पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद भारत में राष्ट्रीय शोक का माहौल है। 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ और इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है। भारत सरकार ने इस दुखद घटना के बाद 7 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है और आज के लिए सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। इस लेख में हम राजकीय शोक के महत्व, प्रक्रिया और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों पर चर्चा करेंगे।
राजकीय शोक क्या होता है?
राजकीय शोक एक शोक की स्थिति है, जिसे उस समय घोषित किया जाता है जब कोई प्रमुख राष्ट्रीय व्यक्ति, जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उच्च पदस्थ नेता या अन्य महत्वपूर्ण शख्सियत का निधन हो जाता है। इस शोक का उद्देश्य उस व्यक्ति के योगदान और उसकी याद में सम्मान व्यक्त करना होता है। राजकीय शोक की घोषणा आमतौर पर केंद्र सरकार द्वारा की जाती है, लेकिन राज्य सरकारें भी इसे अपने स्तर पर घोषित कर सकती हैं।
राजकीय शोक की घोषणा कौन करता है?
पूर्व में, राजकीय शोक की घोषणा केवल राष्ट्रपति के द्वारा की जाती थी, जो केंद्र सरकार की सलाह पर इसे घोषित करते थे। हालांकि, हाल के बदलावों के बाद अब यह अधिकार राज्यों के पास भी है। इसका मतलब है कि राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर राजकीय शोक घोषित कर सकती हैं, और कई बार केंद्र तथा राज्य सरकारें अलग-अलग शोक अवधि का ऐलान भी करती हैं।
राजकीय शोक के दौरान क्या होता है?
राजकीय शोक के दौरान कई महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल फॉलो किए जाते हैं। सबसे पहले, फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के तहत, राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। इसके अलावा, सरकार और प्रशासनिक दफ्तरों में कोई औपचारिक या सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता। इस दौरान किसी भी प्रकार का आधिकारिक मनोरंजन या खुशियों का इज़हार भी रोका जाता है। केवल जरूरी सरकारी कार्य ही किए जाते हैं और सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द किए जाते हैं।
क्या राजकीय शोक पर सरकारी छुट्टी होती है?
बहुत से लोग यह सोचते हैं कि राजकीय शोक के दौरान सरकारी छुट्टियां घोषित की जाती हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता। केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन के अनुसार, राजकीय शोक के समय किसी भी सरकारी संस्थान में छुट्टी नहीं होती। हालांकि, अगर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का निधन पद पर रहते हुए होता है, तो सरकारी छुट्टी का ऐलान किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, केंद्र और राज्य सरकारें अपने अनुसार छुट्टियों का ऐलान कर सकती हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं होता।
राजकीय शोक कितने दिनों का होता है?
राजकीय शोक की अवधि सरकार की घोषणा पर निर्भर करती है और इसकी कोई तय अवधि नहीं होती। उदाहरण के लिए, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया था, जबकि मुलायम सिंह यादव के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक रखा गया था। शोक की अवधि का निर्धारण उस व्यक्ति की राष्ट्रीय महत्वपूर्णता और योगदान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।