पटना। बिहार में यातायात नियमों (Traffic Rules) के उल्लंघन पर अब पुलिसकर्मी मोबाइल कैमरों का उपयोग चालान काटने के लिए नहीं कर सकेंगे। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) यातायात, सुधांशु कुमार ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है कि चालान केवल हैंड हेल्ड डिवाइस (Hand Held Device – HHD) से ही काटा जाएगा। यह फैसला ई-चालान व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
इसके साथ ही पुलिस निरीक्षक (Sub-Inspector) रैंक से नीचे के पुलिसकर्मी चालान काटने के अधिकारी नहीं होंगे। यह नियम पहले से लागू है, लेकिन अब इसे और सख्ती से पालन कराने का आदेश दिया गया है।
बिहार में यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए एचएचडी से चालान काटने का आदेश सराहनीय कदम है। इससे जहां पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार होगा, वहीं आम जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।
शिकायतों के बाद मुख्यालय ने लिया संज्ञान
पुलिस मुख्यालय को शिकायतें मिल रही थीं कि कई जिलों में सिपाही स्तर के पुलिसकर्मी मोबाइल कैमरे से गाड़ियों की नंबर प्लेट की तस्वीरें लेकर एचएचडी से ई-चालान जेनरेट कर रहे थे। इसके अलावा, दारोगा रैंक से नीचे के पुलिसकर्मी चालान का डर दिखाकर अवैध जुर्माना वसूल रहे थे।
मुख्यालय ने इस पर सख्ती दिखाते हुए सभी आईजी, डीआईजी और एसपी को निर्देश दिए हैं कि इस प्रकार की अनियमितता को रोका जाए। साथ ही, अगर इन निर्देशों का उल्लंघन हुआ तो संबंधित पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एचएचडी से चालान की पारदर्शिता
राज्य के सभी जिलों में मैनुअल चालान, जो लाल-पीली पर्ची पर कटते थे, पहले ही पूरी तरह बंद किए जा चुके हैं। अब हर जिले को 1800 से अधिक एचएचडी डिवाइस दी गई हैं। इन डिवाइस के माध्यम से चालान काटने पर खींची गई तस्वीरों में तारीख, समय और स्थान का सटीक विवरण (अक्षांश और देशांतर सहित) दर्ज होता है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि एचएचडी से चालान प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो जाती है और गलतियों या गड़बड़ियों की संभावना कम हो जाती है।
चिकित्सीय आधार पर 52 पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण
इस बीच, बिहार पुलिस मुख्यालय ने चिकित्सीय आधार (Medical Grounds) पर 52 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों का स्थानांतरण (Transfer) मंजूर किया है। हालांकि, 124 आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। स्थानांतरित पुलिसकर्मियों को मुख्यालय स्थित विभिन्न इकाइयों में तैनात किया गया है।
स्थानांतरण की प्रक्रिया के लिए पुलिस मुख्यालय ने एक समिति का गठन किया था, जिसमें मेडिकल टीम द्वारा चिकित्सकीय दस्तावेजों की जांच की गई। जिन बीमारियों का इलाज संबंधित जिले में ही संभव था, उन्हें स्थानांतरण का आधार नहीं माना गया।
ई-चालान के फायदे और भविष्य की योजना
ई-चालान प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
- पारदर्शिता: चालान में शामिल हर विवरण का रिकॉर्ड रखा जाता है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म होती है।
- टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: एचएचडी जैसी आधुनिक तकनीक यातायात नियमों के बेहतर पालन में मदद करती है।
- डिजिटल रिकॉर्ड: हर चालान का डिजिटल रिकॉर्ड होने से वाहन मालिकों को जुर्माना भरने में सुविधा होती है।