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India-Pak तनाव के बीच BrahMos पर सबकी नजरें! क्या यही है सबसे घातक मिसाइल?

भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई अपनी तबाही की ताकत। 15 मिसाइलों ने चंद मिनटों में तबाह किए पाक एयरबेस, अब 17 देश खरीदने को तैयार। जानिए क्यों इसे दुनिया की सबसे घातक मिसाइल माना जा रहा है, और कैसे बदलेगा इससे रक्षा समीकरण!

By PMS News
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India-Pak तनाव के बीच BrahMos पर सबकी नजरें! क्या यही है सबसे घातक मिसाइल?
India-Pak तनाव के बीच BrahMos पर सबकी नजरें! क्या यही है सबसे घातक मिसाइल?

India-Pakistan Conflict के हालिया घटनाक्रम में भारत की सुपरसोनिक मिसाइल BrahMos Missile ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। 9 और 10 मई की दरम्यानी रात को हुए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत ने पाकिस्तान के 12 में से 11 एयरबेस को ब्रह्मोस मिसाइल से ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में 15 BrahMos मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ, जिन्हें पाकिस्तानी सेना का चीनी एयर डिफेंस सिस्टम डिटेक्ट तक नहीं कर सका। खास बात यह रही कि भोलारी एयरबेस पर पाकिस्तान का एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) भी तबाह हो गया, जिसकी पुष्टि पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अफसरों ने की। इस सफलता के बाद 17 देशों ने इस भारतीय मिसाइल में दिलचस्पी दिखाई है, जिससे यह दुनिया की सबसे चर्चित क्रूज मिसाइल बन गई है।

‘मिसाइलमैन’ कलाम की सोच से बना ब्रह्मोस

BrahMos Missile भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की दूरदृष्टि और वैज्ञानिक सोच का परिणाम है। डॉ. कलाम ने जब DRDO के चीफ थे, तब रूस के साथ 12 फरवरी, 1998 को एक जॉइंट वेंचर साइन किया गया। इस समझौते के तहत भारत और रूस ने मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस नाम की कंपनी बनाई, जो आज इस मिसाइल का निर्माण करती है। भारत की इसमें 50.5% और रूस की 49.5% हिस्सेदारी है। इस प्रोजेक्ट को करीब 2,135 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी से तैयार किया गया।

ब्रह्मोस नाम का इतिहास

BrahMos नाम अपने आप में भारत-रूस की साझेदारी का प्रतीक है। भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के पहले अक्षरों को जोड़कर इस मिसाइल का नाम BrahMos रखा गया। यह मिसाइल ‘फायर एंड फॉरगेट’ सिद्धांत पर आधारित है यानी एक बार लॉन्च होने के बाद यह अपने लक्ष्य तक बिना किसी और निर्देश के खुद पहुंचती है।

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कैसी मिसाइल है ब्रह्मोस?

BrahMos एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसकी गिनती दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में होती है। इसे जमीन, समंदर, पनडुब्बी या फाइटर जेट से दागा जा सकता है। इसकी गति इतनी अधिक है कि यह दुश्मन के रडार को चकमा देकर लक्ष्य तक पहुंच जाती है। यही विशेषता इसे बेहद घातक बनाती है।

सेना को कब मिली थी पहली ब्रह्मोस?

BrahMos Missile का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को हुआ था। इसके बाद साल 2005 में इसे सबसे पहले भारतीय नौसेना (Indian Navy) को सौंपा गया और इसे INS राजपूत पर तैनात किया गया। 2007 में भारतीय सेना (Indian Army) और फिर भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को यह मिसाइल दी गई। वायुसेना ने इसे रूस निर्मित सुखोई-30 MKI फाइटर जेट से फायर किया। इस प्रकार ब्रह्मोस भारत की एकमात्र ऐसी मिसाइल बन गई जो जमीन, हवा, समंदर और पनडुब्बी चारों प्लेटफॉर्म से छोड़ी जा सकती है।

ब्रह्मोस के खतरनाक फीचर्स

BrahMos Missile की उड़ान क्षमता जमीन से 10 मीटर से लेकर 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक है। इसकी टॉप स्पीड Mac 3 है यानी यह ध्वनि से तीन गुना तेज गति से उड़ती है। यह 290 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को बेहद सटीकता से हिट कर सकती है। एडवांस वर्जन में यह रेंज 1,500 किलोमीटर तक बढ़ाने की तैयारी है। यह 200 से 300 किलोग्राम तक का वारहेड ले जा सकती है और टारगेट के केवल 1 मीटर के दायरे में गिरती है। एक ब्रह्मोस मिसाइल की कीमत लगभग 34 करोड़ रुपये है और इसका वजन 2,900 किलोग्राम है जिसे कम करने पर काम चल रहा है।

क्यों है BrahMos सबसे खतरनाक?

BrahMos Missile की सबसे खास बात यह है कि इसे UAV की तरह हवा में गाइड किया जा सकता है, यानी लक्ष्य को बीच में भी बदला जा सकता है। इसका इंजन लगातार सक्रिय रहता है, जिससे यह शुरुआत से अंत तक सुपरसोनिक गति से उड़ती है। इसकी स्टीप डाइविंग तकनीक से यह सतह के बेहद पास उड़ते हुए भी लक्ष्य तक पहुंचती है। इसमें लगे एडवांस सेंसर इसे कई टारगेट के बीच भी सटीकता से सही टारगेट पहचानने में सक्षम बनाते हैं।

एक टेस्ट से पता चला ब्रह्मोस की ताकत

DRDO के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता ने BBC को बताया कि 2005 में ब्रह्मोस के एक टेस्ट में इसका वॉरहेड हटाकर एक पुराने जहाज पर दागा गया। यह मिसाइल पानी की सतह से थोड़ी ऊपर उड़ती हुई जहाज से टकराई और उसे चीरकर निकल गई। जहाज कुछ ही मिनटों में डूब गया। यह उदाहरण बताता है कि बिना विस्फोटक के भी ब्रह्मोस इतनी खतरनाक है कि वह टारगेट को पूरी तरह तबाह कर सकती है।

ब्रह्मोस के वेरिएंट और भविष्य

फिलहाल BrahMos के दो प्रमुख वेरिएंट सक्रिय हैं – BrahMos Block-I और एयर-लॉन्च वर्जन। इसके अतिरिक्त तीन एडवांस वर्जन पर काम चल रहा है। इनमें सबसे खास है BrahMos-II Hypersonic, जो मैक-8 की रफ्तार से उड़ सकेगी। BrahMos-NG (Next Gen) वर्जन महज 1,260 किलोग्राम का होगा और इसकी रेंज 300 किमी रहेगी। DRDO की हैदराबाद लैब ने हाल ही में स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया है, जिससे ब्रह्मोस की गति 8 गुना बढ़ सकती है।

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