की लड़ाई कानूनी तौर पर लड़ता है तो उसे भी जल्द न्याय मिलना चाहिए। एक साल के अंडर। क्यों 10साल 15साल लगा देता हैं कोर्ट या उससे अधिक समय भी लगा देता है। उतना दिन केश लड़ने के बाद कोई भी पक्छ हार जाता है तो ये भी बहुत बड़ी समस्या है।

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  34. मैं हिमाचल प्रदेश का रहने वाला हूं, मेरे पिता जी ने राजा साहिब जमीन लगभग 8बीघा राजा महेश्वर से खरीद रखी है, जो अलग अलग मालिकों के पास है मेरे पिता जी की death हो चुकी है अब बो जमीन हम दोनो भाइयों के नाम रजिस्ट्री हो चुकी है। बताओ कब्जा लेने के लिए क्या करना होगा

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  35. ये कमजोर तबके की हत्या करने के समान है।यदि आप किसी कमजोर आदमी को बारह वर्ष बेवकूफ बना सकते हो तो आप उसकी जमीन के मालिक हो सकते हो।अवैध कबजाधारक के पक्ष में फैसला गैरकानूनी मानसिकता को बढाने वाला है ।

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  36. जज का नाम लिख देने से ही सब कुछ नहीं है केस नंबर केस डायरी नंबर मुकदमा नंबर भी आवश्यक है जिससे इसको देखा जाए नहीं तो यह गुमराह करने वाला कानून माना जाएगा

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  37. ये न्याय नहीं है ।
    जबरन थोपा गया नियम है ।
    बहुत से ऐसे कारण हैं जिसमें संपत्ति के मालिक को पता ही नहीं चलता कि आपकी जमीन कब्जा की जा चुकी है ।

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  38. जो लोग 20वर्षों से रह रहे है और सरकारी जमीन की रजिस्ट्री और खारिज दाखिल भी है कम से कम 1000 से ऊपर मकान बन चुके है जो लोग बाहर से आके जमीन देखे जमीन के मालिक से मिले और जमीन रजिस्ट्री कराए और जमीन का खारिज दाखिल भी हो गया सारे लोग मकान भी बनवा लिए अब अधिकारी कहते है ये जमीन हमारी है आप बताए जब रिजिस्टरी और खारिज दाखिल हुआ तब ये लोग कहा थे जीवन की सारी कमाई घर बनवाने में लग जाती है

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  39. अगर सरकारी संपत्ति पर कब्जे के बिल पेपर कंप्लीट हो तो क्या रुपए दे कर जमीन खरीद सकते हैं

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  40. ग्रामीण क्षेत्रों मे दबंगो को इस कानून से फायदा होगा…..वर्षो से जिन गावों मे जिन लोगो ने कमजोर लोगो की जमींन को कब्ज़ा कर रखा होगा अब उस जमीन का मालिक कब्ज़ाधारी होगा….. ग्रामीण क्षेत्र के अनपढ़ और कमजोर लोगों का जमीन छीन जायेगा.. यह अन्याय.. है

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  41. 12 साल कब्जे को मंजूरी देना भी गेरकानूनी है अगर कोई व्यक्ति 12 साल पहले किसी का खुन कर छुप जाये तो पीड़ित व्यक्ति समय पर इंसाफ के लिए आवाज ना उठा पाये तो मुजरीम कातिल को वेगुनाह साबित कर दोगे कई लोगो ने रोड पर ठेला लगा रखा है उने लगभग 20 वर्ष हो गये मेरी माननीय अदालतो से अपील है उनको भी रोड पर मलिकाना हक दे दियाजाये

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  42. ऐसा कोई कानून नहीं बना अगर ऐसा कोई कानून बना है।। किस तारीख को ।।।। किस सन में या वर्ष मेंयह कानून बना है एवं किसकी याचिका पर पर सुप्रीम कोर्ट ने यह जजमेंट दिया है।। यह सब क्लियर करें उसके बाद ही ऐसा कोई न्यूज़ डाले।।

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  43. Excellent, the said judgement is absolutely correct for the public interest, heartily congratulations and best governance by Honourable Bench of Our prestigious Supreme court Of India,
    Your well-wishers,
    Surendra Singh Rana Advocate, Supreme court Of India,
    National President of Human RIGHT International Federation of India,
    International Chairman, legal Cell,
    Anti Corruption foundation of India,

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