आज से स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब, बुर्का, या किसी अन्य तरीके से चेहरे को पूरी तरह ढकने पर बैन लागू हो गया है। इस कानून का उल्लंघन करने पर 1000 स्विस फ्रैंक (लगभग 96,000 रुपए) तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यह कदम 2021 में हुए जनमत संग्रह के बाद उठाया गया, जिसमें 51.21% नागरिकों ने बुर्के पर बैन लगाने के पक्ष में वोट दिया था।
नए कानून की शुरुआत
2021 में स्विट्जरलैंड में जनमत संग्रह के दौरान इस मुद्दे पर गहन बहस हुई। इसके बाद 2022 में स्विट्जरलैंड की संसद ने चेहरे ढंकने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून पारित किया। राष्ट्रीय परिषद में इस कानून के पक्ष में 151 और विरोध में 29 वोट पड़े। यह प्रस्ताव दक्षिणपंथी स्विस पीपुल्स पार्टी (SVP) द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
हालांकि, कई विरोधी दलों और संगठनों ने इसे मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाला कानून बताया। समर्थकों का कहना है कि यह पब्लिक सुरक्षा और कल्चरल वैल्यू को बनाए रखने के लिए एक आवश्यक कदम है।
अन्य यूरोपीय देशों में भी ऐसे कानून लागू
स्विट्जरलैंड अकेला ऐसा देश नहीं है जिसने बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाया हो। बेल्जियम, फ्रांस, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, और बुलगारिया में पहले से ही इस तरह के प्रतिबंध लागू हैं। इन देशों में सार्वजनिक स्थानों जैसे ऑफिस, रेस्तरां, पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि पर महिलाओं के चेहरे ढकने की अनुमति नहीं है।
स्विट्जरलैंड में बुर्का पहनने का आंकड़ा
ल्यूसर्न यूनिवर्सिटी के 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, स्विट्जरलैंड में बुर्का पहनने वाली महिलाओं की संख्या लगभग 30 थी। देश की 86 लाख की आबादी में केवल 5% लोग मुस्लिम हैं, जिनमें से अधिकतर तुर्किये, बोस्निया और कोसोवो से हैं। यह कानून व्यापक रूप से लागू किया गया, लेकिन इसका सीधा प्रभाव बेहद कम लोगों पर पड़ेगा।
मुस्लिम परिधान: बुर्का, नकाब और हिजाब में अंतर
बुर्का एक ऐसा परिधान है जो पूरे शरीर को ढंकता है। इसे ज्यादातर अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया की महिलाएं पहनती हैं। वहीं नकाब, जो यूरोप और खाड़ी देशों में प्रचलित है, चेहरे का निचला हिस्सा ढकता है और आंखों की जगह खुली रहती है। दूसरी ओर, हिजाब सिर, कान, और गले को ढकने वाला एक स्कार्फ है, जिसमें चेहरा खुला रहता है।
प्रस्तावित कानून और विवाद का इतिहास
इससे पहले 2009 में, स्विट्जरलैंड में एक अन्य जनमत संग्रह के जरिए मस्जिदों की मीनारों के निर्माण पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। इसे भी SVP पार्टी ने ही प्रस्तुत किया था।