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लड़की को सास-ससुर क्यों नहीं आते पसंद? जानिए वो 5 कारण जो बना देते हैं In-Laws को बहू का विलेन

शादी के बाद क्यों बदल जाता है लड़की का नजरिया ससुराल के लिए? कौन-सी बातें सास-ससुर को बना देती हैं उसके लिए विलेन? अगर आप भी जानना चाहते हैं इन रिश्तों के पीछे छिपी असल कहानी, तो यह लेख जरूर पढ़ें!

By PMS News
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लड़की को सास-ससुर क्यों नहीं आते पसंद? जानिए वो 5 कारण जो बना देते हैं In-Laws को बहू का विलेन
लड़की को सास-ससुर क्यों नहीं आते पसंद? जानिए वो 5 कारण जो बना देते हैं In-Laws को बहू का विलेन

शादी के बाद लड़की का असली घर उसका ससुराल माना जाता है, लेकिन कई बार यही ससुराल उसके लिए तनाव, निराशा और मानसिक थकावट का कारण बन जाता है। सवाल यह उठता है कि लड़की को सास-ससुर क्यों नहीं पसंद आते? आखिर क्या वजहें हैं कि शादी के कुछ समय बाद ही कई बहुएं ससुराल से अलग होने की मांग करने लगती हैं या फिर मन में घुटन महसूस करने लगती हैं। समाज में बदलते परिवेश और सोच के बावजूद, ससुराल में बहुओं को अपनाने में अब भी अनेक चुनौतियाँ हैं।

कपड़ों और पहनावे पर टिप्पणी बनती है बहस का कारण

अक्सर यह देखा गया है कि शादी के बाद नई बहू जब ससुराल आती है तो उसके पहनावे पर टिप्पणी करना आम बात हो जाती है। कई बार सास-ससुर उसे यह जताते हैं कि उसके कपड़े पारंपरिक नहीं हैं, या फिर आधुनिकता को बढ़ावा देते हैं। ये टिप्पणियां तब और अपमानजनक हो जाती हैं जब उन्हें मेहमानों के सामने किया जाता है। इस तरह की आलोचना लड़की के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाती है और वह असहज महसूस करती है।

बहुओं की तुलना से जन्म लेता है तनाव

बहुओं की तुलना करना एक बेहद आम सामाजिक व्यवहार है, खासकर जब परिवार में पहले से कोई बहू मौजूद हो। सास-ससुर अकसर यह कहकर कि “वो बहू तो ऐसा करती है, तुम क्यों नहीं कर सकती”, नई बहू को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। जबकि हर इंसान की अपनी पहचान, परवरिश और व्यक्तित्व होता है। इस तरह की तुलना ना सिर्फ एकतरफा दबाव बनाती है बल्कि मानसिक तौर पर बहू को तोड़ भी देती है।

पराया महसूस कराने वाली व्यवहारिक असंवेदनशीलता

जब एक लड़की अपने मायके को छोड़कर ससुराल आती है, तो उससे यह उम्मीद की जाती है कि वह उस घर को ही अपना मान ले। लेकिन जब घर की महत्वपूर्ण बातें उससे छिपाई जाती हैं या झूठ बोला जाता है, तो वह खुद को उस घर से जुड़ा नहीं महसूस करती। यह व्यवहारिक असंवेदनशीलता उसे “पराया” महसूस कराती है और एक दीवार खड़ी कर देती है जिसे पार करना मुश्किल हो जाता है।

इमोशनल सपोर्ट की कमी से टूटता है रिश्ता

नई जगह पर किसी को अपनाने और खुद को ढालने के लिए समय के साथ-साथ इमोशनल सपोर्ट की भी जरूरत होती है। जब बहू को ससुराल में सम्मान, प्यार और सहयोग नहीं मिलता, तो वह मानसिक रूप से टूटने लगती है। एक मजबूत भावनात्मक रिश्ता ना बन पाने की वजह से बहू खुद को उस घर में एक मेहमान की तरह महसूस करती है।

प्राइवेसी की कमी और लगातार निगरानी का दबाव

भारतीय परिवारों में आज भी “प्राइवेसी” जैसे अधिकार को लेकर जागरूकता की काफी कमी है। जब बहू को हर वक्त निगरानी में रहना पड़ता है—कब उठी, क्या खाया, किससे बात की—तो यह स्थिति मानसिक रूप से थका देने वाली हो जाती है। हर व्यक्ति को अपनी निजता चाहिए होती है और जब ये नहीं मिलती तो बगावत का बीज पनपने लगता है।

बदलती सोच और आत्मनिर्भरता की चाह

आज की लड़कियां आत्मनिर्भर हैं, करियर और आत्मसम्मान को प्राथमिकता देती हैं। वे अपनी एक अलग पहचान चाहती हैं और गृहस्थ जीवन को अपने तरीके से जीना चाहती हैं। लेकिन जब उन्हें सास-ससुर द्वारा नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है—हर निर्णय में टोकाटाकी, हर पसंद-नापसंद पर टिप्पणी—तो उनके भीतर एक असंतोष जन्म लेता है।

संवादहीनता और समाधान का अभाव

बहुत बार समस्याओं की जड़ संवादहीनता होती है। अगर सास-ससुर अपनी बहू से खुलकर बात करें, उसकी भावनाओं को समझें और सम्मान दें, तो रिश्तों में सुधार हो सकता है। लेकिन जब समस्याओं पर बात करने की बजाय बहू को दोषी ठहराया जाता है, तो टकराव और बढ़ जाता है।

नतीजा – अलगाव की भावना और टूटते रिश्ते

इन सभी कारणों का अंततः एक ही परिणाम होता है – बहू अपने ससुराल को कभी अपना नहीं मान पाती। वह अपने दिल में एक दूरी बनाए रखती है, जो धीरे-धीरे रिश्तों को खत्म करने लगती है। यही वजह है कि बहुत-सी महिलाएं ससुराल में नहीं रहना चाहतीं और अलग रहने की जिद करने लगती हैं।

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