उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है, जो नया वित्तीय वर्ष शुरू होने पर लागू हो सकती है। अगर नियामक आयोग इस मसौदे को मंजूरी देता है तो आने वाले समय में बिजली के दाम बढ़ सकते हैं। विद्युत निगम ने इस बढ़ोतरी का प्रस्ताव 30 नवंबर को नियामक आयोग के सामने रखा है।
बिजली के दाम बढ़ने का कारण क्या है?
उत्तर प्रदेश विद्युत निगम ने अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव रखा है। निगम का कहना है कि 2025-26 के लिए 16,000 करोड़ यूनिट बिजली की आवश्यकता है, और बिजली खरीदने के लिए उसे 92,000 करोड़ से 95,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इस घाटे को पूरा करने के लिए वह उपभोक्ताओं से ज्यादा पैसे लेने का प्रस्ताव कर रहा है। पिछले साल भी घाटा था, लेकिन इस बार वह और ज्यादा बढ़ गया है।
उत्तर प्रदेश में बिजली की मौजूदा दरें क्या हैं?
यूपी में घरेलू बिजली की दरें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग हैं। 100 यूनिट तक की खपत पर शहरी क्षेत्र में 5.50 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 3.35 रुपये प्रति यूनिट चार्ज किया जाता है। इसके अलावा, 151-300 यूनिट की खपत पर शहरी क्षेत्र में 6.00 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 5.00 रुपये प्रति यूनिट शुल्क लिया जाता है। इन दरों में बढ़ोतरी के बाद, आम जनता पर और ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ सकता है।
बिजली दरों में वृद्धि पर उपभोक्ता परिषद का विरोध
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस प्रस्ताव पर विरोध जताया है। उनका कहना है कि निगम पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये का बकाया है, लेकिन फिर भी उपभोक्ताओं को राहत देने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि बिजली दरों में वृद्धि से आम लोगों को भारी नुकसान होगा। वे नियामक आयोग में इसका विरोध करेंगे।
बिजली के दाम बढ़ने से आम उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा?
अगर ये प्रस्ताव लागू होता है, तो बिजली की दरों में बढ़ोतरी से आम उपभोक्ताओं पर आर्थिक दबाव पड़ेगा। विशेष रूप से, वे लोग जो ज्यादा बिजली इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि एयर कंडीशनर, वॉशिंग मशीन और अन्य इलेक्ट्रिक उपकरणों का उपयोग करने वाले परिवार, उन्हें ज्यादा राशि चुकानी पड़ सकती है। इस बढ़ोतरी से गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों को विशेष तौर पर मुश्किल हो सकती है।