
प्रदेश सरकार ने बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए इस बार पूरी तैयारी कर ली है। हर साल आने वाली बाढ़ से न सिर्फ जनजीवन प्रभावित होता है, बल्कि बड़ी संख्या में लोग बेघर भी हो जाते हैं और पशु भी संकट में आ जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, इस बार बाढ़ संभावित क्षेत्रों की पहले से पहचान कर ली गई है और वहां राहत कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रशासन को सख्त निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि समय रहते राहत और बचाव कार्यों की योजना बना ली जाए। इसके तहत हर जिले में बाढ़ नियंत्रण के लिए आपात योजना तैयार की जा रही है ताकि किसी भी आपात स्थिति से कुशलतापूर्वक निपटा जा सके।
राहत कैंपों में मिलेगा भोजन, पानी और निवास
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने के लिए विशेष शरणालय या राहत कैंप बनाए जाएंगे। इन कैंपों में रहने वालों को तीन बार का गरम खाना और सुबह नाश्ता मिलेगा। इसके अलावा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के लिए दवाइयों का छिड़काव किया जाएगा जिससे पानीजनित बीमारियों से बचाव हो सके।
हर कैंप में साफ-सफाई, टॉयलेट की व्यवस्था और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं भी सुनिश्चित की जाएंगी। सरकार का प्रयास है कि किसी भी स्थिति में राहत शिविर में रहने वाले लोगों को कोई असुविधा न हो।
हर सप्ताह दी जाएगी राहत किट
उन बाढ़ पीड़ितों के लिए जो राहत कैंपों में न रहकर अपने घरों या अन्य सुरक्षित स्थानों पर रह रहे हैं, उनके लिए सरकार ने साप्ताहिक राहत किट देने का निर्णय लिया है।
इस राहत किट (Relief Kit) में शामिल वस्तुएं:
- लाई, चना, भूना चना, चीनी, बिस्कुट
- माचिस, मोमबत्ती, नहाने और कपड़े धोने का साबुन
- बाल्टी (ढक्कन सहित), तिरपाल
- आटा, चावल, आलू (10 किलो), अरहर दाल (2 किलो)
- हल्दी (200 ग्राम), मिर्च पाउडर (100 ग्राम), सब्जी मसाला (200 ग्राम)
- सरसों का तेल (1 लीटर), नमक (1 किलो)
- सैनिटरी पैड (20), डेटॉल या सेवलान (100 मिली), तौलिया, सूती कपड़ा
- डिस्पोजल बैग (20), एक मग
यह किट बाढ़ से पीड़ित उन परिवारों को दी जाएगी जो शरणालयों में नहीं रह रहे लेकिन फिर भी जीवनयापन के लिए सहायता की आवश्यकता है।
बचाव के लिए नावों और नाविकों की व्यवस्था
बाढ़ के दौरान जलमग्न क्षेत्रों से लोगों को निकालने और उन्हें राहत केंद्रों तक पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में नावों की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए नाविकों को सेवा देने के 24 घंटे के भीतर भुगतान किया जाएगा ताकि वे बिना किसी चिंता के पूरी निष्ठा से काम करें।
प्रत्येक जिले में नावों की संख्या का आकलन किया जा रहा है और जरूरत के अनुसार और नावों की व्यवस्था की जा रही है। ये नावें 24×7 राहत कार्यों में तैनात रहेंगी।
जलनिकासी और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से पानी निकालने की भी ठोस व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए बड़ी मशीनों और मोटरों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह व्यवस्था इसलिए ज़रूरी है ताकि जलभराव के कारण मच्छरजनित और जलजनित रोग न फैलें।
स्वास्थ्य विभाग की टीमें कैंपों और प्रभावित इलाकों में दवाइयों का छिड़काव करेंगी और जरूरत पड़ने पर मोबाइल चिकित्सा वैन भी तैनात की जाएंगी।
पशुओं की सुरक्षा
बाढ़ के दौरान इंसानों के साथ-साथ पशुओं की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। इसीलिए सरकार ने बाढ़ से पहले ही सभी पशुओं का टीकाकरण (Vaccination) सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है। इससे वे बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों से सुरक्षित रहेंगे।
इसके साथ ही बाढ़ संभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए सुरक्षित स्थानों की भी पहचान की जा रही है जहां उन्हें आश्रय, चारा और पानी उपलब्ध कराया जाएगा।