
रूस ने आखिरकार यूक्रेन को बातचीत के लिए न्योता भेज दिया है, और इस बार तारीख और जगह भी निर्धारित कर दी गई है, क्या अब रूस-यूक्रेन युद्ध का समापन हो सकता है, या फिर यह केवल एक राजनीतिक दांव है? रूस के इस कदम से जहां पूरी दुनिया की नजरें उस दिशा में हैं, वहीं यूक्रेन ने इसे लेकर कुछ शर्तें भी रखी हैं।
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रूस का बातचीत का प्रस्ताव
रूस ने यूक्रेन को एक औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें बातचीत की शुरुआत के लिए तारीख और स्थान तय करने की बात की गई है। रूस के विदेश मंत्रालय ने इस पत्र में कहा है कि दोनों देशों के बीच युद्धविराम पर चर्चा करने के लिए एक बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक के लिए 15 जून 2025 की तारीख निर्धारित की गई है, और इसे बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में आयोजित किया जाएगा। रूस ने यह भी स्पष्ट किया है कि वार्ता का मुख्य उद्देश्य युद्धविराम की दिशा में कदम बढ़ाना है, ताकि दोनों देशों के बीच स्थिरता आ सके।
यूक्रेन का रुख
यूक्रेन ने रूस के इस प्रस्ताव को लेकर एक मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को लेकर सतर्कता दिखाई है। ज़ेलेंस्की का कहना है कि यूक्रेन की शर्तों को पूरा करने से पहले किसी प्रकार की बातचीत में भाग नहीं लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन का मुख्य उद्देश्य अपने क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना है, और रूस द्वारा कब्जे में ली गई ज़मीनों को वापस प्राप्त करना है। इसके अलावा, यूक्रेन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि रूस युद्धविराम की शर्तों का पालन नहीं करता, तो कोई भी बातचीत व्यर्थ साबित होगी।
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बेलारूस का महत्व
मिन्स्क को बातचीत के स्थान के रूप में चुनने का रूस का निर्णय भी महत्वपूर्ण है। बेलारूस पहले भी रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान मध्यस्थ के रूप में काम कर चुका है। 2014 में, जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर कब्जा किया था, तब भी मिन्स्क समझौते हुए थे, जो युद्धविराम की दिशा में एक प्रयास थे। हालांकि, ये समझौते सफल नहीं हो पाए थे, लेकिन फिर भी मिन्स्क को एक राजनीतिक मंच के रूप में इस्तेमाल किया गया था। रूस का इस बार मिन्स्क को फिर से चयनित करना, इस बात का संकेत हो सकता है कि वे किसी प्रकार की समझौता प्रक्रिया को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसमें यूरोप और पश्चिमी देशों को भी भागीदार बनाया जा सके।
युद्धविराम की संभावना
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए गंभीर परिणाम उत्पन्न किए हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन लगातार युद्धविराम की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। रूस द्वारा यूक्रेन को बातचीत का न्योता भेजना इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, लेकिन इसके परिणामों का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। अगर दोनों देश बातचीत की मेज पर बैठते हैं, तो यह एक ऐतिहासिक क्षण हो सकता है, क्योंकि अब तक युद्धविराम की कोई स्पष्ट दिशा नहीं बन पाई है।
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क्या अब थमेगा युद्ध?
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का थमना इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों देशों के बीच वार्ता किस दिशा में जाती है। रूस द्वारा दी गई बातचीत की पेशकश को लेकर यूक्रेन के रुख में कोई खास बदलाव नहीं आया है, और ज़ेलेंस्की ने इसे केवल एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा है। हालांकि, युद्धविराम की कोई भी संभावना तभी सच हो सकती है, जब दोनों देशों के बीच विश्वास का स्तर बढ़े और वे अपने-अपने लक्ष्यों को लेकर समझौते तक पहुंच सकें।
यूक्रेन का कहना है कि यह युद्ध तब तक नहीं थमेगा जब तक रूस की सैन्य गतिविधियों का पूरी तरह से अंत नहीं हो जाता। रूस ने भी युद्धविराम की पेशकश की है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या वे इसके बाद अपनी सैन्य रणनीति में कोई बदलाव करते हैं या नहीं।