पंजाब में किसानों ने सरहिंद नहर के पक्के निर्माण के विरोध में बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ दिया है। किसानों ने खन्ना-जम्मू हाईवे और रोपड़-दोराहा रोड पर पक्का जाम लगाने का फैसला किया है। उनका मानना है कि नहर का पक्का निर्माण भूजल स्तर को और गिरा देगा, जिससे हजारों एकड़ जमीन बंजर होने का खतरा बढ़ जाएगा। किसानों का यह आंदोलन न केवल पर्यावरण बल्कि उनकी आजीविका की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
सरहिंद नहर के पक्के निर्माण का विरोध क्यों?
सरहिंद नहर को पक्का करने का काम रोपड़ से लुधियाना तक शुरू किया गया है। किसानों का तर्क है कि इस कदम से जलस्तर नीचे चला जाएगा और सिंचाई के लिए पानी की कमी हो जाएगी। भूजल संकट पहले से ही गंभीर समस्या बन चुका है, और नहर के पक्के निर्माण से आसपास की जमीन बंजर हो सकती है। किसान इसे पर्यावरण और खेती के भविष्य के लिए विनाशकारी कदम मानते हैं।
किसान आंदोलन का मोर्चा
गाढ़ी गांव में विभिन्न किसान यूनियनों की बैठक में आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। 3 जनवरी को गढ़ी पुल पर पक्का मोर्चा लगाने का फैसला हुआ, और प्रशासन को काम रोकने के लिए पत्र भेजा गया। किसानों ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी चिंताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
सरकार पर सवाल
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार का यह कदम पानी बचाने के बजाय जल संकट को और बढ़ा देगा। नहर पक्की होने से रिसाव बंद हो जाएगा, जो आसपास के इलाकों के लिए भूजल का एकमात्र स्रोत है। किसानों ने मांग की है कि नहर निर्माण के वैकल्पिक समाधान पर विचार किया जाए और उनके भविष्य को सुरक्षित रखा जाए।
सड़क जाम और जनजीवन पर असर
किसानों के इस प्रदर्शन से खन्ना-जम्मू हाईवे और रोपड़-दोराहा रोड पर यातायात बाधित रहेगा। हालांकि किसान इस बात को स्वीकार करते हैं कि इससे आम लोगों को परेशानी होगी, लेकिन उन्होंने इसे जमीन बचाने के लिए जरूरी बताया। जब तक प्रशासन उनकी मांगों को नहीं मानता, आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलन को राजनीतिक समर्थन
किसान यूनियनों ने इस आंदोलन को मजबूत करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से समर्थन मांगा है। राजनीतिक समर्थन मिलने से उनकी मांगों को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जा सकेगा।
किसानों की प्रमुख मांगें
- नहर का निर्माण तुरंत रोका जाए: किसान चाहते हैं कि सरहिंद नहर का पक्का निर्माण रोका जाए ताकि जलस्तर और पर्यावरण को बचाया जा सके।
- वैकल्पिक समाधान: नहर निर्माण के लिए वैकल्पिक तकनीकों और योजनाओं पर विचार किया जाए।
- कृषि और पर्यावरण की प्राथमिकता: किसानों की आजीविका और पर्यावरण की रक्षा के उपाय किए जाएं।
आंदोलन का संभावित असर
इस आंदोलन से न केवल सरकारी योजनाओं पर असर पड़ेगा, बल्कि आम लोगों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। यातायात जाम से यात्रियों और व्यापारियों को कठिनाई होगी। इसके अलावा, क्षेत्रीय विकास योजनाओं में भी देरी हो सकती है।