Bank Deposit: स्वीप-इन एफडी (Sweep-In FD) एक ऐसी बैंकिंग सुविधा है, जो आपके बचत खाते में अतिरिक्त धनराशि को स्वचालित रूप से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में ट्रांसफर करने की अनुमति देती है। यह एक तरह की ऑटो-स्वीप सर्विस है, जो निवेशकों को एफडी के द्वारा मिलने वाले आकर्षक ब्याज का लाभ लेने के साथ-साथ पैसे निकालने की सुविधाजनक लिक्विडिटी प्रदान करती है।
इसमें जब भी आपके बचत खाते में तय सीमा से अधिक राशि होती है, तो वह रकम बिना किसी मानव हस्तक्षेप के एफडी में ट्रांसफर हो जाती है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य है कि आपके अतिरिक्त पैसे का सही उपयोग हो, जिससे आपको एफडी की उच्च ब्याज दर का लाभ मिले, और साथ ही आपको अपनी आवश्यकता पड़ने पर इन पैसों तक तुरंत पहुंच भी हो सके।
स्वीप-इन एफडी की कार्यप्रणाली
स्वीप-इन एफडी का मुख्य उद्देश्य है कि आपके बचत खाते में यदि किसी कारण से अतिरिक्त पैसे जमा हो जाएं, तो वह स्वचालित रूप से फिक्स्ड डिपॉजिट में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रकार, आप बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के उस राशि पर एफडी की ब्याज दर का लाभ उठाने लगते हैं। इसके लिए, आपको पहले अपनी सीमा या थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करनी होती है, जो यह निर्धारित करती है कि कितनी राशि आपके बचत खाते से एफडी में स्थानांतरित की जाएगी।
यह सुविधा तब काम आती है जब आपका खाता बैलेंस इस सीमा से ऊपर चला जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी सीमा 10,000 रुपये है और आपके खाते में 12,000 रुपये जमा हैं, तो 2,000 रुपये स्वचालित रूप से एफडी में ट्रांसफर हो जाएंगे। यह सेवा आपके पैसे को बिना किसी नुकसान के सुरक्षित रखती है और आपको एफडी के ब्याज का लाभ देती है, जबकि आप अपनी जरूरी राशि तक तत्काल पहुंच सकते हैं।
स्वीप-इन एफडी के लाभ
स्वीप-इन एफडी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें निवेशक को एफडी के लिए मिलने वाली उच्च ब्याज दर का लाभ मिलता है, वहीं दूसरी ओर यह सेविंग्स अकाउंट की तरह लिक्विडिटी भी प्रदान करता है। जब आपको पैसों की आवश्यकता होती है, तो आप आसानी से अपनी स्वीप-इन एफडी से पैसे निकाल सकते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब भी पैसे निकाले जाते हैं, तो इसमें ‘लास्ट इन, फर्स्ट आउट’ (LIFO) पद्धति का पालन किया जाता है। इसका मतलब है कि जो अतिरिक्त रकम एफडी में स्विच की जाती है, वही सबसे पहले निकाली जाती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आपकी मौजूदा एफडी अपरिवर्तित रहती है और आपको पहले से निवेश की गई राशि पर ब्याज मिलता रहता है।
स्वीप-इन एफडी की अवधि और निवेश सीमा
स्वीप-इन एफडी की अवधि आमतौर पर 1 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक होती है। इस अवधि के दौरान, आपके द्वारा जमा की गई राशि पर ब्याज दर का निर्धारण किया जाता है। इसके अलावा, कुछ बैंक 1,000 रुपये के मल्टीपल में पैसे ट्रांसफर करते हैं, जबकि कुछ बैंक आपको 1 रुपये से 1,000 रुपये तक की सीमा तय करने की सुविधा भी प्रदान करते हैं। इस प्रकार, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार राशि का निर्धारण कर सकते हैं।
स्वीप-इन एफडी ब्याज दरें
स्वीप-इन एफडी पर मिलने वाली ब्याज दर, सामान्य एफडी की तरह ही होती है, और यह बैंक से बैंक और अवधि के अनुसार बदलती रहती है। उदाहरण के लिए:
- Axis Bank: 5.75% – 7.00%
- SBI: 4.75% – 6.50%
- HDFC Bank: 4.50% – 7.00%
- ICICI Bank: 4.50% – 6.90%
- Canara Bank: 5.50% – 6.70%
- PNB: 4.50% – 6.50%
- Post Office: 6.90% – 7.50%
- RBL: 4.75% – 7.00%
इन ब्याज दरों में समय-समय पर बदलाव हो सकता है, इसलिए निवेशक को नियमित रूप से इन दरों की जाँच करनी चाहिए।
पैसे निकालने के नियम
स्वीप-इन एफडी से पैसे निकालने के लिए ‘लास्ट इन, फर्स्ट आउट’ (LIFO) पद्धति अपनाई जाती है। इस पद्धति के तहत, पहले ट्रांसफर की गई राशि के बजाय, जो राशि हाल ही में एफडी में डाली गई है, वह सबसे पहले निकाली जाती है। यदि आपके बचत खाते में आवश्यक धनराशि कम पड़ती है, तो बैंक उसी आधार पर पैसे निकालेगा।
इसके अतिरिक्त, आपको स्वीप-इन एफडी से पैसे निकालने पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। यह सुविधा आपको एफडी के द्वारा दिए गए आकर्षक ब्याज का लाभ उठाने के साथ-साथ लिक्विडिटी की भी सुविधा प्रदान करती है।