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यह पूरा देश क्यों शिफ्ट हो रहा है ऑस्ट्रेलिया? प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति का क्या होगा? जानें कारण

भारत के लोग अचानक ऑस्ट्रेलिया में क्यों बसने की सोच रहे हैं? क्या हमारे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का भविष्य भी इस बदलाव से प्रभावित होगा? यह लेख आपको इस अप्रत्याशित निर्णय के पीछे के कारणों और इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताएगा, जो भारत को एक नए मोड़ पर खड़ा कर सकता है।

By PMS News
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यह पूरा देश क्यों शिफ्ट हो रहा है ऑस्ट्रेलिया? प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति का क्या होगा? जानें कारण
यह पूरा देश क्यों शिफ्ट हो रहा है ऑस्ट्रेलिया? प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति का क्या होगा? जानें कारण

तुवालु, जो प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीपसमूह है, अब दुनिया का पहला देश बन रहा है जो समुद्र के बढ़ते स्तर से बचने के लिए पूरी तरह से ऑस्ट्रेलिया की ओर शिफ्ट होने की योजना बना रहा है। यह कदम जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर के बढ़ने के कारण उठाया जा रहा है। समुद्र के बढ़ते पानी के कारण तुवालु के जगह पर खतरा मंडरा रहा है, और इसके नागरिकों को नई ज़िंदगी के लिए बाहर जाना पड़ेगा।

समुद्र के बढ़ते स्तर का तुवालु पर प्रभाव

टिवलु में नौ छोटे-छोटे द्वीप और एटोल हैं, जिनकी ऊँचाई समुद्र स्तर केवल 2 मीटर है। जिसका मतलब है कि यह देश समुद्र के बढ़ने के सबसे ज्यादा असर में है, तुलावु के बारे में वैझानिकों का कहना है कि अगले 80 सालों में यह यह पूरा द्वीपीय देश जलमग्न हो सकता है, जिससे यहाँ के नागरिकों को मजबूरन पलायन करना पड़ सकता है।

नासा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में तुवालु में समुद्र का स्तर पिछले 30 वर्षों के मुकाबले 15 सेंटीमीटर तक बढ़ चुका था। यदि यह स्थिति इसी तरह बनी रही, तो 2050 तक तुवालु की अधिकांश भूमि पानी में डूब जाएगी।

तुवालु और ऑस्ट्रेलिया के बीच ऐतिहासिक समझौता

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, तुवालु और ऑस्ट्रेलिया के बीच 2023 में एक समझौता हुआ है। इसे “फलेपिली संघ संधि” कहा जाता है, जिसके तहत तुवालु के नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में स्थायी निवास मिलेगा। इस समझौते के तहत हर साल 280 तुवालुवासियों को ऑस्ट्रेलिया में बसने का मौका मिलेगा, साथ ही उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार जैसी सेवाओं का भी पूरा अधिकार मिलेगा।

प्रवासन कार्यक्रम का पहला चरण 16 जून से 18 जुलाई तक हुआ था, जिसमें तुवालु के 8,750 नागरिकों ने पंजीकरण कराया था। पहले 280 प्रवासियों का चयन मतदान के माध्यम से किया जाएगा।

तुवालुवासियों का भविष्य

ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा कि इस प्रवास योजना से तुवालुवासियों को जलवायु संकट के बावजूद सम्मान के साथ बसने का मौका मिलेगा। वहीं, तुवालु के प्रधानमंत्री फेलेटी टेओ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संधि की आवश्यकता है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस योजना के तहत तुवालु की लगभग 4% आबादी हर साल ऑस्ट्रेलिया की ओर प्रवास कर सकती है। एक दशक के भीतर, तुवालु की 40% आबादी का अन्य देशों में प्रवास करने का अनुमान है। हालांकि कुछ लोग वापस अपने देश लौट सकते हैं, कुछ लोग स्थायी रूप से ऑस्ट्रेलिया में बस सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता

तुवालु का यह कदम जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे विस्थापन को दुनिया के सामने लाता है। यह समय की मांग है कि अन्य देशों को भी इस संकट को गंभीरता से लेकर तुवालु जैसी प्रभावित देशों की मदद करनी चाहिए। इस कार्यक्रम से यह साफ हो जाता है कि जलवायु परिवर्तन के चलते भविष्य में और भी देशों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

ऑस्ट्रेलिया का यह कदम एक उदाहरण बन सकता है कि कैसे जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों के नागरिकों को सम्मान के साथ शरण दी जा सकती है।

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