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Republic Day Flag Hoisting: ध्वजारोहण के ऐसे सीक्रेट जो हर भारतीय को नहीं पता!

भारत के स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने की प्रक्रियाएं हमारे देश की आजादी और लोकतांत्रिक विरासत का प्रतीक हैं। इन राष्ट्रीय पर्वों पर झंडे का सम्मान हमारी एकता, विविधता और देशभक्ति की भावना को प्रकट करता है।

By PMS News
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Republic Day Flag Hoisting: ध्वजारोहण के ऐसे सीक्रेट जो हर भारतीय को नहीं पता!
Republic Day Flag Hoisting

भारत में स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) और गणतंत्र दिवस (Republic Day) दो प्रमुख राष्ट्रीय पर्व हैं, जो पूरे देश में बड़े जोश और सम्मान के साथ मनाए जाते हैं। इन अवसरों पर राष्ट्रध्वज का सम्मान विशेष प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है। हालांकि, बहुत से लोग यह नहीं जानते कि ध्वजारोहण (Flag Hoisting) और ध्वजा फहराने (Flag Unfurling) में क्या अंतर है और इनका प्रतीकात्मक महत्व क्या है।

ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने का अर्थ और प्रक्रिया

ध्वजारोहण (Flag Hoisting) का अर्थ है झंडे को पोल के नीचे से ऊपर उठाना। यह प्रक्रिया तब की जाती है जब झंडे को पहली बार पोल पर लगाया जाता है, जैसे कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर। यह एक औपचारिक समारोह है जो किसी नए आरंभ या स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

ध्वजा फहराना (Flag Unfurling) इसके विपरीत पहले से झंडे को पोल के शीर्ष पर बांधने के बाद उसे रस्सी के माध्यम से खोलने की प्रक्रिया है। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा यह प्रक्रिया अपनाई जाती है, जो हमारे देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना का प्रतीक है।

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रध्वज का सम्मान

स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)

इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं। यह प्रक्रिया हमारे देश की आजादी का प्रतीक है, जब 1947 में भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। इस दिन झंडे को पोल से उठाकर लहराया जाता है, और राष्ट्रगान के साथ इसे सैन्य और नागरिक गार्ड के सम्मान में सलामी दी जाती है। यह हमारी स्वतंत्रता संग्राम की विरासत और देशभक्ति के भाव को समर्पित है।

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गणतंत्र दिवस (26 जनवरी)

गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति ध्वजा फहराते हैं। इस अवसर पर झंडा पहले से बंधा होता है और इसे रस्सी से खींचकर फैलाया जाता है। यह भारतीय गणराज्य की स्थापना और लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह दिन 1950 में भारत के संविधान के लागू होने का स्मरण कराता है।

दोनों अवसरों का सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व

हालांकि ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने की प्रक्रिया अलग-अलग है, लेकिन दोनों का उद्देश्य समान है – राष्ट्र की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हमारे इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ाव हैं, जो भारत की स्वतंत्रता और प्रगति को चिह्नित करते हैं। इन दिनों पर झंडे के प्रति हमारा सम्मान हमारी एकता, विविधता और देशभक्ति की भावना को उजागर करता है।

ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने के तरीके न केवल हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को जीवित रखते हैं, बल्कि यह हमें स्वतंत्रता संग्राम की कठिनाइयों और लोकतंत्र की अनमोलता का स्मरण भी कराते हैं।

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