उत्तराखंड की धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में UCC के ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई। यह विधेयक 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किया जाएगा। यह पहल भारत में नागरिक कानूनों में समानता लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जो सामाजिक और कानूनी व्यवस्था को स्थिर बनाएगी।
समान नागरिक संहिता
UCC का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और विरासत से संबंधित कानूनों में एकरूपता सुनिश्चित करना है। इस विधेयक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं:
पहला, बेटे और बेटियों को समान संपत्ति का अधिकार दिया गया है। चाहे वे किसी भी श्रेणी के हों, उनके अधिकार बराबर होंगे।
दूसरा, नाजायज और वैध संतानों के बीच संपत्ति के अधिकार को लेकर भेदभाव खत्म किया गया है।
तीसरा, गोद लिए गए और जैविक बच्चों को समान अधिकार दिए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, मृत्यु के बाद संपत्ति के बंटवारे में पति, पत्नी, बच्चों और माता-पिता को समान अधिकार दिए गए हैं। बहुविवाह और बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाना भी इस विधेयक की प्रमुख सिफारिशों में से है।
UCC के सामाजिक और कानूनी प्रभाव
UCC के लागू होने से विभिन्न धर्मों और वर्गों के बीच समानता सुनिश्चित होगी। यह सामाजिक स्थिरता और न्याय की भावना को बढ़ावा देगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस कदम से उत्तराखंड पूरे देश में एक नजीर पेश करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में यह पहल भारत के कानूनी और सामाजिक ढांचे में स्थायित्व लाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।