कोरोना काल में शुरू की गई फाइव डे वीक व्यवस्था को अब मध्य प्रदेश में समाप्त कर दिया गया है। राज्य सरकार के निर्णय के बाद अब सरकारी कर्मचारियों को सप्ताह में छह दिन काम करना होगा। इस व्यवस्था की समाप्ति का पहला आदेश सहकारिता विभाग की ओर से जारी किया गया है।
सहकारिता विभाग ने जारी किए निर्देश
भोपाल के सहकारिता विभाग के संयुक्त आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अब सभी अधिकारी और कर्मचारी शनिवार को कार्यालय में उपस्थित रहेंगे। विभाग ने यह कदम कार्यालय में कर्मचारियों की कमी को ध्यान में रखते हुए उठाया है। आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि सहकारिता विभाग में कर्मचारियों की संख्या स्वीकृत पदों से काफी कम है, जिसके कारण कार्यभार बढ़ गया है।
कर्मचारियों में नाराजगी, लेकिन हालात गंभीर
इस निर्णय के बाद कर्मचारियों में नाराजगी देखी जा रही है। उनका मानना है कि सप्ताह में एक अतिरिक्त कार्यदिवस जोड़ने से कार्यभार बढ़ेगा। हालांकि, विभाग का कहना है कि कर्मचारियों की कमी और कार्यभार के चलते यह निर्णय जरूरी था।
भोपाल में कर्मचारियों की भारी कमी
भोपाल जिले में सहकारिता विभाग में 106 स्वीकृत पदों पर केवल 42 कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से भी 7 कर्मचारी वरिष्ठ कार्यालय में संलग्न हैं। जिले में पंजीकृत सहकारी संस्थाओं की संख्या 2095 है, जिसके लिए इतनी कम संख्या में कर्मचारियों से काम लेना मुश्किल हो रहा है।
अन्य विभागों की स्थिति भी है चिंताजनक
केवल सहकारिता विभाग ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के अन्य विभागों में भी कर्मचारियों की कमी की समस्या सामने आ रही है। आगामी वर्षों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है क्योंकि साल 2025 में बड़ी संख्या में कर्मचारी रिटायर होने वाले हैं। इसके कारण कार्यभार का दबाव और बढ़ने की संभावना है।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों को कई बार फील्ड पर भी जाना पड़ता है, जिससे कार्यालय का कार्य प्रभावित होता है। ऐसे में शनिवार को कार्यालय में उपस्थित रहने से कुछ हद तक स्थिति को संभालने की उम्मीद है।
कर्मचारियों का पक्ष
कर्मचारियों का कहना है कि फाइव डे वीक व्यवस्था से उन्हें काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने का मौका मिलता था। शनिवार की छुट्टी खत्म करने से यह संतुलन प्रभावित होगा। हालांकि, कर्मचारियों ने यह भी माना कि मौजूदा स्थिति में काम का दबाव अत्यधिक है और इसके समाधान के लिए वैकल्पिक उपायों पर भी विचार होना चाहिए।