वसीयत (Will) एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी संपत्ति का वितरण अपनी मृत्यु के बाद सुनिश्चित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य पारिवारिक विवादों को रोकना और संपत्ति को वांछित उत्तराधिकारियों के बीच बांटना होता है। लेकिन कई बार यह दस्तावेज विवाद का कारण भी बन सकता है। जब परिवार के किसी सदस्य को लगता है कि वसीयत में उसके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है या वसीयत सही प्रक्रिया के अनुसार नहीं बनाई गई है, तो वह इसे कानूनी रूप से चुनौती दे सकता है।
वर्तमान में भारत में ऐसा ही एक मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें भारत फोर्ज कंपनी के चेयरमैन बाबा कल्याणी की बहन सुगंधा ने अपनी मां की वसीयत को पुणे की अदालत में चुनौती दी है। उनका दावा है कि उनके भाइयों ने वसीयत को प्रभावित किया है। इस उदाहरण ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि वसीयत को किस स्थिति में और कैसे चुनौती दी जा सकती है।
इस लेख में हम वसीयत को चुनौती देने की प्रक्रिया, कानूनी प्रावधान और इससे जुड़े सवालों के विस्तृत उत्तर देंगे।
वसीयत को चुनौती देने के कानूनी आधार
1. अवैध रूप से बनाई गई वसीयत
यदि वसीयत बनाने की प्रक्रिया में सभी कानूनी नियमों का पालन नहीं किया गया है, जैसे कि वसीयत पर तारीख दर्ज नहीं है, या उसमें आवश्यक गवाहों की उपस्थिति नहीं है, तो इसे चुनौती देना संभव है।
2. आयु सीमा का उल्लंघन
कानून के अनुसार, वसीयत बनाने वाले की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। यदि किसी ने इससे कम उम्र में वसीयत बनाई है, तो वह कानूनी रूप से मान्य नहीं होगी और इसे चुनौती दी जा सकती है।
3. मानसिक स्थिति का सवाल
यदि वसीयत बनाने वाले की मानसिक स्थिति उस समय ठीक नहीं थी, तो यह वसीयत कानूनी रूप से वैध नहीं मानी जाएगी। मानसिक स्थिति का निर्धारण करने के लिए मेडिकल रिकॉर्ड और गवाहों का सहारा लिया जा सकता है।
4. दबाव या प्रभाव का उपयोग
यदि वसीयत किसी दबाव, भय, या बाहरी प्रभाव के तहत बनाई गई है, तो इसे भी कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है। इसे साबित करने के लिए साक्ष्य और गवाहों की जरूरत होती है।
5. धोखाधड़ी और गलत हस्ताक्षर
यदि वसीयत किसी धोखे से बनाई गई है, या उस पर वसीयतकर्ता के सही हस्ताक्षर नहीं हैं, तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
6. गवाहों की गैर-मौजूदगी
कानून के अनुसार, वसीयत बनाने के समय दो बालिग गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य है। यदि गवाह मौजूद नहीं थे, तो यह वसीयत वैध नहीं मानी जाएगी।
7. अनुचित हक
यदि वसीयत में किसी उत्तराधिकारी को उसका सही अधिकार नहीं दिया गया है, तो वह इसे चुनौती देने के लिए अदालत जा सकता है।
वसीयत को चुनौती देने की प्रक्रिया
1. याचिका दायर करें
वसीयत को चुनौती देने के लिए सबसे पहले संबंधित अदालत में याचिका दायर करनी होगी। यह प्रक्रिया भारतीय रजिस्ट्री अधिनियम की धारा 18 के तहत आती है।
2. वकील नियुक्त करें
आपको एक योग्य वकील नियुक्त करना होगा, जो आपके पक्ष में अदालत में वकालतनामा दाखिल करेगा।
3. कोर्ट फीस का भुगतान करें
अदालत में मामला दर्ज करने के लिए आवश्यक कोर्ट फीस का भुगतान करना होगा।
4. सबूत प्रस्तुत करें
मामले को अदालत में साबित करने के लिए आपको दस्तावेज़ी साक्ष्य, गवाह, और अन्य संबंधित सबूत प्रस्तुत करने होंगे।
5. अदालत की सुनवाई
अदालत दोनों पक्षों की दलीलें और सबूत सुनने के बाद फैसला सुनाएगी। यदि अदालत को लगता है कि वसीयत अवैध है, तो इसे आंशिक या पूरी तरह से अमान्य कर दिया जाएगा।
6. तत्काल कार्रवाई का महत्व
यदि आपको वसीयत में किसी गड़बड़ी का शक है, तो तुरंत कानूनी कार्रवाई करें। वसीयत लागू होने के बाद इसे चुनौती देना अधिक कठिन हो सकता है।
कौन कर सकता है वसीयत को चुनौती?
1. उत्तराधिकारी
वे उत्तराधिकारी जिनका वसीयत में हक बनता है, लेकिन उन्हें शामिल नहीं किया गया है, वे इसे चुनौती दे सकते हैं।
2. नाबालिग के माता-पिता
यदि वसीयत में किसी नाबालिग के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं, तो उसके माता-पिता या कानूनी अभिभावक इसे चुनौती दे सकते हैं।
3. वसीयत में नामित व्यक्ति
वसीयत में नामित व्यक्ति, जैसे कोई दोस्त, सामुदायिक संस्था, या कॉलेज, जिसे वसीयत में शामिल किया गया है, यदि उन्हें वसीयत से असहमति है, तो वे इसे अदालत में चैलेंज कर सकते हैं।