किराए पर घर लेना आज के समय में आम बात है, लेकिन किरायेदारों (tenants) और मकान मालिकों (landlords) के बीच अक्सर अधिकारों और जिम्मेदारियों को लेकर विवाद हो जाते हैं। बैंगलोर (Bangalore) जैसे शहरों में जहां किराया तेजी से बढ़ रहा है, किराएदारों को अपने अधिकारों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। आदर्श किराया अधिनियम, 2021 (Model Tenancy Act 2021) इस मामले में एक महत्वपूर्ण कानून है, जो किराएदार और मकान मालिक दोनों के अधिकारों की रक्षा करता है।
किराया बढ़ोतरी और अधिकार
कानून के मुताबिक, मकान मालिक को किराया बढ़ाने के लिए किराएदार को कम से कम तीन महीने पहले नोटिस देना होगा। यह बढ़ोतरी केवल रेंट एग्रीमेंट में तय शर्तों के तहत ही हो सकती है। अगर मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया बढ़ाता है तो यह गैर-कानूनी है, और किराएदार इस पर आपत्ति दर्ज कर सकता है।
एडवांस (सिक्योरिटी मनी) की सीमा
किराएदार से दो महीने से ज्यादा का एडवांस नहीं लिया जा सकता। मकान खाली करने के एक महीने के अंदर यह राशि वापस करना मकान मालिक की जिम्मेदारी है।
बुनियादी सुविधाओं का अधिकार
अगर किराएदार किसी कारण से समय पर किराया नहीं दे पाता, तो भी मकान मालिक उसे बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं (basic facilities) से वंचित नहीं कर सकता। यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सुरक्षित है।
निजी सीमा और अनुमतियां
मकान मालिक को बिना अनुमति के किराएदार के घर में प्रवेश करने का अधिकार नहीं है। अगर मकान मालिक ऐसा करता है, तो यह किराएदार की गोपनीयता का उल्लंघन माना जाएगा।
मरम्मत और रख-रखाव
घर के ढांचे से जुड़ी मरम्मत की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। किराएदार से रंगाई-पुताई जैसे खर्चों की मांग करना उचित नहीं है।
बिना कारण घर खाली करने का दबाव
मकान मालिक बिना किसी ठोस कारण के किराएदार से मकान खाली करने को नहीं कह सकता। आदर्श किराया अधिनियम, 2021 के अनुसार, केवल कुछ विशेष स्थितियों, जैसे कि दो महीने का किराया न देने, गैर-कानूनी गतिविधियों में लिप्त होने, या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर ही मकान खाली करवाने की अनुमति है।
मकान मालिक के अधिकार
मकान मालिकों को भी अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए। उन्हें समय पर किराया लेने, संपत्ति का उचित रख-रखाव सुनिश्चित करने और रेंट एग्रीमेंट में तय शर्तों के अनुसार कार्य करने का अधिकार है।
किराया न मिलने की स्थिति में कार्रवाई
अगर किराएदार दो महीने से किराया नहीं देता या रेंट एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन करता है, तो मकान मालिक उसे 15 दिन का नोटिस देकर घर खाली करने के लिए कह सकता है।
किराएदार की जिम्मेदारियां
किराएदार को मकान खाली करने से पहले एक महीने का नोटिस देना होगा। साथ ही, रेंट एग्रीमेंट की शर्तों का पालन करना उसकी जिम्मेदारी है।
कानूनी उपाय
अगर कोई भी पक्ष कानून का उल्लंघन करता है, तो मामला रेंट अथॉरिटी या कोर्ट में ले जाया जा सकता है। शिकायत दर्ज कराने के लिए रेंट एग्रीमेंट का होना जरूरी है। यह दस्तावेज दोनों पक्षों के लिए एक मजबूत प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
रेंट एग्रीमेंट की भूमिका
रेंट एग्रीमेंट को आपसी सहमति से बनाना चाहिए, जिसमें किराया, एडवांस, और मरम्मत जैसी शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी हों। यह न केवल विवादों को कम करता है, बल्कि कानून के तहत दोनों पक्षों के अधिकारों की रक्षा भी करता है।