केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर नियम, 1962 में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है। इस बदलाव के तहत, एक दिन में नकद लेनदेन की सीमा को 20,000 रुपये से घटाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब अगर किसी व्यक्ति को एक दिन में 10,000 रुपये से अधिक नकद दिया जाता है, तो यह नियम के खिलाफ माना जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य काले धन को नियंत्रित करना और अधिक पारदर्शी लेनदेन को बढ़ावा देना है।
10,000 रुपये से अधिक का नकद भुगतान अब अवैध
नए नियम के तहत, यदि किसी को 10,000 रुपये से अधिक का भुगतान करना है, तो यह केवल चेक, ड्राफ्ट, या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से किया जा सकता है। इस नियम का पालन न करने पर जुर्माना या अन्य कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
डिजिटल भुगतान के विकल्प
अब कैश के बजाय भुगतान करने के लिए कई डिजिटल विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें शामिल हैं:
- क्रेडिट कार्ड
- डेबिट कार्ड
- नेट बैंकिंग
- IMPS (तत्काल भुगतान सेवा)
- UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस)
- RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट)
- NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर)
- BHIM (भारत इंटरफेस फॉर मनी)
इन डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने से न केवल लेनदेन अधिक सुरक्षित होता है, बल्कि यह प्रक्रिया भी तेज और पारदर्शी बनती है।
सरकार का उद्देश्य और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा
सरकार के मुताबिक, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने से न केवल काले धन पर नियंत्रण लगेगा, बल्कि यह वित्तीय संस्थाओं और बैंकों के लिए भी एक बड़ा कदम होगा। ऑनलाइन भुगतान प्रणाली के विकास ने पहले ही नकद लेनदेन को काफी हद तक कम कर दिया है। इसके अलावा, बैंकों का आधुनिकीकरण और ऑनलाइन फंड ट्रांसफर सिस्टम के जरिए भुगतान की प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाया गया है।
इस कदम से देश में नकद लेनदेन में कमी आएगी और डिजिटल लेनदेन की संख्या बढ़ेगी। साथ ही, यह नियम विशेष रूप से उन क्षेत्रों में प्रभावी होगा, जहां नकद लेनदेन आम है और जहां टैक्स चोरी का खतरा अधिक होता है। सरकार के इस कदम से आम नागरिक और व्यवसाय दोनों को अपने लेनदेन को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।