केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी आगामी यूनियन बजट 2025-26 को लेकर बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की मांग को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से महत्वपूर्ण निर्णय की अपेक्षा की जा रही है। यह बजट 1 फरवरी 2025 को पेश किया जाएगा, और इससे 50 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों और 67 लाख पेंशनभोगियों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।
8th Pay Commission
हाल ही में प्री-बजट कंसल्टेशन मीटिंग में 8th Pay Commission का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। Centre of Indian Trade Unions (CITU) के राष्ट्रीय सचिव स्वदेश देव रॉय ने इस मुद्दे को सामने रखा और कहा कि मौजूदा 7वें वेतन आयोग को लागू हुए 10 वर्ष हो चुके हैं। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू हुई थीं और इसका कार्यकाल 2025 में समाप्त हो रहा है। ऐसे में 8वें वेतन आयोग का गठन अनिवार्य हो गया है।
यूनियन प्रतिनिधियों ने जोर देकर कहा कि वेतन आयोग का समय पर गठन कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और भत्तों में सुधार के लिए आवश्यक है। यह आयोग 2026 से लागू होगा और इसके सुझावों का असर लाखों कर्मचारियों पर पड़ेगा।
इतिहास और 8वें वेतन आयोग की आवश्यकता
वेतन आयोग का गठन केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और अन्य लाभों की समीक्षा और संशोधन के लिए किया जाता है। 1986 से चौथे वेतन आयोग के बाद से, हर 10 साल में नए आयोग का गठन होता रहा है। 7th Pay Commission की सिफारिशें 2016 में लागू हुईं और अब 2025 में इसके कार्यकाल के समाप्त होने के बाद नए आयोग की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
एनसी-जेसीएम (NC-JCM) ने दिसंबर 2024 में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस पर तुरंत कदम उठाने की मांग की। सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने अपने पत्र में कहा कि मौजूदा 10 साल की साइकिल के आधार पर 8वें वेतन आयोग का गठन अनिवार्य है।
प्री-बजट मीटिंग में उठी अन्य मांगें
प्री-बजट कंसल्टेशन मीटिंग में ट्रेड यूनियनों ने अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उठाया। इनमें शामिल थे:
- ईपीएफओ (EPFO) पेंशन: न्यूनतम पेंशन को ₹1,000 से बढ़ाकर ₹5,000 करने की मांग।
- आयकर छूट सीमा: इसे बढ़ाकर ₹10 लाख करने और पेंशन आय पर टैक्स छूट देने का सुझाव।
- सामाजिक सुरक्षा: गिग वर्कर्स और कृषि श्रमिकों के लिए विशेष सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लागू करने की मांग।
- पुरानी पेंशन योजना: इसे बहाल करने और नई योजना को समाप्त करने का आग्रह।
- अमीरों पर अधिक टैक्स: अतिरिक्त 2% कर का प्रस्ताव ताकि अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का वित्तपोषण हो सके।