भारत हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाकर अपने संविधान को लागू करने और एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनने का उत्सव मनाता है। 1950 में पहली बार गणतंत्र दिवस मनाया गया था, और यह भारत के इतिहास का एक मील का पत्थर साबित हुआ। इस वर्ष, भारत 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, जो देश के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक विकास की यात्रा को प्रतिबिंबित करता है।
76वां या 77वां, गणतंत्र दिवस की गणना का रहस्य
गणतंत्र दिवस की गणना को लेकर अक्सर भ्रम बना रहता है। पहली बार 1950 में गणतंत्र दिवस मनाया गया था। इसके बाद, हर वर्ष इसकी गिनती होती गई। 2025 में यह समारोह 76वीं बार मनाया जाएगा, क्योंकि 1950 से 2024 तक 75 गणतंत्र दिवस पूरे हो चुके हैं। गणना में गलती तब होती है जब कुछ लोग शुरुआत के वर्ष को भी गिनती में जोड़ देते हैं। यही कारण है कि सही गणना को समझना आवश्यक है।
2025 की गणतंत्र दिवस थीम और मुख्य अतिथि
इस साल गणतंत्र दिवस की थीम है: “स्वर्णिम भारत-विरासत और विकास”। यह थीम भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसके विकास की अद्भुत यात्रा को दर्शाती है। परेड में देश की विविधता, राज्यवार झांकियां और सैन्य ताकत की झलक दिखाई जाएगी।
इस बार समारोह में मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो होंगे। उनकी उपस्थिति भारत और इंडोनेशिया के संबंधों को मजबूत बनाने का प्रतीक है।
गणतंत्र दिवस का ऐतिहासिक महत्व
गणतंत्र दिवस का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम के कई अहम पड़ावों से जुड़ा है। 19 दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया। यह प्रस्ताव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक निर्णायक कदम था। 26 जनवरी 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया, और यह दिन स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया।
1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत को 26 जनवरी को ही गणतंत्र घोषित करने का निर्णय लिया गया। इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ, जिसने देश को औपचारिक रूप से लोकतांत्रिक गणराज्य का दर्जा दिया।