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हिमाचल में 150 स्कूल बंद होने की कगार पर! बच्चों और पैरंट्स की बढ़ी टेंशन

हिमाचल प्रदेश के शिक्षा बोर्ड ने बोर्ड की किताबों के खरीद बिल नहीं देने पर 150 निजी स्कूलों को नोटिस भेजा है। अगर 15 मई तक डिटेल नहीं दी गई तो स्कूलों की मान्यता रद्द की जा सकती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट और जानें आपके बच्चे के स्कूल पर इसका क्या असर हो सकता है।

By PMS News
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हिमाचल में 150 स्कूल बंद होने की कगार पर! बच्चों और पैरंट्स की बढ़ी टेंशन
हिमाचल में 150 स्कूल बंद होने की कगार पर! बच्चों और पैरंट्स की बढ़ी टेंशन

हिमाचल प्रदेश में स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा लिए जा रहे कड़े निर्णयों के चलते प्रदेश के लगभग 150 Private Schools की मान्यता संकट में पड़ गई है। यह कार्रवाई उन स्कूलों पर की जा सकती है जिन्होंने शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रकाशित किताबों (Textbooks) की खरीद से संबंधित विवरण अब तक बोर्ड को नहीं सौंपा है। बोर्ड ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए थे कि सभी निजी और सरकारी स्कूल, बोर्ड की ओर से प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों (Curriculum Books) का ही उपयोग करें, लेकिन कई निजी स्कूलों ने इस आदेश की अनदेखी की है।

30 अप्रैल तक देना था विवरण, अब 15 मई है आखिरी तारीख

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया था कि वे 30 अप्रैल 2025 तक उन बुक सेलरों से खरीदी गई किताबों की सत्यापित प्रतियां (Verified Copies of Bills) बोर्ड कार्यालय में जमा करवाएं, जो बोर्ड द्वारा अधिकृत किए गए हैं। बावजूद इसके, कई स्कूलों ने यह विवरण देने में लापरवाही बरती, जिससे बोर्ड प्रबंधन नाराज है।

अब बोर्ड ने ऐसे सभी स्कूलों को एक और मौका देते हुए 15 मई 2025 तक का समय दिया है। यदि इस अंतिम तिथि तक भी संबंधित स्कूल जानकारी उपलब्ध नहीं करवाते, तो बोर्ड उनकी मान्यता रद्द करने का कड़ा कदम उठा सकता है।

किताबों की जानकारी छुपाना पड़ सकता है भारी

बोर्ड प्रबंधन की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं कि स्कूलों को बोर्ड के बुक विक्रय केंद्र (Book Sale Centres) या पंजीकृत बुक सेलरों से ही पाठ्य सामग्री खरीदनी है। ऐसा सुनिश्चित करने के लिए ही स्कूलों से इन खरीदों के बिल मांगे गए हैं। यह कदम बोर्ड की सामग्री की गुणवत्ता और एकरूपता बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

शिक्षा बोर्ड का कहना है कि कई स्कूल अपने स्तर पर बाजार से किताबें खरीद रहे हैं, जिससे न सिर्फ पाठ्यक्रम में भिन्नता आती है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इसी उद्देश्य से यह निगरानी की जा रही है कि स्कूल केवल बोर्ड द्वारा अनुशंसित किताबें ही पढ़ाएं।

पालमपुर के एक निजी स्कूल की मान्यता पहले ही रद्द

इस पूरे मामले के बीच पालमपुर क्षेत्र के एक निजी स्कूल की मान्यता पहले ही रद्द की जा चुकी है। बोर्ड ने पाया कि यह स्कूल बिना संबद्धता के कक्षा नौंवी से जमा दो तक के छात्रों को दाखिला दे रहा था। इस पर मुख्यमंत्री सेवा संकल्प (CM Helpline) के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसके आधार पर जांच के बाद स्कूल पर यह कार्रवाई की गई।

स्कूल को आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 में साइंस और कॉमर्स विषयों में किसी भी विद्यार्थी को दाखिला न देने के आदेश दिए गए हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि शिक्षा बोर्ड इस बार कोई भी कोताही सहन करने के मूड में नहीं है।

शिक्षा सचिव की चेतावनी: तय समयसीमा में दें जानकारी

बोर्ड के सचिव डॉ. मेजर विशाल शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सभी निजी स्कूलों को बोर्ड की किताबें पढ़ानी अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि जिन स्कूलों ने अब तक बोर्ड द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं दी है, उन्हें अंतिम मौका 15 मई तक दिया गया है। यदि इसके बाद भी डिटेल्स नहीं आती हैं, तो उन पर कार्रवाई कर मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि यह निर्णय केवल आदेशों की अवहेलना की वजह से नहीं, बल्कि छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की रक्षा के लिए भी आवश्यक है। बोर्ड द्वारा तय सामग्री पढ़ाना सभी स्कूलों की जिम्मेदारी है, और यदि कोई संस्था इसका पालन नहीं करती, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

मान्यता रद्द होने के क्या होंगे परिणाम?

यदि किसी निजी स्कूल की मान्यता रद्द होती है, तो वह न सिर्फ आगामी सत्र में विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दे सकेगा, बल्कि पहले से दाखिल छात्रों का भविष्य भी संकट में पड़ सकता है। ऐसे स्कूलों के छात्रों को अन्य मान्यता प्राप्त संस्थानों में शिफ्ट किया जाएगा, जिससे न केवल अभिभावकों बल्कि छात्रों को भी मानसिक, शैक्षणिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

बोर्ड की सख्ती से शिक्षा व्यवस्था में आएगी पारदर्शिता

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और अनुशासन लाने का प्रयास है। इससे न केवल छात्रों को एकरूप शिक्षा मिलेगी, बल्कि स्कूल प्रबंधनों को भी नियमों के तहत संचालन करना सुनिश्चित होगा।

यह स्पष्ट है कि बोर्ड अब उन स्कूलों पर कोई रियायत देने को तैयार नहीं है जो उसकी दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यदि कोई स्कूल समयसीमा के भीतर जानकारी नहीं देता, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है।

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