
फ्लैट या अपार्टमेंट (Flat or Apartment) आज के दौर में शहरों में घर खरीदने का सबसे आम तरीका बन चुका है। लेकिन एक बड़ा और अहम सवाल यह है कि जब ये बिल्डिंग्स 100 साल बाद जर्जर हो जाएंगी तो उन्हें फिर से कौन बनवाएगा? यही सवाल आज के कई होम बायर्स को परेशान कर रहा है। जब कोई अपना निजी घर बनवाता है तो मरम्मत या दोबारा निर्माण की जिम्मेदारी भी उसी की होती है क्योंकि वह अकेला मालिक होता है। लेकिन फ्लैट सिस्टम में मामला कुछ अलग होता है।
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फ्लैट में मरम्मत और बिल्डर की जिम्मेदारी
जब फ्लैट या अपार्टमेंट (Flat or Apartment) की बात आती है तो छोटी-मोटी मरम्मत जैसे प्लंबिंग, पेंटिंग या लीकेज की जिम्मेदारी आमतौर पर फ्लैट मालिक की होती है। वहीं, बिल्डर की जिम्मेदारी सीमित समय तक ही होती है, जो अक्सर बिल्डिंग के हैंडओवर के कुछ सालों तक वैध रहती है। इसके बाद बिल्डर की कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं रह जाती।
पूरी बिल्डिंग को दोबारा बनवाने की चुनौती
सबसे बड़ा सवाल तब खड़ा होता है जब पूरी बिल्डिंग के रिकंस्ट्रक्शन (Reconstruction) की जरूरत पड़ती है। नोब्रोकर्स पोर्टल के अनुसार, अगर किसी फ्लैट या अपार्टमेंट की बिल्डिंग को 100 साल बाद तोड़कर दोबारा बनाना हो तो यह काम बिल्डर नहीं करेगा। इसकी जिम्मेदारी उस बिल्डिंग में रहने वाले सभी फ्लैट मालिकों की होगी। सभी को मिलकर इस भारी-भरकम खर्च को उठाना होगा।
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खर्च कौन उठाएगा?
जब बिल्डिंग की उम्र 70-100 साल हो जाती है तो उसका ढांचा कमजोर पड़ने लगता है। ऐसे में उस इमारत को सुरक्षित बनाने के लिए दोबारा निर्माण जरूरी हो जाता है। लेकिन यह कोई आसान या सस्ता काम नहीं होता। इसमें करोड़ों रुपये का खर्च आ सकता है। यह खर्च उस समय फ्लैट मालिकों को मिलकर वहन करना होगा, चाहे वे मूल खरीदार हों या नए मालिक। अगर मूल फ्लैट खरीदार जीवित न रहें तो उनके उत्तराधिकारी या फ्लैट के वर्तमान मालिक को यह जिम्मेदारी निभानी होगी।
पुराना फ्लैट खरीदते समय बरतें सावधानी
इसी कारण विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बहुत पुराने फ्लैट (Old Flats) को खरीदने से बचना चाहिए। विशेषकर 20 साल से अधिक पुरानी बिल्डिंगों में फ्लैट खरीदने से पहले उसकी स्ट्रक्चरल रिपोर्ट और मेंटेनेंस रिकॉर्ड जरूर जांच लेना चाहिए। 5 साल तक पुराना फ्लैट एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, लेकिन इससे ज्यादा पुराने फ्लैट में निवेश करते समय जोखिम अधिक होता है।
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रिडेवलपमेंट के विकल्प
कुछ जगहों पर हाउसिंग सोसायटी (Housing Society) मिलकर रिडेवलपमेंट (Redevelopment) का विकल्प अपनाती हैं। इसके तहत किसी रियल एस्टेट डेवलपर को बुलाया जाता है जो पुरानी बिल्डिंग को गिराकर नया निर्माण करता है और बदले में फ्लैट मालिकों को नए अपार्टमेंट देता है। लेकिन यह प्रक्रिया समय लेने वाली होती है और इसमें सभी फ्लैट मालिकों की सहमति जरूरी होती है।
सरकार की भूमिका और नियम
कई राज्य सरकारें हाउसिंग सोसायटी के पुनर्निर्माण (Reconstruction) को लेकर नीतियां बना रही हैं। मुंबई, पुणे, बेंगलुरु जैसे शहरों में ऐसी पॉलिसीज लागू हैं जो रिडेवलपमेंट को प्रोत्साहित करती हैं। लेकिन नियमों की जटिलता और प्रक्रिया की धीमी गति के कारण कई बार ऐसे प्रोजेक्ट्स लटक जाते हैं।
भविष्य की प्लानिंग जरूरी
अगर आप आज फ्लैट खरीद रहे हैं तो यह जरूर सोचिए कि अगली पीढ़ी को 70-100 साल बाद क्या जिम्मेदारियां निभानी पड़ेंगी। क्या उस बिल्डिंग की हालत ऐसी होगी कि उसमें रहना सुरक्षित रहेगा? क्या आप या आपके उत्तराधिकारी उस बिल्डिंग के पुनर्निर्माण में हिस्सा ले पाएंगे?