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प्रपोजल ठुकराया तो महिला ने शुरू किया पीछा! कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला जो सबको चौंका देगा

जब एक युवक ने शादी का प्रपोजल ठुकराया, तो महिला ने ऐसा पीछा करना शुरू किया कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया। लेकिन कोर्ट का फैसला इतना चौंकाने वाला था कि सब हैरान रह गए। क्या था पूरा मामला? कैसे एक 'ना' बना कानूनी जंग की वजह? पढ़िए इस हैरान कर देने वाली कहानी को।

By PMS News
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प्रपोजल ठुकराया तो महिला ने शुरू किया पीछा! कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला जो सबको चौंका देगा
प्रपोजल ठुकराया तो महिला ने शुरू किया पीछा! कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला जो सबको चौंका देगा

दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) के सामने हाल ही में एक ऐसा मामला आया जिसने आमतौर पर सामने आने वाले स्टॉकिंग (Stalking) केसों की धारणा को पलट कर रख दिया। इस केस में शिकायत करने वाला एक पुरुष था, जिसे एक शादीशुदा महिला द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा था। मामला तब शुरू हुआ जब महिला ने उस पुरुष को प्रपोज किया और उसने यह कहकर इनकार कर दिया, कि वह शादीशुदा है, और उसके बच्चे भी हैं। इसके बाद महिला ने न सिर्फ उसका पीछा करना शुरू कर दिया, बल्कि सोशल मीडिया (social media) के जरिए, उसके बच्चों और परिवार के सदस्यों को भी टारगेट करना शुरू कर दिया।

महिला के लिए कोर्ट ने जारी किए सख्त आदेश

इस असामान्य मामले की सुनवाई रोहिणी कोर्ट (Rohini Court) की सिविल जज रेणु ने की। कोर्ट ने महिला के खिलाफ सख्त निर्देश जारी करते हुए उसे पुरुष के फ्लैट के 300 मीटर के दायरे में आने से रोक दिया है। इसके साथ ही महिला को किसी भी माध्यम चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक, टेलीफोन, सोशल मीडिया या कोई तीसरा पक्ष हो उससे संपर्क करने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। कोर्ट का कहना है, कि महिला का यह व्यवहार पुरुष की निजता (Right to Privacy) और शांतिपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है।

क्या है पूरा मामला क्या आश्रम में हुई थी पहली मुलाकात?

पीड़ित पुरुष ने कोर्ट में बताया कि उसकी पहली मुलाकात साल 2019 में एक आध्यात्मिक आश्रम में महिला से हुई थी। इसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई, और धीरे-धीरे महिला ने उससे भावनात्मक रूप से जुड़ने की कोशिश की। साल 2022 में महिला ने पुरुष को प्रपोज किया, लेकिन उसने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। इसका कारण साफ था, वह पहले से शादीशुदा था और उसके बच्चे भी थे।

इनकार के बाद भी महिला ने नहीं मानी हार

प्रपोजल रिजेक्ट होने के बाद भी महिला ने हार नहीं मानी। उसने न सिर्फ पुरुष का पीछा करना शुरू किया, बल्कि कई बार उसके घर भी पहुंची। महिला उसे शारीरिक संबंध (Physical Relation) के लिए मजबूर करती रही और उसके मना करने पर आत्महत्या (Suicide Threat) की धमकी भी दी। यही नहीं, महिला ने सोशल मीडिया पर उसके बच्चों को भी ट्रैक करना शुरू कर दिया।

सोशल मीडिया पर स्टॉकिंग से लेकर आत्महत्या की धमकी तक

पीड़ित ने कोर्ट को बताया कि महिला का यह व्यवहार धीरे-धीरे खतरनाक होता जा रहा था। वह न केवल फ्लैट तक आकर परेशान करती थी, बल्कि सोशल मीडिया पर लगातार निगरानी रखती थी। महिला ने कई बार यह तक कहा कि अगर पुरुष ने उसे इग्नोर किया तो वह खुद को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे पुरुष और उसके परिवार की मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा।

कोर्ट ने क्यों लिया सख्त रुख?

सुनवाई के दौरान जज रेणु ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिर्फ स्टॉकिंग या एकतरफा प्रेम (One-sided Love) का नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्ति की आज़ादी और मानसिक शांति के अधिकार का हनन है। कोर्ट ने कहा कि महिला की यह हरकत पुरुष के “स्वतंत्र रूप से घूमने-फिरने के मौलिक अधिकार” (Fundamental Right to Movement) को प्रभावित कर रही है, और उसे “शांतिपूर्ण जीवन जीने से रोक रही है”। अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह के व्यवहार से ऐसा नुकसान होता है जिसे समय रहते न रोका जाए तो उसका समाधान मुश्किल हो जाता है।

कोर्ट के आदेश की अहमियत

इस फैसले की एक बड़ी खासियत यह है कि यह उन तमाम मामलों के उलट है जहां पुरुष पर महिला का पीछा करने या उसे परेशान करने का आरोप लगता है। यहां एक महिला को कोर्ट ने स्टॉकर करार दिया है और उस पर कानूनी प्रतिबंध (Legal Restraining Order) लगाए गए हैं। यह फैसला न्यायपालिका की निष्पक्षता का प्रमाण भी है कि किसी भी तरह की उत्पीड़न की स्थिति में लिंग नहीं, बल्कि साक्ष्य और व्यवहार महत्वपूर्ण होते हैं।

यह मामला क्यों है चर्चा में?

यह केस इसलिए चर्चा में है क्योंकि यह सोशल मीडिया स्टॉकिंग, निजी जीवन में घुसपैठ, और अस्वीकृत प्रेम प्रस्ताव के बाद उत्पीड़न जैसे विषयों पर गंभीर सवाल उठाता है। इसके साथ ही, यह पुरुषों के अधिकारों को लेकर भी एक नई दिशा में सोचने का मौका देता है कि उन्हें भी मानसिक उत्पीड़न (Mental Harassment) से सुरक्षा मिलनी चाहिए।

कानूनी नजरिए से यह फैसला एक मिसाल

यह केस भारतीय न्याय प्रणाली (Indian Judiciary) में एक उदाहरण के रूप में देखा जाएगा, जहां कोर्ट ने समानता के आधार पर न्याय किया। इस तरह के मामलों में जहां महिला ही उत्पीड़न का कारण बन रही हो, अदालत का यह सख्त रुख एक सशक्त सन्देश देता है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह पुरुष हो या महिला।

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