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अब पांचवीं और आठवीं की परीक्षा में फेल होंगे छात्र, शिक्षा मंत्रालय ने बदले नियम

पांचवीं और आठवीं कक्षा में फेल करने के प्रावधान से स्कूली शिक्षा में सुधार की उम्मीद है। नई व्यवस्था के तहत, छात्र को दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा, जिसमें असफल होने पर विशेष मार्गदर्शन दिया जाएगा। शिक्षकों और अभिभावकों की भागीदारी इसे प्रभावी बनाएगी।

By PMS News
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अब पांचवीं और आठवीं की परीक्षा में फेल होंगे छात्र, शिक्षा मंत्रालय ने बदले नियम
शिक्षा मंत्रालय ने बदले नियम

शिक्षा मंत्रालय के नवीनतम नियम के तहत, पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षा में असफल होने पर फेल किया जा सकता है। इससे पहले, वर्ष 2010-2011 में इन कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षा बंद कर दी गई थी और छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करना अनिवार्य था। नई व्यवस्था के तहत, छात्र जो वार्षिक परीक्षा में असफल होंगे, उन्हें दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। अगर वे उसमें भी असफल रहते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रहने दिया जाएगा।

शिक्षा स्तर में सुधार की पहल

पिछले कुछ वर्षों में स्कूली शिक्षा के स्तर में गिरावट और बोर्ड परीक्षाओं में खराब परिणामों के कारण यह निर्णय लिया गया। दसवीं और बारहवीं कक्षा में विद्यार्थियों के कमजोर प्रदर्शन ने यह सवाल उठाया कि क्या विद्यार्थियों को बिना योग्यता प्रमोट करना सही है। नई व्यवस्था के तहत, राज्य सरकारों को परीक्षा आयोजित करने की छूट दी गई है। इससे विद्यार्थियों में जिम्मेदारी की भावना विकसित होगी और शिक्षा का स्तर सुधरेगा।

‘निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024’

शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इन नियमों को ‘निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024’ नाम दिया है। यह अधिसूचना शिक्षा में पारदर्शिता और गुणवत्ता लाने के उद्देश्य से जारी की गई है। इन नियमों के अनुसार, छात्र के फेल होने की स्थिति में शिक्षकों को उनके लिए विशेष मार्गदर्शन सत्र आयोजित करने होंगे। शिक्षकों और माता-पिता के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं।

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शिक्षकों की भूमिका और अभिभावकों की भागीदारी

नए नियमों के तहत, शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्हें केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि छात्रों के प्रदर्शन और विकास पर भी निगरानी रखनी होगी। छात्रों के सुधार के लिए एक संरचित योजना बनाई जाएगी। इसके अलावा, शिक्षकों को अभिभावकों के साथ नियमित बैठकें करनी होंगी ताकि छात्रों की प्रगति पर चर्चा की जा सके।

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