
वर्तमान समय में तलाक (Divorce) एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है। पति-पत्नी के बीच संबंधों में खटास आने पर तलाक की प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है। वर्ष 2025 में तलाक के नियमों (Divorce Rules 2025) में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिन्हें जानना हर शादीशुदा व्यक्ति के लिए जरूरी है। इस लेख में हम आपको तलाक के नए नियम 2025, तलाक के मुख्य कारण, तलाक की प्रक्रिया, तलाक के खर्च और महिलाओं व पुरुषों के अधिकारों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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तलाक क्या होता है
जब कोई शादीशुदा जोड़ा (Married Couple) किसी कारणवश अपने रिश्ते को खत्म करना चाहता है, तो उस प्रक्रिया को तलाक कहा जाता है। भारत में तलाक के लिए अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून बनाए गए हैं। हिन्दू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) की धारा 13 (Section 13) के अंतर्गत हिंदू जोड़ों के तलाक के अधिकार निर्धारित किए गए हैं।
तलाक के मुख्य कारण
हालांकि हिंदू विवाह को सात जन्मों का बंधन माना जाता है, फिर भी कई बार रिश्ते समय की कसौटी पर खरे नहीं उतरते। तलाक के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
- विश्वास की कमी – जब किसी रिश्ते में विश्वास की कमी होती है तो वह रिश्ता लंबे समय तक नहीं टिक सकता।
- धोखा और बेवफाई – यदि पति या पत्नी में से कोई भी किसी और के साथ अवैध संबंध (Extramarital Affair) बनाता है तो यह तलाक का बड़ा कारण बन सकता है।
- घरेलू हिंसा – शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना (Domestic Violence) भी तलाक के मुख्य कारणों में से एक है।
- संचार की कमी – आपसी बातचीत की कमी और गलतफहमियां रिश्ते को कमजोर बना सकती हैं।
- आर्थिक समस्याएं – वित्तीय अस्थिरता और खर्चों को लेकर असहमति भी तलाक का कारण बन सकती है।
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आपसी सहमति से तलाक के नए नियम
आपसी सहमति से तलाक (Divorce by Mutual Consent) में दोनों पक्ष बिना किसी विवाद के तलाक लेने पर सहमत होते हैं। वर्ष 2025 के नए नियमों के अनुसार, इस प्रकार के तलाक की प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए गए हैं –
- अब पति-पत्नी को 6 महीने का अनिवार्य इंतजार (Mandatory Waiting Period) समाप्त कर दिया गया है।
- यदि दोनों पक्ष सहमत हों तो तलाक का निर्णय जल्द से जल्द लिया जा सकता है।
- तलाक की पहली याचिका (First Petition) दाखिल करने के 18 महीनों के भीतर दूसरी याचिका (Second Petition) भी दाखिल की जानी चाहिए।
- कोर्ट (Court) की अनुमति से इस 6 महीने की अवधि को कम किया जा सकता है।
एकतरफा तलाक के नए नियम
एकतरफा तलाक (Unilateral Divorce) का मतलब है जब केवल एक पक्ष तलाक लेना चाहता है। इसके कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं –
- धोखा देना या बेवफाई करना (Adultery)
- शारीरिक या मानसिक हिंसा (Physical or Mental Abuse)
- धर्म परिवर्तन (Religious Conversion)
- संन्यास लेना (Renunciation of the World)
- नपुंसकता (Impotence)
- 7 वर्षों से गायब होना (Missing for 7 Years)
तलाक के लिए आवश्यक कागजात
तलाक की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है –
- विवाह प्रमाण पत्र (Marriage Certificate)
- शादी के फोटो या अन्य प्रमाण (Wedding Photos or Other Proofs)
- पहचान पत्र (Identity Proof)
- पासपोर्ट साइज फोटो (Passport Size Photographs)
तलाक के खर्च
तलाक के खर्च का निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है –
- वकील की फीस (Lawyer’s Fees)
- कोर्ट फीस (Court Fees)
- यात्रा और दस्तावेजों का खर्च (Travel and Documentation Costs)
- बच्चा और संपत्ति का बंटवारा (Child Custody and Property Division)
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महिला के अधिकार
हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) के तहत महिलाओं को तलाक के बाद कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं –
- पति से भरण-पोषण (Alimony)
- संपत्ति में अधिकार (Property Rights)
- बच्चों की कस्टडी (Child Custody)
बच्चे का अधिकार
तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी का अधिकार माता-पिता में से किसी एक को दिया जाता है –
- 5 साल से कम उम्र के बच्चों की कस्टडी मां को मिलती है।
- 9 साल से अधिक उम्र के बच्चे खुद फैसला कर सकते हैं कि वे किसके साथ रहना चाहते हैं।