
आज के डिजिटल युग में इंटरनेट और खासतौर पर Google हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि Google पर कुछ चीजों को सर्च करना आपको मुश्किल में डाल सकता है? जी हां, “Google पर गलती से भी न करें ये सर्च! वरना हो सकती है जेल – जानिए क्या कहता है कानून” ये वाक्य केवल चेतावनी नहीं बल्कि एक कानूनी सच्चाई भी है।
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कई बार लोग बिना जानकारी के ऐसी चीजें सर्च कर बैठते हैं जो भारतीय कानून के तहत अपराध की श्रेणी में आती हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि किन-किन विषयों को सर्च करने से बचना चाहिए और इस पर कानून क्या कहता है।
इंटरनेट की आजादी और उसकी सीमाएं
भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। लोग अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए Google सर्च इंजन का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यह स्वतंत्रता असीमित नहीं है। इंटरनेट पर हर गतिविधि ट्रेस की जा सकती है और आपकी सर्च हिस्ट्री भी जांच के दायरे में आ सकती है।
भारतीय दंड संहिता (IPC), आईटी अधिनियम (IT Act) और साइबर कानूनों के तहत कुछ खास प्रकार की जानकारी को सर्च करना, डाउनलोड करना या साझा करना दंडनीय अपराध है।
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ये सर्च आपको जेल पहुंचा सकते हैं
भारत में कुछ खास विषय ऐसे हैं जिन्हें Google पर सर्च करना आपको कानूनी पचड़े में डाल सकता है। उदाहरण के लिए, बाल अश्लीलता (Child Pornography) से जुड़ी सामग्री को देखना या डाउनलोड करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यह पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) और आईटी एक्ट की धारा 67B के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
इसी तरह बम बनाने की विधि, हथियारों की खरीद-फरोख्त, ड्रग्स बनाने की तकनीक, आतंकवादी संगठनों की जानकारी, या किसी भी प्रकार की राष्ट्रविरोधी गतिविधि से जुड़ी सर्च को सुरक्षा एजेंसियां गंभीरता से लेती हैं।
गूगल सब देख रहा है
Google पर हर सर्च लॉग इन हो जाती है, चाहे आप ब्राउज़र के “Incognito Mode” का इस्तेमाल ही क्यों न कर रहे हों। Google आपकी गतिविधियों को ट्रैक करता है, और जब कोई व्यक्ति बार-बार संदिग्ध शब्दों या विषयों को सर्च करता है, तो ये गतिविधि एजेंसियों के रडार पर आ सकती है।
साइबर क्राइम सेल और आईबी (Intelligence Bureau) जैसी एजेंसियां डिजिटल ट्रेसिंग तकनीकों के ज़रिए किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर निगरानी रखती हैं।
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कानून क्या कहता है?
भारत में इंटरनेट से जुड़ी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए आईटी अधिनियम 2000 (Information Technology Act 2000) को लागू किया गया है। इसमें धारा 66F के तहत साइबर आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों को गंभीर अपराध माना जाता है। इसके अलावा:
- IPC की धारा 124A – देशद्रोह को कवर करती है।
- IPC की धारा 292 – अश्लील सामग्री के प्रचार-प्रसार को रोकती है।
- IT Act की धारा 67, 67A, 67B – इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से अश्लीलता और बच्चों से संबंधित सामग्री पर रोक लगाती है।
गलती भी पड़ सकती है भारी
कई बार लोग महज जानकारी या जिज्ञासा के कारण ऐसी चीजें सर्च कर लेते हैं जो प्रतिबंधित हैं। लेकिन कानून में “अनजाने में की गई गलती” के लिए भी दया का प्रावधान नहीं होता यदि वह राष्ट्रीय सुरक्षा या बच्चों की सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों से जुड़ी हो।
उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति मज़ाक में या किसी ट्रेंड के चलते ‘बम बनाने की विधि’ सर्च करता है, तो यह कानून के नजर में अपराध हो सकता है।
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कैसे बचें कानूनी पचड़े से?
इंटरनेट पर कुछ भी सर्च करने से पहले उसके कानूनी पहलुओं की जानकारी होना जरूरी है। बच्चों को भी इस बारे में जागरूक करें और उनके इंटरनेट उपयोग पर नजर रखें। साथ ही साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करें और किसी भी संदिग्ध लिंक या वेबसाइट से दूर रहें।
Google, Facebook और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म्स की Community Guidelines का उल्लंघन करना भी आपके खाते को न केवल बंद कर सकता है बल्कि कानूनी कार्रवाई की ओर भी ले जा सकता है।