निवेश करना एक समझदारी भरा कदम है, लेकिन सही योजना का चयन करना कई बार चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यदि आप सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश विकल्प की तलाश में हैं, तो पोस्ट ऑफिस की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) योजना आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। यह सरकारी योजना निवेशकों को न केवल आकर्षक ब्याज दर प्रदान करती है, बल्कि कर लाभ और सुरक्षित रिटर्न की भी गारंटी देती है।
क्या है पोस्ट ऑफिस एनएससी योजना?
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) योजना पोस्ट ऑफिस की एक प्रमुख छोटी बचत योजना है, जो मुख्य रूप से मध्यम वर्ग और छोटे निवेशकों के लिए बनाई गई है। इस योजना का उद्देश्य लोगों को सुरक्षित और सुनिश्चित आय प्रदान करना है। एनएससी निवेश न केवल आपके पैसे को बढ़ाने का मौका देता है, बल्कि यह निवेश आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर लाभ भी प्रदान करता है।
आकर्षक ब्याज दर और चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ
एनएससी स्कीम की ब्याज दर हर तिमाही सरकार द्वारा तय की जाती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना पर 7.7% वार्षिक ब्याज दर लागू है। इसका मतलब है कि निवेशक को ब्याज सालाना चक्रवृद्धि आधार पर दिया जाएगा, जिससे उनके निवेश की कुल परिपक्वता राशि अधिक होती है। हालांकि, ब्याज भुगतान केवल परिपक्वता के समय किया जाता है।
निवेश करना है आसान
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट योजना में निवेश शुरू करना बेहद सरल है। आप नजदीकी पोस्ट ऑफिस में जाकर ₹1,000 की न्यूनतम राशि से खाता खुलवा सकते हैं। इसके बाद, ₹100 के गुणकों में निवेश किया जा सकता है। इसमें निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है, जो इसे उच्च राशि वाले निवेशकों के लिए भी उपयुक्त बनाता है।
6.50 लाख के निवेश पर शानदार रिटर्न
अगर कोई व्यक्ति एनएससी योजना में एकमुश्त ₹6.50 लाख का निवेश करता है, तो 5 साल की परिपक्वता अवधि के बाद उसे ₹9,41,872 की राशि प्राप्त होगी। इसमें ₹2,91,872 ब्याज के रूप में होगी। यह उन निवेशकों के लिए एक शानदार विकल्प है, जो अपने पैसे को न केवल सुरक्षित रखना चाहते हैं, बल्कि एक सुनिश्चित और आकर्षक रिटर्न भी पाना चाहते हैं।
कर लाभ और अतिरिक्त सुविधाएं
एनएससी योजना का सबसे बड़ा लाभ है इसका कर लाभ। धारा 80सी के तहत आप ₹1.5 लाख तक के निवेश पर कर छूट का लाभ ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आप इस खाते को किसी भी पोस्ट ऑफिस में ट्रांसफर कर सकते हैं। योजना में नॉमिनी की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे निवेशक की मृत्यु के बाद उनके लाभार्थी को पूरी राशि मिल सके।