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गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड बनाने की क्या है सही उम्र? सद्गुरु ने बता दी रिलेशनशिप में आने की राइट एज

सद्गुरु का मानना है कि प्यार और रिलेशनशिप की कोई उम्र नहीं होती, लेकिन इसे समझदारी से और बिना जल्दबाजी के करना चाहिए। वे इसे आम के पेड़ की तरह मानते हैं, जिसे सही समय पर पोषित और बढ़ने देना चाहिए। जीवन का उद्देश्य पहले समझें, फिर रिश्ते में कदम रखें, ताकि एक परिपक्व और सशक्त रिलेशनशिप का निर्माण हो सके।

By PMS News
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गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड बनाने की क्या है सही उम्र? सद्गुरु ने बता दी रिलेशनशिप में आने की राइट एज
Sadhguru’s relationship mantra

रिलेशनशिप: प्यार और रिश्तों के बारे में सद्गुरु का दृष्टिकोण हमेशा ही अनूठा और जीवन को समझने का एक अलग तरीका प्रदान करता है। सद्गुरु कहते हैं कि प्यार की कोई उम्र नहीं होती, यह एक प्राकृतिक अनुभव है जो कभी भी, कहीं भी और किसी से भी हो सकता है। प्यार सिर्फ प्यार होता है, जो अक्सर बिना किसी योजना के, केवल आँखों से आँखों में देखने से जन्म लेता है। यह वही भावना है जो किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकती है। हालांकि, सद्गुरु के अनुसार, रिलेशनशिप में प्रवेश करने का सही समय और तरीका बहुत महत्वपूर्ण है।

किस उम्र में होता है प्यार?

रिलेशनशिप और प्यार की शुरुआत अक्सर किसी की जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर होती है। कुछ लोग इसे स्कूल या कॉलेज के दिनों में अनुभव करते हैं, जो उनके जीवन भर के लिए एक यादगार अनुभव बन जाता है। लेकिन ऐसे लोग काफी कम होते हैं।

आज के तेज़-तर्रार जीवन में, जहां हर कोई अपने करियर और व्यक्तिगत लक्ष्यों के लिए दौड़ रहा है, कई बार रिश्तों में दरारें आ जाती हैं और शादियां टूटने लगती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोग अपने रिश्तों को सही तरीके से समय नहीं दे पाते और न ही समझ पाते कि रिश्तों में निरंतर मेहनत की जरूरत होती है।

रिलेशनशिप को लेकर सद्गुरु का दृष्टिकोण

सद्गुरु ने कहा है कि उम्र या समय की कोई सीमा नहीं होती, जब आप रिलेशनशिप में प्रवेश करना चाहते हैं। अगर आपको किसी को डेट करना जरूरी लगता है, तो इसे करने से नहीं घबराना चाहिए। हालांकि, वे यह भी कहते हैं कि रिलेशनशिप को लेकर किसी को भी ट्रेंड या दबाव में नहीं आना चाहिए। यह एक व्यक्तिगत निर्णय होना चाहिए। जब तक आप खुद को और अपने जीवन को पूरी तरह से समझ नहीं पाते, तब तक किसी भी रिश्ते में बेमानी और जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिए।

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रिलेशनशिप की तुलना आम के पेड़ से

सद्गुरु ने एक उदाहरण के रूप में आम के पेड़ की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जैसे किसान आम के पेड़ को सबसे पहले अपने खेत में लगाता है, लेकिन उस पेड़ पर फल आने से पहले वह कई साल तक उस पेड़ को पोषित करता है और उसके कलियों को तोड़ता रहता है। यह प्रक्रिया बहुत समय लेती है, लेकिन आखिरकार जब पेड़ पक्का हो जाता है, तो उस पर मीठे फल आते हैं। रिश्ते भी कुछ इसी तरह होते हैं। आपको रिश्ते में समय देना चाहिए, उसे पोषित करना चाहिए, और जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।

सद्गुरु के अनुसार, जीवन का असली लक्ष्य पहले अपने जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य को पूरा करना है। इसके बाद ही रिलेशनशिप में आना चाहिए। जीवन में संतुलन बहुत जरूरी है, और जब आप खुद को समझने और अपने जीवन को सही दिशा में लेकर चलते हैं, तब आप किसी रिलेशनशिप में अधिक परिपक्वता के साथ प्रवेश कर सकते हैं।

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