भारत में चचेरे भाई-बहन या अन्य करीबी रिश्तेदारों के बीच शादी करने के संबंध में कानून सख्त नियम निर्धारित करता है। इस संदर्भ में, भारत में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 एक प्रमुख कानून है, जो हिंदुओं की शादी से जुड़े नियमों को स्पष्ट करता है। अधिनियम के तहत, “प्रतिषिद्ध नातेदारी” (Prohibited Relationships) की धारणा मौजूद है, जिसका सीधा मतलब यह है कि कुछ रिश्तों में शादी करना मना है।
प्रतिषिद्ध नातेदारी (Prohibited Relationships)
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर विवाह करने वाले लोग प्रतिषिद्ध नातेदारी में आते हैं, तो उनकी शादी अवैध मानी जाएगी। इन प्रतिषिद्ध रिश्तों में कई करीबी रक्त संबंध (Blood Relations) शामिल हैं, जैसे:
- भाई-बहन
- चाचा-भतीजी
- मामा-भांजी
- फूफा-भतीजा
- मौसी-भांजा
- पिता और पुत्री (बेटी)
अर्थात, चचेरे भाई-बहन जो ब्लड रिलेशन (Blood Relation) में आते हैं, उनकी शादी भारतीय कानून के तहत अवैध मानी जाती है। इन रिश्तों में शादी करना न केवल कानूनन गलत है, बल्कि इसे सामाजिक रूप से भी स्वीकार्य नहीं माना जाता।
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अन्य धार्मिक समुदायों के कानून
हालांकि, विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों में शादी से जुड़े नियम अलग हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ मुस्लिम और ईसाई समुदायों में चचेरे भाई-बहन के बीच विवाह को मान्यता दी जाती है, जबकि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यह अवैध है। इस प्रकार, विभिन्न समुदायों के नियम इस विषय पर भिन्न हो सकते हैं।
विशेष मामला: मद्रास हाईकोर्ट का निर्णय
मद्रास हाईकोर्ट ने 1970 के कामाक्षी बनाम के. मणि मामले में एक निर्णय दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि यदि किसी विशेष समुदाय में प्रतिषिद्ध नातेदारी के रिश्ते में शादी की पुरानी परंपरा है और इसे समाज में मान्यता प्राप्त है, तो ऐसे विवाह को अवैध नहीं माना जाएगा। यह निर्णय दर्शाता है कि परंपरागत विवाह प्रथाओं को भी ध्यान में रखा जाता है, बशर्ते यह समाज में प्रचलित हो।
अन्य प्रावधान: स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954
यदि विभिन्न धर्मों या जातियों के लोग शादी करना चाहते हैं, तो स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 का सहारा लिया जा सकता है। यह कानून उन जोड़ों के लिए बनाया गया है, जो धर्म या जाति के बंधनों से मुक्त होकर विवाह करना चाहते हैं। इस अधिनियम के तहत, विवाह के लिए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की जरूरत नहीं होती है, लेकिन रजिस्ट्रेशन आवश्यक होता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक मान्यता
कानूनी प्रावधानों के अलावा, चचेरे भाई-बहन के बीच शादी का मुद्दा सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। अधिकांश भारतीय समाज में, ब्लड रिलेशन में शादी करना न केवल कानूनी रूप से बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अस्वीकार्य माना जाता है। इस तरह की शादियों को परिवार की एकता और सामाजिक संबंधों के खिलाफ देखा जाता है।
भारतीय कानून के तहत, चचेरे भाई-बहन के बीच शादी करना अवैध है, खासकर हिंदू विवाह अधिनियम के तहत। हालांकि, विभिन्न धर्मों और समुदायों के अपने अलग-अलग नियम और परंपराएं हो सकती हैं, लेकिन सामान्य तौर पर इसे भारतीय समाज में स्वीकार्यता नहीं मिलती।