National Consumer Rights, या राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार, एक महत्वपूर्ण पहल है जो उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है। 24 दिसंबर 2024 को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया गया था, और इस दिन को याद करते हुए हम इस बात पर गौर करते हैं कि भारत में उपभोक्ता संरक्षण की व्यवस्था को एक नए दिशा में ले जाने के लिए 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था। हालांकि, इस अधिनियम को 2019 में बदलकर एक नया और अधिक सशक्त रूप दिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सिर्फ ठगी से बचाना ही नहीं, बल्कि खराब उत्पाद और सेवाओं से भी उनके नुकसान से बचाना है।
क्या ‘बिका हुआ माल वापस नहीं होगा’ कहना वैध है?
हमारे रोज़मर्रा के जीवन में, जब हम बाजार से सामान खरीदते हैं, तो अक्सर दुकानों पर एक बोर्ड देखा जाता है जिसमें लिखा होता है कि “बिका हुआ माल वापस नहीं होगा।” यह सुनकर उपभोक्ताओं को यह चिंता होती है कि अगर कोई वस्तु खराब निकले या उन्हें पसंद नहीं आए तो क्या वे उसे वापस कर पाएंगे? दरअसल, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ऐसा कोई भी दावा करना कानूनी रूप से गलत है। दुकानदारों को ऐसा बोर्ड लगाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
उपभोक्ता अधिकार और उनके खिलाफ उठाए गए कदम
दुकानदार यदि इस तरह के बोर्ड लगाते हैं या उपभोक्ताओं को अपने सामान का रिटर्न स्वीकार नहीं करते हैं, तो उपभोक्ता विभाग में शिकायत की जा सकती है। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (https://consumerhelpline.gov.in/public/) पर जाकर आप अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई की उम्मीद कर सकते हैं। यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि यदि दुकानदार उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो उसे सजा हो सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।