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मकान मालिक बार-बार करता है परेशान?किराएदार जान लें अपने ये 5 कानूनी अधिकार, कोई आपको तंग नहीं कर पाएगा

किराए पर रहने वाले लोगों के पास कई ऐसे कानूनी अधिकार होते हैं जो मकान मालिक की मनमानी को रोक सकते हैं। मकान खाली करवाने, किराया बढ़ाने, सिक्योरिटी मनी, मरम्मत और प्राइवेसी से जुड़े नियम किराएदारों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन अधिकारों की जानकारी होने पर आप न केवल अपना हक समझ सकते हैं बल्कि किसी भी अनुचित व्यवहार के खिलाफ कार्रवाई भी कर सकते हैं।

By PMS News
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मकान मालिक बार-बार करता है परेशान?किराएदार जान लें अपने ये 5 कानूनी अधिकार, कोई आपको तंग नहीं कर पाएगा
Tenant Rights

आज के समय में किराए के मकान में रहना एक आम बात हो गई है, खासकर जब बात मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली-एनसीआर की हो। हालांकि होम लोन की सुविधा होते हुए भी हर कोई अपना घर नहीं खरीद सकता। ऐसे में किराएदारों को कई बार मकान मालिक की मनमानी का शिकार होना पड़ता है। मकान मालिक द्वारा किराया अचानक बढ़ा देना, मकान खाली करवाने का दबाव डालना या फिर सुविधा देने से इनकार कर देना आम समस्याएं हैं। इस लेख में हम जानेंगे किराएदारों के 5 कानूनी अधिकार जो आपको इन परेशानियों से बचा सकते हैं।

मकान मालिक बिना ठोस वजह के नहीं निकाल सकता किराएदार

किराएदारों के सबसे अहम अधिकारों में एक है कि उन्हें बिना कानूनी वजह के मकान से निकाला नहीं जा सकता। रेंट एग्रीमेंट में जो समय सीमा तय की गई है, उससे पहले मकान मालिक जबरन घर खाली नहीं करवा सकता। अगर किराएदार दो महीने से किराया नहीं दे रहा हो या उसने मकान का उपयोग किसी अवैध या असहमति वाले काम के लिए किया हो, तभी घर खाली करवाया जा सकता है — वो भी 15 दिन पहले लिखित नोटिस देकर।

किराया बढ़ाने से पहले नोटिस देना अनिवार्य है

किराया बढ़ाने को लेकर भी किराएदार के पास अधिकार हैं। मकान मालिक को किराया बढ़ाने के लिए कम से कम 3 महीने पहले लिखित सूचना देनी होती है। अचानक से किराया नहीं बढ़ाया जा सकता। साथ ही किराएदार को बिजली, पीने के साफ पानी और पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलना उसका अधिकार है, और इनसे मकान मालिक इनकार नहीं कर सकता।

सिक्योरिटी मनी के नियम

अक्सर मकान मालिक किराए पर देने से पहले मोटी सिक्योरिटी मनी की मांग करते हैं, लेकिन कानून के अनुसार यह दो महीने के किराए से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि इससे ज्यादा राशि ली जाती है, तो उसे रेंट एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से उल्लेखित करना आवश्यक है। घर खाली करने के बाद मकान मालिक को यह राशि एक महीने के भीतर लौटानी होती है।

रेनोवेशन का दायित्व मकान मालिक का होता है

अगर रेंट एग्रीमेंट के दौरान मकान की हालत बिगड़ती है, तो उसे ठीक कराना मकान मालिक की जिम्मेदारी होती है। अगर वह ऐसा करने में असमर्थ है, तो किराएदार किराया कम करने की मांग कर सकता है। यदि इस पर भी सहमति न बन पाए तो किराएदार रेंट अथॉरिटी के पास शिकायत दर्ज करवा सकता है।

मकान मालिक को किराएदार को बार-बार परेशान करने का हक नहीं

रेंट एग्रीमेंट के तहत मकान मालिक को किराएदार को बार-बार तंग करने या बिन सूचना घर में आने का अधिकार नहीं है। मकान मालिक अगर मरम्मत या किसी अन्य कारण से घर आना चाहता है, तो उसे कम से कम 24 घंटे पहले लिखित सूचना देनी होगी। साथ ही अगर किराएदार मौजूद नहीं है तो मकान मालिक ताला तोड़कर घर में प्रवेश नहीं कर सकता और न ही किराएदार का सामान बाहर निकाल सकता है।

प्रश्न: क्या बिना रेंट एग्रीमेंट के भी किराएदार के पास अधिकार होते हैं?

उत्तर: हां, लेकिन रेंट एग्रीमेंट होने से अधिकारों की स्पष्टता और सुरक्षा बढ़ जाती है।

प्रश्न: क्या मकान मालिक मौखिक रूप से किराया बढ़ा सकता है?

उत्तर: नहीं, इसके लिए लिखित रूप से तीन महीने पहले नोटिस देना जरूरी है।

प्रश्न: क्या किराएदार मरम्मत कराने का खर्च खुद उठा सकता है?

उत्तर: अगर मकान मालिक मरम्मत नहीं करवा रहा हो, तो किराएदार खर्च कर सकता है, लेकिन इसे पहले सूचित करना जरूरी है।

प्रश्न: सिक्योरिटी मनी नहीं लौटाने पर क्या कानूनी कार्रवाई संभव है?

उत्तर: हां, किराएदार इस मामले में उपभोक्ता फोरम या रेंट अथॉरिटी का सहारा ले सकता है।

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