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हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, किराए की प्रॉपर्टी के इस्तेमाल पर किराएदार का कितना हक?

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि मकानमालिक अपनी प्रॉपर्टी का उपयोग अपनी आवश्यकताओं के अनुसार करने का अधिकार रखते हैं। कोर्ट ने कहा कि किरायेदार मकानमालिक को निर्देशित नहीं कर सकता कि वह अपनी प्रॉपर्टी का उपयोग कैसे करे। यह फैसला मकानमालिक और किरायेदार विवादों में एक नई दिशा प्रदान करता है।

By PMS News
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हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, किराए की प्रॉपर्टी के इस्तेमाल पर किराएदार का कितना हक?
Legal rights for tenants

मकानमालिक और किरायेदार के बीच विवाद भारत में लंबे समय से एक जटिल मुद्दा रहा है। खासतौर पर तब, जब कोई किरायेदार लंबे समय से एक प्रॉपर्टी में रह रहा हो और मकानमालिक उसे खाली करने के लिए कहे। ऐसे विवादों में अक्सर कोर्ट की शरण ली जाती है। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जो इस विषय पर नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

क्या था मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला एक पूर्व सैनिक और उनकी पत्नी द्वारा दायर याचिका पर आधारित है। दंपत्ति ने अपने किरायेदार से घर खाली करने का अनुरोध किया था, जो वर्ष 1989 से उनकी प्रॉपर्टी में रह रहा था। किरायेदारी की अवधि 2003 में समाप्त हो चुकी थी, लेकिन किरायेदार ने प्रॉपर्टी खाली करने से इनकार कर दिया। मकानमालिक ने यह कहते हुए घर खाली करने को कहा कि बिगड़ती सेहत के कारण उन्हें एक नर्स को घर में रहने देना जरूरी है, जो उनकी देखभाल कर सके।

किरायेदार ने यह तर्क दिया कि प्रॉपर्टी में इतनी जगह है कि सभी लोग आराम से रह सकते हैं। इस पर लोअर कोर्ट ने किरायेदार के पक्ष में फैसला दिया, लेकिन मकानमालिक के अपील करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट का फैसला पलट दिया।

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दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि मकानमालिक अपनी प्रॉपर्टी को अपनी सुविधा और आवश्यकताओं के अनुसार उपयोग करने का पूरा अधिकार रखता है। कोर्ट ने कहा कि किरायेदार मकानमालिक को यह निर्देश नहीं दे सकता कि वह अपनी प्रॉपर्टी का इस्तेमाल किस प्रकार करे। मकानमालिक अपनी जरूरतों को सबसे अच्छे तरीके से समझता है, और यह कोर्ट का दायित्व नहीं है कि वह यह निर्धारित करे कि मकानमालिक अपने घर में किस प्रकार रहे।

इस फैसले के प्रभाव

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला मकानमालिक और किरायेदार के बीच चल रहे कई मामलों में एक नई दिशा प्रदान कर सकता है। कोर्ट ने किरायेदार को घर खाली करने के लिए छह महीने का समय दिया है, जो इस तरह के विवादों में एक मानक प्रक्रिया को बढ़ावा दे सकता है।

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